अलवर : टाइगर रिजर्व सरिस्का को अपना पुराना गौरव वापस पाने के लिए करीब 20 साल का लंबा सफर तय करना पड़ा. 2008 में रणथम्भौर से पहला बाघ पुनर्वास होने के बाद सरिस्का में बाघों के कुशल संरक्षण का नतीजा है कि करीब 17 सालों में यहां बाघों का कुनबा बढ़कर 48 तक पहुंच गया. यदि गांवों का विस्थापन जल्द हो तो सरिस्का खुद बाघों से फल फूलने के साथ ही प्रदेश के अन्य टाइगर रिजर्व को भी आबाद करने में सक्षम हो सकेगा.
सरिस्का टाइगर रिजर्व के इतिहास में 2005 का साल काला अध्याय लेकर आया. उस दौरान बाघों के अंगों के अंतरराष्ट्रीय तस्करों की कुदृष्टि पड़ने से यहां बाघों का पूरी तरह सफाया हो गया. सरकार को सरिस्का को 2005 में बाघ विहीन घोषित करना पड़ा. सरिस्का में बाघ नहीं होने का अलवर जिले के पर्यटन पर विपरीत असर पड़ा और पर्यटकों की संख्या में काफी कमी आई. करीब तीन वर्ष निराशाजनक माहौल से गुजरने के बाद 2007-08 में सरिस्का को फिर से बाघों से आबाद करने का दौर शुरू हुआ. तब देश में पहला बाघ पुनर्वास कराया गया और रणथम्भौर से बाघ एसटी-1 को सरिस्का लाया गया. इसके कुछ दिन बाद बाघिन एसटी-2 और फिर बाघिन एसटी-3 का सरिस्का में पुनर्वास कराया. सरकार के इस प्रयास का नतीजा रहा कि सरिस्का में बाघों का कुनबा 48 तक पहुंच सका.
पिछले दो सालों में बढ़े 20 शावक : सरिस्का इन दिनों बाघों से खूब फल फूल रहा है. वर्ष 2024 में सरिस्का को 13 नए शावक मिले. वहीं, साल 2025 में 7 नए शावक मिले हैं. इससे सरिस्का में बाघों का कुनबा तेजी से बढ़ा. वर्ष 2012 में बाघिन एसटी-2 ने दो मादा शावक एसटी-7 और एसटी-8 को जन्म दिया. वर्ष 2014 में बाघिन एसटी-2 ने नर शावक एसटी-13 व मादा शावक एसटी-14 को जन्म दिया. 2014 में ही बाघिन एसटी-10 ने नर शावक एसटी-11 व मादा शावक एसटी-12 को जन्म दिया. इसी तरह वर्ष 2016 में बाघिन एसटी-9 ने नर शावक एसटी-15 को जन्म दिया.
वहीं, 2018 में बाघिन एसटी-12 ने मादा शावक एसटी-19 और नर शावक एसटी-20 व एसटी-21 को जन्म दिया. इसी तरह वर्ष 2018 में बाघिन एसटी-14 ने मादा शावक एसटी-17 व नर शावक एसटी-18 को जन्म दिया. 2020 में बाघिन एसटी-14 ने तीन मादा शावकों एसटी-26, एसटी-27 व एसटी-28 को जन्म दिया. वहीं, 2020 में बाघिन एसटी-10 ने मादा शावक एसटी-22 को जन्म दिया. 2020 में ही बाघिन एसटी-12 ने तीन नर बाघ एसटी-23, एसटी-24 व एसटी-25 को जन्म दिया. इसी प्रकार वर्ष 2022 में बाघिन एसटी-17 ने नर बाघ एसटी-2304 व 2305 को जन्म दिया. वर्ष 2022 में ही बाघिन एसटी-19 ने मादा शावक एसटी-2302 व नर शावक एसटी-2303 को जन्म दिया. इनमें बाघ एसटी-2303 को रामगढ़ टाइगर रिजर्व में भेजा गया, लेकिन वहां उसकी टेरिटोरियल भिड़ंत में मौत हो गई.
वर्ष 2022 में बाघिन एसटी-14 ने मादा शावक एसटी-2401 व नर शावक एसटी-2402 को जन्म दिया. वर्ष 2023 में बाघिन एसटी-19 ने तीन मादा शावकों एसटी-2403, एसटी-2404 और एसटी-2405 को जन्म दिया. मार्च 2024 में बाघिन एसटी-12 ने चार शावकों को जन्म दिया. वहीं, मई 2024 में बाघिन एसटी-27 ने दो शावकों को जन्म दिया. मई 2024 में बाघिन एसटी-22 ने चार शावकों को जन्म दिया. वहीं, जून 2024 में बाघिन एसटी-17 ने तीन शावकों को जन्म दिया. अप्रैल 2025 में बाघिन एसटी-30 तीन शावकों एवं जून 2025 में बाघिन एसटी-19 चार शावकों के साथ दिखाई दी.
सरिस्का बन रहा बाघों की नर्सरी : सरिस्का के सीसीएफ संग्राम सिंह कटियार ने बताया कि बाघों के पुनर्वास का दौर शुरू होने के बाद सरिस्का टाइगर रिजर्व अब बाघों की नर्सरी बनने की ओर अग्रसर है. सरिस्का में अभी बाघों का कुनबा 48 है और इनमें शावकों की संख्या 19 है. यानी सरिस्का को जल्द ही 19 नए बाघ मिलेंगे. इनमें एक दर्जन शावक जल्द ही वयस्क होकर अपनी टेरिटरी बनाएंगे.
अब दूसरे टाइगर रिजर्व को बाघ भेजने की तैयारी : वन्यजीव प्रेमी लोकेश खंडेलवाल के अनुसार कभी सरिस्का को आबाद करने के लिए रणथम्भौर से बाघ लाने पड़े, लेकिन अब सरिस्का बाघों से फल फूल रहा है. वह दिन भी दूर नहीं जब यहां से बाघ दूसरे टाइगर रिजर्व में भेजना संभव हो सकेगा. उन्होंने बताया कि सरिस्का में 29 गांव बसे हैं, इनमें से 10 गांवों का विस्थापन पहले चरण में होना है. करीब डेढ़ दशक में सरिस्का से 5 गांवों का विस्थापन हो सका है. अभी पांच गांवों का विस्थापन होना शेष है. खंडेलवाल ने बताया कि सरिस्का में बसे गांवों का विस्थापन जल्द होने पर यहां बाघों की संख्या तेजी से बढ़ सकेगी. गांवों के हटने से सरिस्का में जंगल खाली हो सकेगा. इससे बाघों को टेरिटरी के लिए पर्याप्त जगह मिल सकेगी. वहीं, मानवीय दखल कम होने से बाघों का कुनबा बढ़ सकेगा और 50 से ज्यादा संख्या होने के बाद सरिस्का से बाघों को दूसरे टाइगर रिजर्व में पुनर्वास भी कराया जा सकेगा.




















