जयपुर शहर में एक चौंकाने वाली वारदात सामने आई है, जहां बाइक सवार हाईटेक चोरों ने मोबाइल चोरी कर बैंक अकाउंट से ₹3.32 लाख की ऑनलाइन चपत लगा दी। इस वारदात ने न सिर्फ पुलिस की चिंता बढ़ा दी है, बल्कि आम लोगों को भी सतर्क कर दिया है कि अब रेड लाइट पर खड़ा होना भी खतरे से खाली नहीं।
यह मामला सांगानेर थाना क्षेत्र का है। पीड़ित दुर्गेश कुमार (39), मूल रूप से भीलवाड़ा के हनुमान नगर के रहने वाले हैं और वर्तमान में जयपुर के देवराज नगर, मदरामपुरा में पत्नी के साथ किराए के मकान में रहते हैं। बीते रविवार दोपहर करीब साढ़े चार बजे वह अपनी बाइक से जगतपुरा से घर की ओर लौट रहे थे। कुम्भा मार्ग पर एक रेड लाइट पर वह रुके थे, तभी दो लड़के बाइक पर आए और उनके पास आकर खड़े हो गए।
रेड लाइट पर खड़े-खड़े दुर्गेश को अंदाजा भी नहीं हुआ कि उसकी बाइक पर टंगा बैग उनकी नजर में आ चुका है। कुछ ही पलों में बदमाश बैग से मोबाइल चुराकर वहां से ग्रीन लाइट होते ही फरार हो गए।
दुर्गेश को शक तब हुआ जब रास्ते में उन्होंने बैग चेक किया और मोबाइल गायब पाया। तुरंत कॉल किया तो मोबाइल स्विच ऑफ था। घर पहुंचने पर दुबारा कॉल किया तो मोबाइल रिंग होने लगी। कॉल उठाने वाले ने कहा कि उसने यह मोबाइल 1,000 रुपए में खरीदा है।
यह सुनकर दुर्गेश को शक गहराया। उन्होंने तुरंत बैंक स्टेटमेंट चेक करवाया तो उनके होश उड़ गए। उनके खाते से ऑनलाइन ट्रांजेक्शन कर 3 लाख 32 हजार रुपए निकाल लिए गए थे। यह रकम अलग-अलग ऐप्स और प्लेटफॉर्म्स के जरिए उड़ाई गई थी।
दुर्गेश ने सांगानेर थाने में जाकर पूरी घटना की जानकारी दी और शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने मोबाइल लोकेशन ट्रेस करने, कॉल रिकॉर्ड खंगालने और वारदातस्थल के आसपास लगे CCTV फुटेज खंगालने शुरू कर दिए हैं।
पुलिस की शुरुआती जांच में खुलासा:
बदमाशों ने मोबाइल में मौजूद बैंकिंग ऐप्स और OTP एक्सेस का फायदा उठाया।
पीड़ित के मोबाइल से बैंकिंग ऐप्स खुले रह सकते हैं या फिर बदमाशों ने डिवाइस को क्लोन कर डेटा निकाला।
कई पेमेंट गेटवे के माध्यम से रकम अलग-अलग खातों में ट्रांसफर की गई।
साइबर एक्सपर्ट्स की सलाह:
मोबाइल में बैंकिंग ऐप्स को फिंगरप्रिंट या पिन लॉक से सुरक्षित करें।
किसी भी ट्रांजेक्शन के बाद तुरंत OTP डिलीट करें।
फोन खो जाने की स्थिति में तुरंत बैंक और साइबर सेल को सूचित करें।
फोन में सेव पासवर्ड्स को ब्राउज़र से हटाएं।
पुलिस को शक है कि यह कोई संगठित गिरोह का काम है, जो भीड़भाड़ वाले ट्रैफिक सिग्नलों को निशाना बना रहा है।
फिलहाल पुलिस इस पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए साइबर सेल की मदद से बदमाशों की तलाश कर रही है।
जयपुर में यह कोई पहली घटना नहीं है, जब मोबाइल चोरी के बाद इतनी बड़ी रकम का साइबर फ्रॉड किया गया हो। लेकिन इस बार जिस तरह रेड लाइट पर एक सेकेंड में मोबाइल चोरी हुआ और फिर डिजिटल ठगी को अंजाम दिया गया, उसने सबको चौंका दिया है।
अब सावधानी सिर्फ जेबकतरों से नहीं, डिजिटल चोरों से भी जरूरी है। क्योंकि एक मोबाइल का चोरी होना अब सिर्फ डिवाइस खोने तक सीमित नहीं रहा – ये आपके पूरे बैंक बैलेंस को भी गायब कर सकता है।




















