सीकर. कोर्ट से जमानत मिलने के बाद नरेश मीणा ने खाटूश्याम जी मंदिर पहुंचकर बाबा श्याम को चांदी का छत्र और निशान चढ़ाया. जेल में बिताए आठ महीनों के दर्द और आत्ममंथन के बाद नरेश मीणा अपने परिवार के साथ बाबा श्याम की शरण में पहुंचे. उन्होंने बताया कि जेल में रहते हुए रोजाना बाबा से रिहाई की प्रार्थना करते थे, और जब वह मन्नत पूरी हुई, तो सबसे पहले बाबा श्याम के दरबार में हाजिरी लगाई. उनके साथ पूरा परिवार मौजूद था. मंदिर कमेटी ने विधिवत पूजा-अर्चना करवाई और दर्शन के बाद मीणा ने संत शिरोमणि आलू सिंह महाराज के भी दर्शन किए.
नरेश मीणा ने मीडिया से बातचीत में अपनी गलती स्वीकारते हुए कहा कि उन्हें एसडीएम को थप्पड़ नहीं मारना चाहिए था. उन्होंने माना कि वह क्षणिक आवेश था, लेकिन उससे जो हुआ वह गलत था और उन्हें उस पर पछतावा है. उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद ही खाटूश्याम जी आने का मन था, लेकिन जेल चले गए. अब जब रिहाई मिली है, तो सबसे पहले बाबा का धन्यवाद अर्पित करने आया हूं. बाबा से क्षमा मांगी है और प्रार्थना की है कि वह सेवा का अवसर दोबारा दें.
जेल में बाबा श्याम से मांगी थी मन्नत, अब की पूरी
नरेश मीणा ने बताया कि जेल में उन्होंने रोजाना बाबा श्याम से प्रार्थना की थी कि उन्हें रिहाई का रास्ता दिखाएं. जब कोर्ट से जमानत मिली, तो उन्होंने सबसे पहले अपने घर पर बाबा श्याम की पूजा की. इसके बाद बिना देरी किए खाटूश्याम जी पहुंचे. मंदिर में उन्होंने चांदी का छत्र और निशान बाबा को अर्पित किया. यह उनके आभार और श्रद्धा का प्रतीक था. उन्होंने कहा कि बाबा ने उनकी मन्नत सुन ली, इसलिए वह जीवन भर उनके चरणों में समर्पित रहेंगे. मीणा ने यह भी कहा कि उन्होंने बाबा से केवल माफी ही नहीं मांगी बल्कि शक्ति भी मांगी है. जनसेवा की शक्ति, समाज के प्रति अपने कर्तव्यों को निभाने की ताकत और विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की प्रेरणा उन्होंने बाबा के चरणों में मांगी. उन्हें विश्वास है कि बाबा उन्हें शक्ति और साहस देंगे ताकि वह फिर से लोगों की उम्मीदों पर खरे उतर सकें.
गलती पर जताया पछतावा, बाबा से मांगी क्षमा और शक्ति
नरेश मीणा ने खुले दिल से स्वीकारा कि जो कुछ भी हुआ वह नहीं होना चाहिए था. उन्होंने कहा कि भावनाओं में बहकर वह खुद पर नियंत्रण नहीं रख पाए और एसडीएम को थप्पड़ मार दिया. उन्होंने यह भी कहा कि उस क्षण के बाद से उन्हें अफसोस होता रहा है. बाबा श्याम के सामने उन्होंने सिर झुकाकर माफी मांगी है और बाबा से आग्रह किया है कि वह उन्हें क्षमा करें. उन्होंने यह भी कहा कि बहुत से लोग उन पर विश्वास करते हैं और उन्हें मार्गदर्शन मानते हैं. वह नहीं चाहते कि उनके इस एक कदम से किसी का विश्वास टूटे. इसलिए उन्होंने बाबा से यह प्रार्थना की है कि वह उन्हें फिर से सेवा करने की शक्ति दें. बाबा का आशीर्वाद उनके लिए संबल है और वह इस आशीर्वाद के साथ आगे का जीवन समर्पण और सेवा में बिताना चाहते हैं.




















