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आज है जया एकादशी, जाने आज का पंचाग – दिनांक :- 23 फरवरी 2021

आज है जया एकादशी, जाने आज का पंचाग –
दिनांक :- 23 फरवरी 2021
वार :- मंगलवार
तिथि :- एकादशी 18:05 बजे तक
पक्ष :- शुक्ल
माह :- माघ
नक्षत्र :- आद्रा 12:29 बजे तक
चन्द्र राशि :- मिथुन
सूर्य राशि :- कुम्भ
रितु :- शिशिर
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 07:06 बजे
सूर्यास्त :- 18:29 बजे
दिन काल :- 11 घण्टे 23 मिनट
रात्री काल :- 12 घण्टे 36 मिनट
चंद्रोदय :- 14:30 बजे
चंद्रास्त :- 28:55 बजे
राहू काल :- 15:38 – 17:04 अशुभ
अभिजित :- 12:25 -13:10 शुभ
पंचक :- नहीं
दिशाशूल :- उत्तर दिशा में
समय मानक :- मोमासर (बीकानेर)
चोघडिया, दिन
रोग :- 07:06 – 08:31 अशुभ
उद्वेग :- 08:31 – 09:57 अशुभ
चर :- 09:57 – 11:22 शुभ
लाभ :- 11:22 – 12:47 शुभ
अमृत :- 12:47 – 14:13 शुभ
काल :- 14:13 – 15:38 अशुभ
शुभ :- 15:38 – 17:04 शुभ
रोग :- 17:04 – 18:29 अशुभ
चोघडिया, रात
काल :- 18:29 – 20:04 अशुभ
लाभ :- 20:04 – 21:38 शुभ
उद्वेग :- 21:38 – 23:12 अशुभ
शुभ :- 23:12 – 24:47* शुभ
अमृत :- 24:47* – 26:21* शुभ
चर :- 26:21* – 27:56* शुभ
रोग :- 27:56* – 29:30* अशुभ
काल :- 29:30* – 31:05* अशुभ
💥 विशेष – हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है lराम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
💥 आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
आप सभी को जया एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं।।
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
🌌 दिन (वार) – मंगलवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए । मंगलवार को बजरंगबली की पूजा का विशेष महत्व है।
मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।
मंगलवार के व्रत से सुयोग्‍य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।
मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।
✏️ तिथि के स्वामी – एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेव जी और द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विष्णु जी है।
🪙 नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- आद्रा नक्षत्र के देवता रुद्र (शिव) और नक्षत्र के स्वामी राहु जी है ।
⚜️ दिशाशूल – मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है। यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
🤖 राहुकाल – दिन – 3:00 से 4:30 तक (इस काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है)।
🚕 यात्रा शकुन- दलिया का सेवन कर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ अं अंगारकाय नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-मंदिर में श्रीफल सहित दीपदान करें।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय- खैर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व व त्यौहार- जया एकादशी, भैमी एकादशी (बंगाल)
✍🏼 विशेष – एकादशी तिथि को चावल एवं दाल नहीं खाना चाहिये तथा द्वादशी को मसूर नहीं खाना चाहिये ये इन तिथियों में त्याज्य बताया गया है। एकादशी को चावल न खाने अथवा रोटी खाने से व्रत का आधा फल सहज ही प्राप्त हो जाता है। एकादशी तिथि एक आनन्द प्रदायिनी और शुभ फलदायिनी तिथि मानी जाती है। एकादशी को सूर्योदय से पहले स्नान के जल में आँवला या आँवले का रस डालकर स्नान करना चाहिये। इससे पुण्यों कि वृद्धि, पापों का क्षय एवं भगवान नारायण के कृपा कि प्राप्ति होती है।
⚜️ जया एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के सभी पाप मिट जाते हैं और इस व्रत के प्रभाव से पितरो को भूत, पिशाच आदि योनियों से छुटकारा मिलता है। अंत में मनुष्य को स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है।
एकादशी के दिन जल में आँवले का चूर्ण या आँवले का रस डाल कर स्नान करने से समस्त पापो का नाश होता है।
एकादशी के दिन रात्रि में भगवान विष्णु के सामने नौ बत्तियों का दीपक जलाएं और एक दीपक ऐसा जलाएं जो रात भर जलता रहे।
एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी के मन्त्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” अथवा ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। का आशिक से अधिक जाप करना चाहिए ।
एकादशी के दिन चावल और दूसरे का अन्न खाना मना है । एकादशी के दिन चावल खाने से रोग और पाप बढ़ते है, एकादशी के दिन दूसरे का अन्न खाने से समस्त पुण्यों का नाश हो जाता है ।
🌷 जया एकादशी – प्रेत मोचिनी एकादशी
🙏🏻 भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया ..ये जया एकादशी (23 फरवरी 2021 ) (प्रेत मोचिनी एकादशी) का उपवास रखने वाले को भोग भी मिलता है – संसार का सुख सम्पदा भी मिलता है | ब्रम्ह की हत्या, ब्रम्हज्ञानी की हत्या बड़े में बड़ा पाप है | वो ब्रम्ह हत्या के पाप को नाश करनेवाली एकादशी है जया एकादशी | और कभी वो व्यक्ति पिशाच योनी को प्राप्त नहीं होगा |प्रेत योनी में कोई पड़ा हो उसकी सदगति होती है और जया एकादशी का जो व्रत रखेगा उसे प्रेत योनी में कभी नहीं जाना पड़ेगा । किसी कारण ये व्रत नहीं भी कर सकते तो चावल तो एकादशी को नहीं खाना… बीमारी भी देंगे और पाप भी देंगे । चावल एकादशी के दिन दुश्मन को भी नहीं खिलाना।


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