सफला एकादशी आज, शनिवार 9 जनवरी 2020 जाने भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ
🌞आज का पंचाग🌞
दिनांक :- 09 जनवरी 2021
वार :- शनिवार
तिथि :- एकादशी 19:16 बजे तक तत्पश्चात द्वादशी
पक्ष :- कृष्ण
माह :- पौष
नक्षत्र :- विशाखा 12:31 बजे तक तत्पश्चात अनुराधा नक्षत्र शुरू
योग :- शूल
करण :- बव 08:28 बजे तक तत्पश्चात कौलव
चन्द्र राशि :- वृश्चिक
सूर्य राशि :- धनु
ऋतु :- हेमंत
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 07:28
सूर्यास्त :- 17:54
दिन काल :- 10 घण्टे 26 मिनट
रात्री काल :- 13 घण्टे 34 मिनट
चंद्रास्त :- 14:24
चंद्रोदय 28:22
राहू काल :- 10:05 – 11:23 अशुभ
अभिजित :- 12:20 -13:02 शुभ
पंचक :- नहीं
समय मानक :- मोमासर बीकानेर राज.
दिशाशूल :- पूर्व
चोघडिया, दिन
काल :- 07:28 – 08:47 अशुभ
शुभ :- 08:47 – 10:05 शुभ
रोग :- 10:05 – 11:23 अशुभ
उद्वेग :- 11:23 – 12:41 अशुभ
चर :- 12:41 – 13:59 शुभ
लाभ :- 13:59 – 15:18 शुभ
अमृत :- 15:18 – 16:36 शुभ
काल :- 16:36 – 17:54 अशुभ
चोघडिया, रात
लाभ :- 17:54 – 19:36 शुभ
उद्वेग :- 19:36 – 21:18 अशुभ
शुभ :- 21:18 – 22:59 शुभ
अमृत :- 22:59 – 24:41* शुभ
चर :- 24:41* – 26:23* शुभ
रोग :- 26:23* – 28:05* अशुभ
काल :- 28:05* – 29:47* अशुभ
लाभ :- 29:47* – 31:28* शुभ
🌏आज पौष मास के कृष्ण पक्ष कि सफला नाम का एकादशी व्रत है। आप सभी एकादशी व्रतियों को एकादशी व्रत की हार्दिक शुभकामनायें। शास्त्रानुसार एकादशी सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वाधिक पुण्यदायी व्रत होता है। इसे हर एक व्यक्ति को अवश्य करना चाहिये।।
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
☄️ दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात शनिवार को पीपल वृक्ष में मिश्री मिश्रित दूध से अर्घ्य देने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।
पुराणों में वर्णित है कि पिप्पलाद ऋषि ने अपने बचपन में माता पिता के वियोग का कारण शनि देव को जानकर उनपर ब्रह्म दंड से प्रहार कर दिया, जिससे शनि देव घायल हो गए। देवताओं की प्रार्थना पर पिप्पलाद ऋषि ने शनि देव को इस बात पर क्षमा किया कि शनि जन्म से लेकर 16 साल तक की आयु तक एवं उनके भक्तो को किसी को भी कष्ट नहीं देंगे। तभी से पिप्पलाद का स्मरण करने से ही शनि देव के प्रकोप से मुक्ति मिल जाती है।
शिवपुराण के अनुसार शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषी जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि की पीड़ा शान्त हो जाती है ।
✏️ तिथि का स्वामी – एकादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विश्व देव जी है।
🪙 विशाखा नक्षत्र के देवता इंद्राग्नी (इंद्र और अग्नि) और स्वामी बृहस्पति देव जी है।
⚜️ दिशाशूल – शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएं।
🚕 यात्रा शकुन-शर्करा मिश्रित दही खाकर घर से निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनयै नम:।
💁🏻♀️ आज का उपाय-शनि मंदिर में इमरती चढ़ाएं।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय-शमी के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व व त्यौहार- सफला एकादशी
✍🏼 विशेष – एकादशी को चावल, दूसरे का अन्न और सेम की फली का सेवन नहीं करना चाहिए, एकादशी को चावल खाने से पुण्य का नाश होता है, रोग बढ़ते है।
देहली पूजा और पीपल के नीचे दीपक : भगवान का पूजन करने के बाद अंत में देहली की पूजा करें। देहली (डेली) के दोनों ओर सातिया बनाकर उसकी पूजा करें। सातिये के ऊपर चावल की एक ढेरी बनाएं और एक-एक सुपारी पर कलवा बांधकर उसको ढेरी के ऊपर रख दें। इस उपाय से धनलाभ होगा। इसके अलावा प्रति शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाएं और सुगंधित अगरबत्ती लगाएं।
पौष मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को सफला एकादशी कहते हैं। मान्यता है कि इस एकादशी का ब्रत रखने, इस दिन भगवान श्री विष्णु जी की विधि विधान के साथ पूजा करने से मनुष्य को प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है, उसके समस्त कार्य निर्विघ्न रूप से संपन्न होते है ।
एकादशी के दिन जल में आँवले का चूर्ण / आंवले का रस डाल कर नहाने से समस्त पापो का नाश हो जाता है ।
2021 में दो सफला एकादशी पड़ेंगी। 09 जनवरी 2021 शनिवार को पहली सफला एकादशी, तथा दूसरी सफला एकादशी, गुरुवार 30 दिसंबर 2021 को पड़ेगी।
ब्रत के पारण का समय: 10 जनवरी को सुबह 7 बजकर 15 मिनट से सुबह 9 बजकर 21 मिनट तक।
एकादशी के दिन रात्रि में भगवान विष्णु के सामने नौ बत्तियों का दीपक जलाएं और एक दीपक ऐसा जलाएं जो रात भर जलता रहे।
⚜️ एकादशी तिथि के देवता विश्व देव होते हैं। नन्दा नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल पक्ष में शुभ तथा कृष्ण पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है। एकादशी तिथि एक आनंद प्रदायिनी और शुभ फलदायी तिथि मानी जाती है। इसलिये आज दक्षिणावर्ती शंख के जल से भगवान नारायण का पुरुषसूक्त से अभिषेक करने से माँ लक्ष्मी प्रशन्न होती है एवं नारायण कि भी पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।
एकादशी तिथि को जिस व्यक्ति का जन्म होता है वो धार्मिक तथा सौभाग्यशाली होता है। मन, बुद्धि और हृदय से ऐसे लोग पवित्र होते हैं। इनकी बुद्धि तीक्ष्ण होती और लोगों में बुद्धिमानी के लिए जाने जाते है। इनकी संतान गुणवान और अच्छे संस्कारों वाली होती है, इन्हें अपने बच्चों से सुख एवं सहयोग भी प्राप्त होता है। समाज के प्रतिष्ठित लोगों से इन्हें मान सम्मान मिलता है।
💥 विशेष – हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है lराम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।।
💥 आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l
🙏🏻 सफला एकादशी ( व्रत से सभी कार्य सफल होते हैं | यह सुख, भोग और मोक्ष देनेवाली है | इस रात को जागरण करने से हजारों वर्षों की तपस्या करने से भी अधिक फल मिलता है |)
💥 एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए।
💥 एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
💥 जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आँवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं।
🌷 प्रदोष व्रत 🌷
🙏🏻 हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक महिने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस बार 10 जनवरी, रविवार को प्रदोष व्रत है। इस दिन भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। प्रदोष पर व्रत व पूजा कैसे करें और इस दिन क्या उपाय करने से आपका भाग्योदय हो सकता है, जानिए…
👉🏻 ऐसे करें व्रत व पूजा
🙏🏻 प्रदोष व्रत के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराएं।
🙏🏻 इसके बाद बेल पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाएं।
🙏🏻 पूरे दिन निराहार (संभव न हो तो एक समय फलाहार) कर सकते हैं) रहें और शाम को दुबारा इसी तरह से शिव परिवार की पूजा करें।
🙏🏻भगवान शिवजी को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं।
🙏🏻 भगवान शिवजी की आरती करें। भगवान को प्रसाद चढ़ाएं और उसीसे अपना व्रत भी तोड़ें।उस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।
👉🏻 ये उपाय करें
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद तांबे के लोटे से सूर्यदेव को अर्ध्य देें। पानी में आकड़े के फूल जरूर मिलाएं। आंकड़े के फूल भगवान शिवजी को विशेष प्रिय हैं । ये उपाय करने से सूर्यदेव सहित भगवान शिवजी की कृपा भी बनी रहती है और भाग्योदय भी हो सकता है।