
अक्षय तृतीया पर राहगीरों को पिलाया गन्ने का रस व जल सेवा का किया शुभारंभ।
सुजानगढ़ मे जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर 1008 आदिनाथ भगवान ने एक वर्ष की पूर्ण तपस्या करने के पश्चात इक्षु (शोरडी-गन्ने) रस से पारायण किया था। जैन धर्मावलंबियों का मानना है कि गन्ने के रस को इक्षुरस भी कहते हैं इस कारण यह दिन इक्षु तृतीया एवं अक्षय तृतीया के नाम से विख्यात हो गया।
समिति के उपाध्यक्ष महावीर प्रसाद पाटनी ने बताया कि प्रवासी निवासी श्री दिगम्बर जैन समाज के भामाशाहो के सहयोग से संचालित सुजलांचल विकास मंच समिति के सेवा प्रकल्प कार्यक्रम के अंतर्गत समिति के परम संरक्षक आदरणीय कंवरीलाल जी काला की प्रेरणा से मानव सेवा को अति उत्तम कर्म मानकर राहगीरों की सुविधार्थ शीतल जल सेवा कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया व इस सेवा के अंतर्गत राहगीरों को मीठा व ठंडा पानी उपलब्ध मिलेगा।
इस अवसर पर श्रीमान कंवरीलाल जी काला एवं उनके सुपुत्र श्रीमान जितेंद्र कुमार जी,मनोज कुमार जी,नवीन कुमार जी काला परिवार द्वारा गन्ने के रस की व्यवस्था राहगीरों के लिए की गई। कार्यक्रम में श्री दिगम्बर जैन समाज के अध्यक्ष श्री सुनील जी सडुवाला ,पूर्व अध्यक्ष विमल जी पाटनी मंत्री श्री पारसमल जी बगड़ा, उपाध्यक्ष श्री लालचंद जी बगड़ा, संतोष जी गंगवाल,सुमित पाटनी, विनीत छाबड़ा, सहित काफी संख्या में नगर के गणमान्य लोग उपस्थित थे। समिति के सचिव विनीत बगड़ा ने सेवा प्रकल्प में सहयोगी भामाशाओं का आभार प्रकट किया।