सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि व रवियोग (अहोरात्र) जाने आज का पंचाग पँ. श्रवण भारद्वाज के साथ
दिनांक – 16 मार्च 2021
वार – मंगलवार
तिथि – तृतीया
पक्ष – शुक्ल
माह – फाल्गुन
नक्षत्र – अश्विनी
योग – ब्रह्म
करण – तैतुल 07:50 बजे तक तत्पश्चातगर
चन्द्र राशि – मेष
सूर्य राशि – मीन
रितु – शिशिर
आयन – उत्तरायण
संवत्सर – शार्वरी
विक्रम संवत – 2077 विक्रम संवत
शाका संवत – 1942 शाका संवत
सूर्योदय – 06:44 बजे
सूर्यास्त – 18:42 बजे
दिन काल – 11 घण्टे 59 मिनट
रात्री काल – 12 घण्टे 01 मिनट
चंद्रोदय – 08:26 बजे
चंद्रास्त – 21:21 बजे
राहू काल – 15:42 – 17:12 अशुभ
अभिजित – 12:19 -13:07 शुभ
पंचक – नहीं
दिशाशूल – पश्चिम
समय मानक – मोमासर (बीकानेर)
सर्वार्थसिद्धि योग – अहोरात्र
अमृतसिद्धि योग – अहोरात्र
चोघडिया, दिन
रोग – 06:44 – 08:13 अशुभ
उद्वेग – 08:13 – 09:43 अशुभ
चर – 09:43 – 11:13 शुभ
लाभ – 11:13 – 12:43 शुभ
अमृत – 12:43 – 14:12 शुभ
काल – 14:12 – 15:42 अशुभ
शुभ – 15:42 – 17:12 शुभ
रोग – 17:12 – 18:42 अशुभ
चोघडिया, रात
काल – 18:42 – 20:12 अशुभ
लाभ – 20:12 – 21:42 शुभ
उद्वेग – 21:42 – 23:12 अशुभ
शुभ – 23:12 – 24:42* शुभ
अमृत – 24:42* – 26:12* शुभ
चर – 26:12* – 27:42* शुभ
रोग – 27:42* – 29:12* अशुभ
काल – 29:12* – 30:43* अशुभ
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
दिन (वार) – मंगलवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए । मंगलवार को बजरंगबली की पूजा का विशेष महत्व है।
मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।
मंगलवार के व्रत से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।
मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।
तिथि के स्वामी – तृतीया तिथि की स्वामिनी माँ गौरी और कुबेर देव जी और चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी है।
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- उत्तराषाढा नक्षत्र के देवता दस विश्वदेव जी एवं नक्षत्र के स्वामी सूर्य देव जी है ।
⚜️ दिशाशूल – मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है। यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
यात्रा शकुन- दलिया का सेवन कर यात्रा पर निकलें।
आज का मंत्र-ॐ अं अंगारकाय नम:।
आज का उपाय-हनुमान मंदिर में ध्वजा चढ़ाएं।
वनस्पति तंत्र उपाय- खैर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
विशेष – तृतीया तिथि में नमक एवं चतुर्थी को मूली का दान तथा भक्षण दोनों त्याज्य माना गया है। चतुर्थी को मूली एवं तिल का दान तथा भक्षण दोनों त्याज्य बताया गया है। तृतीया तिथि एक सबला और आरोग्यकारी तिथि मानी जाती है। इसकी स्वामी माता गौरी और कुबेर देवता हैं, जया नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभफलदायिनी मानी जाती है।
तृतीया तिथि में माँ गौरी जी की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है। तृतीया के दिन माँ गौरी का ध्यान करते हुए उन्हें दूध की मिठाई, फूल और चावल अर्पित करें एवं श्रद्धानुसार घी का दीपक जलाकर ’’ऊँ गौर्ये नमः’’ की एक माला का अवश्य ही जाप करें ।
कुबेर जी भी तृतीया तिथि के स्वामी माने गये हैं। शास्त्रों के अनुसार कुबेर जी देवताओं के कोषाध्यक्ष है अतः इस दिन इनकी भी पूजा करने से जातक को विपुल धन-धान्य, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
कुबेर देव रावण के सौतेले भाई है और या भगवान शिव जी के प्रिय सेवक , परम मित्र भी माने जाती है। घर में कुबेर देवता की फोटो को उत्तर दिशा की ओर लगाना चाहिए और इस दिशा को बिलकुल साफ रखना चाहिए ।
कुबेर मंत्र: “ऊँ श्रीं, ऊँ ह्रीं श्रीं, ऊँ ह्रीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय: नम:”।यदि इस मंत्र का जप किसी शिव मंदिर में अथवा बिल्वपत्र वृक्ष की जड़ों के समीप बैठकर करा जाये तो या बहुत अधिक उत्तम होता है, उस जातक को भगवान भोलेनाथ और कुबेर जी दोनों की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है ।