आज हैं विजया एकादशी, जाने महिमा एवं आज का पंचाग पँ. श्रवण भारद्वाज के साथ
दिनांक – 09 मार्च 2021
वार – मंगलवार
तिथि – एकादशी 15:01 बजे तक
पक्ष – कृष्ण पक्ष
माह – फाल्गुन
नक्षत्र – उत्तराषाढा 20:40 बजे तक
योग – वरियान 12:03 बजे तक
करण – बालव 15:01 बजे तक तत्पश्चात कौलव
चन्द्र राशि – मकर
सूर्य राशि – कुम्भ
रितु – शिशिर
आयन – उत्तरायण
संवत्सर – शार्वरी
विक्रम संवत – 2077 विक्रम संवत
शाका संवत – 1942 शाका संवत
सूर्योदय – 06:51 बजे
सूर्यास्त – 18:37 बजे
दिन काल – 11 घण्टे 46 मिनट
रात्री काल – 12 घण्टे 12 मिनट
चंद्रास्त – 14:47 बजे
चंद्रोदय – 29:01 बजे
राहू काल – 15:41 – 17:09 अशुभ
अभिजित – 12:21 -13:08 शुभ
पंचक – नहीं
दिशाशूल – उत्तर दिशा
समय मानक – मोमासर (बीकानेर)
चोघडिया, दिन
रोग – 06:51 – 08:20 अशुभ
उद्वेग – 08:20 – 09:48 अशुभ
चर – 09:48 – 11:16 शुभ
लाभ – 11:16 – 12:45 शुभ
अमृत – 12:45 – 14:13 शुभ
काल – 14:13 – 15:41 अशुभ
शुभ – 15:41 – 17:09 शुभ
रोग – 17:09 – 18:38 अशुभ
चोघडिया, रात
काल – 18:38 – 20:09 अशुभ
लाभ – 20:09 – 21:41 शुभ
उद्वेग – 21:41 – 23:12 अशुभ
शुभ – 23:12 – 24:44* शुभ
अमृत – 24:44* – 26:16* शुभ
चर – 26:16* – 27:47* शुभ
रोग – 27:47* – 29:19* अशुभ
काल – 29:19* – 30:50* अशुभ
विशेष – हर एकादशी को श्री विष्णु सहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख शांति बनी रहती है।
राम रामेति रामेति। रमे रामे मनोरमे।।
सहस्त्र नाम त तुल्यं। राम नाम वरानने।।
आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है
एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए
एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है | एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है।
आप सभी एकादशी व्रतियों को एकादशी व्रत की हार्दिक शुभकामनायें।
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
दिन (वार) – मंगलवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए । मंगलवार को बजरंगबली की पूजा का विशेष महत्व है।
मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।
मंगलवार के व्रत से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।
मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।
तिथि के स्वामी – एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेव जी और द्वादशी तिथि के स्वामी भगवान श्री विष्णु जी है।आज 9 मार्च मंगलवार को फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी विजया एकादशी हैं।
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- उत्तराषाढा नक्षत्र के देवता दस विश्वदेव जी एवं नक्षत्र के स्वामी सूर्य देव जी है ।
दिशाशूल – मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है। यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
यात्रा शकुन- दलिया का सेवन कर यात्रा पर निकलें।
आज का मंत्र-ॐ अं अंगारकाय नम:।
आज का उपाय-हनुमान मंदिर में बेसन के लड्डू चढ़ाएं।
वनस्पति तंत्र उपाय- खैर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
9 मार्च को विजया एकादशी व्रत है। एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान विष्णु की उपासना कर उनसे जीवन में आने वाले कठिनाइयों को दूर करने के में मदद मिलती है।
विशेष – एकादशी तिथि को चावल एवं दाल नहीं खाना चाहिये तथा द्वादशी को मसूर नहीं खाना चाहिये ये इन तिथियों में त्याज्य बताया गया है। एकादशी को चावल न खाने अथवा रोटी खाने से व्रत का आधा फल सहज ही प्राप्त हो जाता है। एकादशी तिथि एक आनन्द प्रदायिनी और शुभ फलदायिनी तिथि मानी जाती है। एकादशी को सूर्योदय से पहले स्नान के जल में आँवला या आँवले का रस डालकर स्नान करना चाहिये। इससे पुण्यों कि वृद्धि, पापों का क्षय एवं भगवान नारायण के कृपा कि प्राप्ति होती है।
एकादशी के दिन जल में आँवले का चूर्ण या आँवले का रस डाल कर स्नान करने से समस्त पापो का नाश होता है।
एकादशी के दिन रात्रि में भगवान विष्णु के सामने नौ बत्तियों का दीपक जलाएं और एक दीपक ऐसा जलाएं जो रात भर जलता रहे।
एकादशी के दिन चावल और दूसरे का अन्न खाना मना है । एकादशी के दिन चावल खाने से रोग और पाप बढ़ते है, एकादशी के दिन दूसरे का अन्न खाने से समस्त पुण्यों का नाश हो जाता है ।
एकादशी के दिन भगवान विष्णु जी के मन्त्र “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” अथवा ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। का आशिक से अधिक जाप करना चाहिए ।
एकादशी के दिन प्रांत: भगवान विष्णु की पूजा करते समय कुछ पैसे विष्णु भगवान की मूर्ति या तस्वीर के सामने रख दें। फिर पूजन करने के बाद यह पैसे अपने पर्स में रख लें। अब हर एकादशी को पूजन के समय यह सिक्के भी पर्स से निकाल कर पूजा में रखा करें और पूजन के बाद फिर से अपनी जेब में रख लें । इस उपाय को करने से कभी भी पैसों की तंगी नहीं रहती है।