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कल हैं संकष्ट चतुर्थी व्रत, तृतीया तिथि क्षय, जाने आज का पंचाग

दिनांक :- 01 मार्च 2021
वार :- सोमवार
तिथि :- द्वितीया 08:35 बजे तक तत्पश्चात तृतीया
पक्ष :- कृष्ण
माह :- फाल्गुन
नक्षत्र :- उत्तर फाल्गुनी 07:35 बजे तक तत्पश्चात हस्त नक्षत्र
योग :- शूल
करण :- गर
करण :- वणिज 19:10 बजे तक तत्पश्चात विष्टि भद्र
चन्द्र राशि :- कन्या
सूर्य राशि :- कुम्भ
रितु :- शिशिर
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 06:59 बजे
सूर्यास्त :- 18:33 बजे
दिन काल :- 11 घण्टे 33 मिनट रात्री काल :- 12 घण्टे 25 मिनट
चंद्रास्त :- 08:27 बजे
चंद्रोदय :- 20:48 बजे
राहू काल :- 08:27 – 09:53 अशुभ
अभिजित :- 12:23 -13:10 शुभ
पंचक :- नहीं
दिशाशूल :- पूर्व दिशा में
समय मानक :- मोमासर (बीकानेर)
चोघडिया, दिन
अमृत :- 06:59 – 08:27 शुभ
काल :- 08:27 – 09:53 अशुभ
शुभ :- 09:53 – 11:20 शुभ
रोग :- 11:20 – 12:46 अशुभ
उद्वेग :- 12:46 – 14:13 अशुभ
चर :- 14:13 – 15:40 शुभ
लाभ :- 15:40 – 17:06 शुभ
अमृत :- 17:06 – 18:33 शुभ
चोघडिया, रात
चर :- 18:33 – 20:06 शुभ
रोग :- 20:06 – 21:39 अशुभ
काल :- 21:39 – 23:13 अशुभ
लाभ :- 23:13 – 24:46* शुभ
उद्वेग :- 24:46* – 26:19* अशुभ
शुभ :- 26:19* – 27:52* शुभ
अमृत :- 27:52* – 29:26* शुभ
चर :- 29:26* – 30:59* शुभ
महा मृत्युंजय मंत्र – ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।
☄️ दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से पुत्र का अनिष्ट होता है शिवभक्ति को भी हानि पहुँचती है अत: सोमवार को ना तो बाल और ना ही दाढ़ी कटवाएं ।
सोमवार के दिन भगवान शंकर की आराधना, अभिषेक करने से चन्द्रमा मजबूत होता है, काल सर्प दोष दूर होता है।
सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।
जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है ।
📝 तिथि के स्वामी – द्वितीया तिथि के स्वामी भगवान ब्रह्मा जी और तृतीया तिथि की स्वामी माँ गौरी और कुबेर देव जी है।
⚜️ दिशाशूल – सोमवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दर्पण देखकर, दूध पीकर जाएँ ।
✍🏼 विशेष – द्वितीया तिथि को कटेरी फल का तथा तृतीया तिथि को नमक का दान और भक्षण दोनों त्याज्य बताया गया है। द्वितीया तिथि सुमंगला और कार्य सिद्धिकारी तिथि मानी जाती है। इस द्वितीया तिथि के स्वामी भगवान ब्रह्माजी हैं। यह द्वितीया तिथि भद्रा नाम से विख्यात मानी जाती है। यह द्वितीया तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभ फलदायिनी होती है।
⚜️ व्यासलिखित पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के चार मुख हैं, जो चार दिशाओं में देखते हैं। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा को स्वयंभू (स्वयं जन्म लेने वाला) और चार वेदों का निर्माता माना गया है। ब्रह्मा की उत्पत्ति विष्णु की नाभि से निकले कमल से मानी गयी है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी के एक मुँह से हर वेद निकला था।
देवी सावित्री ब्रह्मा जी की पत्नी, माँ सरस्वती ब्रह्मा जी की पुत्री, सनकादि ऋषि,नारद मुनि और दक्ष प्रजापति इनके पुत्र और इनका वाहन हंस है।
ब्रह्मा जी ने अपने चारो हाथों में क्रमश: वरमुद्रा, अक्षरसूत्र, वेद तथा कमण्डलु धारण किया है।
द्वितीया तिथि को ब्रह्मचारी ब्राह्मण की पूजा करना एवं उन्हें भोजन, अन्न, वस्त्र आदि का दान देना बहुत शुभ माना गया है।
शुक्ल पक्ष की द्वितीया में भगवान शंकर जी माँ पार्वती के संग होते हैं इसलिए भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि में भगवान शंकर की पूजा करना उत्तम नहीं माना जाता है।


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