फाल्गुन मास प्रारम्भ, गुरु प्रतिपदा आज, जाने पंचाग व मुहूर्त पँ. श्रवण भारद्वाज के साथ
दिनांक :- 28 फरवरी 2021
वार :- रविवार
तिथि :– प्रथम (गुरु प्रतिपदा) 11:18 बजे तक
पक्ष :- कृष्ण पक्ष
माह :- फाल्गुन
नक्षत्र :- पूर्व फाल्गुनी 09:34 तक
योग :- धृति
करण :- कौलव 11:18 बजे तक तत्पश्चात तैतुल
चन्द्र राशि :- सिंह 15:06 बजे तक तत्पश्चात कन्या
सूर्य राशि :- कुम्भ
रितु :- शिशिर
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 07:01 बजे
सूर्यास्त :- 18:32 बजे
दिन काल :- 11 घण्टे 31 मिनट
रात्री काल :- 12 घण्टे 27 मिनट
चंद्रास्त :- 07:50 बजे
चंद्रोदय :- 19:44 बजे
राहू काल :- 17:06 – 18:32 अशुभ
अभिजित :- 12:24 -13:10 शुभ
पंचक :- नहीं
दिशाशूल :- पश्चिम दिशा में
चोघडिया, दिन
उद्वेग :- 07:01 – 08:27 अशुभ
चर :- 08:27 – 09:54 शुभ
लाभ :- 09:54 – 11:20 शुभ
अमृत :- 11:20 – 12:47 शुभ
काल :- 12:47 – 14:13 अशुभ
शुभ :- 14:13 – 15:39 शुभ
रोग :- 15:39 – 17:06 अशुभ
उद्वेग :- 17:06 – 18:32 अशुभ
चोघडिया, रात
शुभ :- 18:32 – 20:06 शुभ
अमृत :- 20:06 – 21:39 शुभ
चर :- 21:39 – 23:13 शुभ
रोग :- 23:13 – 24:46* अशुभ
काल :- 24:46* – 26:20* अशुभ
लाभ :- 26:20* – 27:53* शुभ
उद्वेग :- 27:53* – 29:26* अशुभ
शुभ :- 29:26* – 30:59* शुभ
💥 विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।
💥 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
💥 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।
💥 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए।
💥 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं।
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
🌠 रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
📝 तिथि का स्वामी – प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव और द्वितीया तिथि के स्वामी भगवान ब्रह्मा जी है ।
🪙 नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र के देवता भग (धन व ऐश्वर्य के देवता) और स्वामी शुक्र देव जी है।
⚜️ दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।
🚕 यात्रा शकुन- इलायची खाकर यात्रा प्रारंभ करें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।
🤷🏻♀️ आज का उपाय-बहते जल में आठ बादाम प्रवाहित करें।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
✍🏼 विशेष – प्रतिपदा को कद्दू एवं कूष्माण्ड तथा द्वितीया तिथि को कटेरी के फल का दान एवं भक्षण दोनों ही त्याज्य बताया गया है। प्रतिपदा तिथि वृद्धि और सिद्धिप्रद तिथि मानी जाती है। इसके स्वामी अग्नि देवता हैं और यह तिथि नन्दा नाम से विख्यात है।
यह प्रतिपदा तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभ फलदायिनी मानी जाती है। आज अग्निदेव से धन एवं तेज प्राप्त करने अथवा किसी विशिष्ट मनोकामना की पूर्ति करवायी जा सकती हैं। इसके लिए आज अग्नि घर पर ही प्रज्ज्वलित करके घी से (ॐ अग्नये नम: स्वाहा) इस मन्त्र से हवन करना चाहिये।
🌷 आर्थिक तकलीफ़ हो तो
💰 किसी को आर्थिक तकलीफ़ हो तो होली की पूनम के दिन एक समय ही खाना खायें, एक वक़्त उपवास करें अथवा तो नमक बिना का भोजन करें होली की रात को खीर बनायें और चंद्रमा को भोग लगाकर उसे लें; दिया दिखा दें चंद्रमा को; एक लोटे में जल लेकर उसमें चावल, शक्कर, कुमकुम, फूल, आदि डाल दें और चंद्रमा को ये मंत्र बोलते हुए अर्घ्य दें;
🌷 दधीशंख: तुषाराभम् क्षीरोरदार्णव संनिभम्
नमामि शशिनं सोमं शम्भोर्मुकुटभूषणम्
🌙 हे चंद्र देव! भगवान शिवजी ने आपको अपने बालों में धारण किया है, आपको मेरा प्रणाम है।
➡ अगर पूरा मंत्र याद न रहे तो “ॐ सोमाय नमः , ॐ सोमाय नमः” , इस मंत्र का जप कर सकते हैं।
माघ पूर्णिमा पर 27 फरवरी से कुंभ मेले की शुरुआत हो रही है। कुंभ मेला करीब दो माह तक चलता है। इस महाकुंभ को लेकर उत्तरांखड के हरिद्वार में तैयारियां जोरों पर हैं। इस बार का महाकुंभ ना केवल कोरोना काल और सुरक्षा गाइडलाइंस को लेकर खास है बल्कि अपने खास संयोग की वजह से भी ज्यादा चर्चा में है। जानें साल 2021 में होने वाले इस महाकुंभ की खासियत।
🌏 11 साल बाद बनने जा रहा है खास संयोग
वैसे तो 12 साल बाद हरिद्वार और प्रयाग में कुंभ महापर्व का आयोजन होता है। लेकिन इस बार 11 साल बाद ऐसा संयोग बन रहा है जिससे कि हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है। हरिद्वार में कुंभ का आयोजन तब होता है जब सूर्य देव मेष में और गुरु कुंभ राशि में स्थित होते हैं। ऐसा संयोग 2021 में बनने जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि गुरु कुंभ राशि में 5 अप्रैल की मध्य रात्रि में प्रवेश कर जाएंगे और 14 अप्रैल को सूर्य देव मेष राशि में आएंगे।
🏊🏻♀️ कुंभ में स्नान का महत्व
हिंदू धर्म में कुंभ महापर्व का विशेष धार्मिक महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कुंभ स्नान करने से मनुष्य को सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही स्नान करने से पितृ शांत होते हैं और अपना आशीर्वाद बनाए रखते हैं।
⚜️ पुराणों में आठ दिशाओं के आठ रक्षक देवता हैं जिन्हें अष्ट-दिक्पाल कहते हैं। इनमें दक्षिण-पूर्व (आग्नेय) दिशा के रक्षक अग्निदेव हैं। इसीलिए अग्निदेव की प्रतिमा मंदिर के दक्षिण-पूर्वी कोण में स्थापित होती है।
पौराणिक युग में अग्नि देव के ऊपर अग्नि पुराण नामक एक ग्रन्थ भी रचित हुआ। अग्निदेव सब देवताओं के मुख हैं और यज्ञ में इन्हीं के द्वारा देवताओं को समस्त यज्ञ-वस्तु प्राप्त होती है। अग्निदेव में प्रेम पूर्वक ‘‘स्वाहा‘‘ कहकर दी हुई आहुतियों को अग्नि देव अपनी सातो जिह्वाओं से ग्रहण करते है, इससे तीनो देव ब्रह्मा – विष्णु – महेश तथा समस्त देव स्वत: ही तृप्त हो जाते है ।
अग्नि देव की पत्नी का नाम स्वाहा हैं जो कि दक्ष प्रजापति तथा आकूति की पुत्री थीं। अग्निदेव की पत्नी स्वाहा के पावक, पवमान और शुचि नामक तीन पुत्र और पुत्र-पौत्रों की संख्या उनंचास है।
प्रतिपदा तिथि के दिन अग्नि देव के मन्त्र “ॐ अग्नये स्वाहा” का जाप अवश्य ही करें । शास्त्रों में अग्निदेव का बीजमन्त्र “रं” तथा मुख्य मन्त्र “रं वह्निचैतन्याय नम:” है।
कोई भी ग्रह विपरीत हो तो
किसी का विपरीत हो या कष्टदायी हो रहा हो तो शिवजी की पूजा करने से सब शांत रहते हैं । सब ग्रहों के स्वामी हैं शिवजी हैं।