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माघी पूर्णिमा, माघ स्नान समाप्त, हरिद्वार कुंभ स्नान, जाने आज का पंचाग पँ. श्रवण भारद्वाज के साथ

दिनांक :– 27 फरवरी 2021
वार :– शनिवार
तिथि :– पूर्णिमा 13:46 बजे तक
पक्ष :– शुक्ल पक्ष
माह :– माघ
नक्षत्र :- मघा 11:17 बजे तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र शुरू
चन्द्र राशि :– सिंह
सूर्य राशि :– कुम्भ
रितु :– शिशिर
आयन :– उत्तरायण
संवत्सर :– शार्वरी
विक्रम संवत :– 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :– 1942 शाका संवत
सूर्योदय :– 07:02 बजे
सूर्यास्त :– 18:31 बजे
दिन काल :– 11 घण्टे 30 मिनट रात्री काल :– 12 घण्टे 29 मिनट
चंद्रोदय :– 18:39 बजे
चंद्रास्त :– 31:36 बजे
राहू काल :– 09:54 – 11:21 अशुभ
अभिजित :– 12:24 -13:10 शुभ
पंचक :– नहीं
दिशाशूल :– पूर्व दिशा में
समय मानक :– मोमासर (बीकानेर)
चोघडिया, दिन
काल :– 07:02 – 08:28 अशुभ
शुभ :– 08:28 – 09:54 शुभ
रोग :– 09:54 – 11:21 अशुभ
उद्वेग :– 11:21 – 12:47 अशुभ
चर :– 12:47 – 14:13 शुभ
लाभ :– 14:13 – 15:39 शुभ
अमृत :– 15:39 – 17:05 शुभ
काल :― 17:05 – 18:32 अशुभ
चोघडिया, रात
लाभ :– 18:32 – 20:05 शुभ
उद्वेग :– 20:05 – 21:39 अशुभ
शुभ :– 21:39 – 23:13 शुभ
अमृत :– 23:13 – 24:46* शुभ
चर :– 24:46* – 26:20* शुभ
रोग :– 26:20* – 27:54* अशुभ
काल :– 27:54* – 29:27* अशुभ
लाभ :– 29:27* – 31:01* शुभ
💥विशेष – पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
💥ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’
💥 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय।’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है।
💥 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
☄️ दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात शनिवार को पीपल वृक्ष में मिश्री मिश्रित दूध से अर्घ्य देने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। पीपल के नीचे सायंकालीन समय में एक चतुर्मुख दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी ग्रह दोषों की निवृति हो जाती है।
पुराणों में वर्णित है कि पिप्पलाद ऋषि ने अपने बचपन में माता पिता के वियोग का कारण शनि देव को जानकर उनपर ब्रह्म दंड से प्रहार कर दिया, जिससे शनि देव घायल हो गए। देवताओं की प्रार्थना पर पिप्पलाद ऋषि ने शनि देव को इस बात पर क्षमा किया कि शनि जन्म से लेकर 16 साल तक की आयु तक एवं उनके भक्तो को किसी को भी कष्ट नहीं देंगे। तभी से पिप्पलाद का स्मरण करने से ही शनि देव के प्रकोप से मुक्ति मिल जाती है।
शिवपुराण के अनुसार शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि की पीड़ा शान्त हो जाती है ।
📝 तिथि का स्वामी – पूर्णिमा तिथि के स्वामी भगवान चंद्र देव और प्रतिपदा तिथि के स्वामी अग्नि देव जी है।
🪙 नक्षत्र के स्वामी –मघा नक्षत्र के देवता पितर देव और नक्षत्र स्वामी केतु जी है ।
⚜️ दिशाशूल – शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
🌕 व्रत- फाल्गुन कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि लग जायेगी। इसलिए शनिवार को ही स्नान दान की माघी पूर्णिमा है। शास्त्रों के अनुसार पूरे माघ महीने के दौरान स्नान और दान का महत्व बताया गया है, लेकिन जो लोग पूरे माघ महीने के दौरान स्नान-दान का लाभ ना उठा पाए हों, वो माघी पूर्णिमा के दिन इन सब चीज़ों का लाभ उठा सकते हैं।
🚕 यात्रा शकुन-शर्करा मिश्रित दही खाकर घर से निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनयै नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-शनि मंदिर में सौंफ चढ़ाएं।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय-शमी के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
✍🏼 विशेष – पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए । पूर्णिमा के दिन ब्रह्यचर्य का पालन करना चाहिए । पूर्णिमा के दिन गरीब या जरुरतमंद को दान करने से माँ लक्ष्मी की कृपा मिलती है ।
⚜️ शास्त्रों के अनुसार माघ पूर्णिमा पर प्रात: पवित्र नदी अथवा घर पर ही जल में गंगा जल डाल कर स्नान करने से भगवान विष्णु की कृपा मिलती हैं और उन्हें जीवन में समस्त सांसारिक सुखो और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है
कहा जाता है कि माघी पूर्णिमा के दिन भगवान चंद्र देव अपनी पूर्ण कलाओं के साथ उदित होते है।
इस दिन दान का भी अत्यधिक महत्व है, माघ पूर्णिमा के दिन दान करने से समस्त पापो का नाश होता है, अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है ।
पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें।
पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए।
इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।पूर्णिमा के दिन लहसुन, प्याज, मांस-मदिरा आदि का सेवन नहीं ना करें, इस दिन परिवार में सुख-शांति बनायें रखे इस दिन क्रोध और हिंसा से दूर रहना चाहिए ।
सुख-शांति व बरकत के उपाय
🌿 तुलसी को रोज जल चढायें तथा गाय के घी का दीपक जलायें ।
🍃 सुबह बिल्वपत्र पर सफेद चंदन का तिलक लगाकर संकल्प करके शिवलिंग पर जल अर्पित करें तथा पूरी श्रद्धा से प्रार्थना करें |


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