कल हैं माघी पूर्णिमा, जाने आज का पंचाग पँ. श्रवण भारद्वाज के साथ
कल हैं माघी पूर्णिमा, जाने आज का पंचाग पँ. श्रवण भारद्वाज के साथ –
दिनांक :- 26 फरवरी 2021
वार :- शुक्रवार
तिथि :- चतुर्दशी 15:49 बजे तक तत्पश्चात पूर्णिमा शुरू
पक्ष :- शुक्ल पक्ष
माह :- माघ
नक्षत्र :- आश्लेषा 12:34 बजे तक तत्पश्चात मघा नक्षत्र शुरू
चन्द्र राशि :- कर्क 12:34 बजे तक तत्पश्चात सिंह राशि में
सूर्य राशि :- कुम्भ
रितु :- शिशिर
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 07:03 बजे
सूर्यास्त :- 18:31 बजे
दिन काल :- 11 घण्टे 28 मिनट
रात्री काल :- 12 घण्टे 31 मिनट
चंद्रोदय :- 17:34 बजे
चंद्रास्त :- 31:12 बजे
राहू काल :- 11:21 – 12:47 अशुभ
अभिजित :- 12:24 -13:10 शुभ
पंचक :- नहीं
दिशाशूल :- पश्चिम दिशा में
समय मानक :- मोमासर (बीकानेर)
चोघडिया, दिन
चर :- 07:03 – 08:29 शुभ
लाभ :- 08:29 – 09:55 शुभ
अमृत :- 09:55 – 11:21 शुभ
काल :- 11:21 – 12:47 अशुभ
शुभ :- 12:47 – 14:13 शुभ
रोग :- 14:13 – 15:39 अशुभ
उद्वेग :- 15:39 – 17:05 अशुभ
चर :- 17:05 – 18:31 शुभ
चोघडिया, रात
रोग :- 18:31 – 20:05 अशुभ
काल :- 20:05 – 21:39 अशुभ
लाभ :- 21:39 – 23:13 शुभ
उद्वेग :- 23:13 – 24:46* अशुभ
शुभ :- 24:46* – 26:20* शुभ
अमृत :- 26:20* – 27:54* शुभ
चर :- 27:54* – 29:28* शुभ
रोग :- 29:28* – 31:02* अशुभ
💥विशेष – चतुर्दशी और पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥
🌌 दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।
शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
✏️ तिथि का स्वामी – चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान भोलेनाथ और पूर्णिमा तिथि के स्वामी भगवान चंद्र देव ही है।
🪙 नक्षत्र के स्वामी – कृतिका नक्षत्र के देवता अग्नि देव और स्वामी सूर्य देव जी है।
⚜️ दिशाशूल – शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही खाकर जाएँ ।
🚕 यात्रा शकुन- शुक्रवार को मीठा दही खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।
🤷🏻♀️ आज का उपाय-मंदिर में मखाने अर्पित करें।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय-गूलर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
✍🏼 विशेष – चतुर्दशी को शहद और अमावस्या को मैथुन त्याज्य होता है। चतुर्दशी तिथि क्रूरा एवं उग्रा तिथि मानी जाती है, इस तिथि के देवता भगवान शिवजी हैं। इसीलिये चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का ज्यादा-से-ज्यादा पूजन, अर्चन एवं अभिषेक करना चाहिये। सामर्थ्य हो तो विशेषकर कृष्ण पक्ष कि चतुर्दशी तिथि को विद्वान् वैदिक ब्राह्मणों से विधिवत भगवान शिव का रुद्राभिषेक करवाना चाहिये।
⚜️ चतुर्दशी तिथि में रात्रि में शिव मंत्र या जागरण करना बहुत उत्तम रहता है।
किसी भी पक्ष की चतुर्दशी में शुभ कार्य करना वर्जित हैं क्योंकि इसे क्रूरा कहा जाता है, चतुर्दशी तिथि रिक्ता तिथियों की श्रेणी में आती है।
चतुर्दशी तिथि में जन्मा जातक समान्यता धर्मात्मा, धनवान, यशस्वी, साहसी, परिश्रमी तथा बड़ो का आदर सत्कार करने वाला होता है।
चतुर्दशी तिथि में जन्मे लोगों को क्रोध बहुत आता है। इस तिथि में जन्मे जातक साहसी और परिश्रमी होते हैं। इन लोगों को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है तभी इन्हे सफलता हाथ लगती है।
चतुर्दशी तिथि में जन्मे जातकों को नित्य भगवान शंकर की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
चतुर्दशी तिथि को समस्त संकटो से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र – ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्” का जाप करना अत्यंत फलदाई रहता है ।