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आज का पंचाग, शनिवार दिनांक – 06 जनवरी 2021

🌞आज का पंचाग🌞
दिनांक – 06 जनवरी 2021
वार – शनिवार
तिथि – नवमी 08:12 बजे तक तत्पश्चात दशमी शुरू
पक्ष – कृष्ण
माह – माघ
नक्षत्र – अनुराधा
योग – ध्रुव
करण – गर 08:12 बजे तक तत्पश्चात वणिज शुरू
चन्द्र राशि – वृश्चिक
सूर्य राशि – मकर
रितु – हेमंत
आयन – उत्तरायण
संवत्सर – शार्वरी
विक्रम संवत – 2077 विक्रम संवत
शाका संवत – 1942 शाका संवत
सूर्योदय – 07:19 बजे
सूर्यास्त – 18:16 बजे
दिन काल – 10 घण्टे 57 मिनट
रात्री काल – 13 घण्टे 02 मिनट
चंद्रास्त – 13:07 बजे
चंद्रोदय – 27:18 बजे
राहू काल – 10:04 – 11:26 अशुभ
अभिजित – 12:26 -13:10 शुभ
पंचक :- नहीं
दिशाशूल – पूर्व दिशा में
समय मानक – मोमासर बीकानेर
चोघडिया, दिन
काल – 07:20 – 08:42 अशुभ
शुभ – 08:42 – 10:04 शुभ
रोग – 10:04 – 11:26 अशुभ
उद्वेग – 11:26 – 12:48 अशुभ
चर – 12:48 – 14:10 शुभ
लाभ – 14:10 – 15:33 शुभ
अमृत – 15:33 – 16:55 शुभ
काल – 16:55 – 18:17 अशुभ
चोघडिया, रात
लाभ – 18:17 – 19:55 शुभ
उद्वेग – 19:55 – 21:32 अशुभ
शुभ – 21:32 – 23:10 शुभ
अमृत – 23:10 – 24:48* शुभ
चर – 24:48* – 26:26* शुभ
रोग – 26:26* – 28:03* अशुभ
काल – 28:03* – 29:41* अशुभ
लाभ – 29:41* – 31:19* शुभ
💥 विशेष – नवमी को लौकी खाना गोमांस के समान त्याज्य है।
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
☄️ दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म . शनिवार को पीपल वृक्ष में मिश्री मिश्रित दूध से अर्घ्य देने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। पीपल के नीचे सायंकालीन समय में एक चतुर्मुख दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी ग्रह दोषों की निवृति हो जाती है।
पुराणों में वर्णित है कि पिप्पलाद ऋषि ने अपने बचपन में माता पिता के वियोग का कारण शनि देव को जानकर उनपर ब्रह्म दंड से प्रहार कर दिया, जिससे शनि देव घायल हो गए। देवताओं की प्रार्थना पर पिप्पलाद ऋषि ने शनि देव को इस बात पर क्षमा किया कि शनि जन्म से लेकर 16 साल तक की आयु तक एवं उनके भक्तो को किसी को भी कष्ट नहीं देंगे। तभी से पिप्पलाद का स्मरण करने से ही शनि देव के प्रकोप से मुक्ति मिल जाती है।
शिवपुराण के अनुसार शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि की पीड़ा शान्त हो जाती है ।
📝 तिथि का स्वामी – नवमी तिथि की स्वामिनी माँ दुर्गा जी और दशमी तिथि के स्वामी यमराज जी है।
🚩 नक्षत्र के स्वामी –अनुराधा नक्षत्र के देवता मित्र, भैरव जी तथा स्वामी शनि देव जी है ।
⚜️ दिशाशूल – शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
🚕 यात्रा शकुन-शर्करा मिश्रित दही खाकर घर से निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनयै नम:।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय-मंदिर में इमरती चढाएं।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय-शमी के वृक्ष में जल चढ़ाएं।_
⚛️ पर्व व त्यौहार- मूल प्रारंभ
✍🏼 विशेष – नवमी तिथि को काशीफल (कोहड़ा एवं कद्दू) एवं दशमी को परवल खाना अथवा दान देना भी वर्जित अथवा त्याज्य होता है। नवमी तिथि एक उग्र एवं कष्टकारी तिथि मानी जाती है। इसकी अधिष्ठात्री देवी माता दुर्गा जी हैं। रिक्ता नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल व कृष्ण दोनों पक्षों में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है।
⚜️ नवमी तिथि की स्वामी देवी दुर्गा जी हैं ऎसे में जातक को दुर्गा जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए।
जीवन में यदि कोई संकट है अथवा किसी प्रकार की अड़चनें आने से काम नही हो पा रहा है तो जातक को चाहिए की दुर्गा सप्तशती के पाठ को करे और मां दुर्गा जी को लाल पुष्प अर्पित करके अपने जीवन में आने वाले संकटों को दूर करने की प्रार्थना करे।
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
शुक्ल पक्ष की नवमी में भगवान शिव का पूजन करना वर्जित है लेकिन कृष्ण पक्ष की नवमी में शिव का पूजन करना उत्तम माना गया है।
अनुराधा नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को ॐ अनुराधाभ्यो नमः। मन्त्र माला का जाप अवश्य करना चाहिए ।
जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करें, सूर्य देव के नामों का स्मरण करें । इस नक्षत्र के जातको को भगवान शिव और विष्णु जी की पूजा करने से भी शुभ फलो की प्राप्ति होती है ।
🌷 एकादशी व्रत के लाभ🌷
➡ 07 फरवरी 2021 रविवार को प्रातः 06:27 से 08 फरवरी, सोमवार को प्रातः 04:47 तक एकादशी हैं (यानी 07 फरवरी रविवार को षटतिला एकादशी स्मार्त एवं 08 फरवरी सोमवार को षटतिला एकादशी भागवत)
💥 विशेष – 08 फरवरी, सोमवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।
🙏🏻 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
🙏🏻 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
🙏🏻 जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
🙏🏻 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
🙏🏻 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
🙏🏻 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
🙏🏻 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।
🌷निरापद पद की प्राप्ति में सहायक व्रत🌷
➡ (षट्तिला एकादशी : 08 फरवरी )
🙏🏻 धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान् श्रीकृष्ण से पूछा : “देव ! माघ (गुजरात-महाराष्ट्र के अनुसार पौष) मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी का माहात्म्य मैं जानना चाहता हूँ |
🙏🏻 भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं : “यह एकादशी ‘षट्तिला’ के नाम से विख्यात है | पुलस्त्य ऋषि ने दाल्भ्य ऋषि से इसके माहात्म्य का वर्णन किया था | इस एकादशी का व्रत पापों का शमन करता है | जीव को निरापद पद की प्राप्ति के लिए षट्तिला एकादशी का व्रत करना चाहिए, सर्वव्यापक भगवान हरि का पूजन करना चाहिए | काम=क्रोध आदि से लिप्त नीच कर्मों और अति भाषण का त्याग करके मौन का अवलम्बन लेना चाहिए और भगवत्सुमिरन बढ़ाकर भगवदरस लेते हुए रात्रि का जागरण करना चाहिए | (रात्रि में १२ बजे तक का जागरण ) ”
👉🏻 इस दिन तिलों का ६ जगह उपयोग कर लेना चाहिए –
➡ १] तिल, आँवला आदि मिलाकर बना उबटन लगाना |
➡ २] जल में तिल डालकर स्नान करना |
➡ ३] पीनेवाले जल में तिल डाल के पानी पीना |
➡ ४] भोजन में तिल का उपयोग करना |
➡ ५] तिल का दान करना और
➡ ६] हवन-यज्ञ में तिल का उपयोग करना |
तिल हितकारी हैं परन्तु रात्रि में तिल-मिश्रित पदार्थ का सेवन हानि करता है | दही और तिल रात्रि को नहीं खाने चाहिए | जो षट्तिला एकादशी का उपवास करते हैं वे भी तिल-शक्कर की चिक्की अथवा लड्डू खा सकते हैं |
एकादशी के दिन करने योग्य
एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें …….विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे l
एकादशी के दिन ये सावधानी रहे
महीने में १५-१५ दिन में एकादशी आती है एकादशी का व्रत पाप और रोगों को स्वाहा कर देता है लेकिन वृद्ध, बालक और बीमार व्यक्ति एकादशी न रख सके तभी भी उनको चावल का तो त्याग करना चाहिए एकादशी के दिन जो चावल खाता है… तो धार्मिक ग्रन्थ से एक- एक चावल एक- एक कीड़ा खाने का पाप लगता है…ऐसा डोंगरे जी महाराज के भागवत में डोंगरे जी महाराज ने कहा


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