आज का पंचाग- दिनांक :- 04 फरवरी 2021
🌞आज का पंचाग🌞
दिनांक :- 04 फरवरी 2021
वार :- गुरुवार
तिथि :- सप्तमी 12:07 बजे तक तत्पश्चात अष्टमी शुरू
पक्ष :- कृष्ण
माह :- माघ
नक्षत्र :- स्वाति 19:44 बजे तक तत्पश्चात विशाखा नक्षत्र शुरू
योग :- गण्ड
करण :- बव 12:07 बजे तक तत्पश्चात बालव
चन्द्र राशि :- तुला
सूर्य राशि :- मकर
रितु :- हेमंत
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 07:21 बजे
सूर्यास्त :- 18:15 बजे
दिन काल :- 10 घण्टे 54 मिनट रात्री काल :- 13 घण्टे 05 मिनट
चंद्रास्त :- 11:42 बजे
चंद्रोदय :- 25:07 बजे
राहू काल :- 14:10 – 15:32 अशुभ
अभिजित :- 12:26 -13:10 शुभ
पंचक :- नहीं
दिशाशूल :- दक्षिण दिशा में
समय मानक :- मोमासर (बीकानेर) राज.
चोघडिया, दिन
शुभ :- 07:21 – 08:43 शुभ
रोग :- 08:43 – 10:04 अशुभ
उद्वेग :- 10:04 – 11:26 अशुभ
चर :- 11:26 – 12:48 शुभ
लाभ :- 12:48 – 14:10 शुभ
अमृत :- 14:10 – 15:32 शुभ
काल :- 15:32 – 16:53 अशुभ
शुभ :- 16:53 – 18:15 शुभ
चोघडिया, रात
अमृत :- 18:15 – 19:53 शुभ
चर :- 19:53 – 21:31 शुभ
रोग :- 21:31 – 23:10 अशुभ
काल :- 23:10 – 24:48* अशुभ
लाभ :- 24:48* – 26:26* शुभ
उद्वेग :- 26:26* – 28:04* अशुभ
शुभ :- 28:04* – 29:42* शुभ
अमृत :- 29:42* – 31:20* शुभ
💥 विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है।
राम रामेति रामेति, रमे रामे मनोरमे ।
*सहस्रनाम तत्तुल्यं, रामनाम वरानने ॥
🌌 दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति) गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए । गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं । इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।
गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है।
✏️ तिथि का स्वामी – सप्तमी तिथि के स्वामी सूर्य देव जी और अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शंकर जी है ।
⚜️ दिशाशूल – गुरुवार के दिन दक्षिण दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो दही खा कर यात्रा कर सकते है।
🚕 यात्रा शकुन- बेसन से बनी मिठाई खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवै नम:।
🤷🏻♀️ आज का उपाय-मंदिर में पीले फल चढ़ाएं।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय-पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
✍🏼 विशेष – सप्तमी तिथि को आँवला एवं अष्टमी को नारियल त्याज्य बताया गया है। सप्तमी तिथि मित्रप्रद एवं शुभ तिथि मानी जाती है। इस तिथि के स्वामी भगवान सूर्य हैं तथा भद्रा नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल एवं कृष्ण दोनों पक्षों में मध्यम फलदायीनी मानी जाती है। इस तिथि को सुबह सर्वप्रथम स्नान करके भगवान सूर्य को सूर्यार्घ देकर उनका पूजन करना चाहिये। उसके बाद आदित्यह्रदयस्तोत्रम् का पाठ करना चाहिये। इससे जीवन में सुख, समृद्धि, हर्ष, उल्लास एवं पारिवारिक सुखों कि सतत वृद्धि होती है एवं सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।
🌞अनजाने में फर्श पर तेल या घी गिर जाए तो
घर में कई बार गलती से तेल या घी गिर जाता है. कई लोग इसे अशुभ मानते हैं. ज्योतिष के मुताबिक, तेल या घी का गिरना इस बात का संकेत है कि आपका बुरा समय आने वाला है.
भारतीय संस्कृति में कोई भी मांगलिक कार्य सरसों के तेल के बिना नहीं किया जाता है. खाने में स्वाद बढ़ाने से लेकर मालिश तक में सरसों के तेल का इस्तेमाल होता है.
तेल को शनि ग्रह का प्रतीक माना गया है. नवग्रहों में शनि को न्याय का देवता माना जाता है. अगर तेल गलती से गिर जाए तो कार्यों में बाधाएं आती हैं और धन हानि होने लगती है.
ठीक इसी तरह घी बृहस्पति का प्रतीक माना जाता है और बृहस्पति धर्म का देवता माना जाता है. घी गिरना धर्म की हानि मानी जाती है. इसकी वजह से घर के सदस्यों के बीच मतभेद होने लगता है.
अगर अनजाने में फर्श पर तेल या घी गिर जाए तो उसे उसी बर्तन में उठाकर ना रखें जिससे वो गिरा है और ना ही इसका इस्तेमाल करें वरना आपके हर कार्य में बाधा आएगी.
गिरा हुआ तेल उसी बर्तन में डालने या फिर इस्तेमाल करने से घर में दरिद्रता भी आती है. इसलिए ऐसा करने से बचें.
तेल गिरने का दोष हटाने के लिए रोटी या चावल में वो तेल लगा लें और इसे किसी जानवर को खिला दें. इससे ये दोष घर से बाहर निकल जाएगा और घर के किसी सदस्य पर नहीं आएगा.
⚜️ सप्तमी के स्वामी भगवान सूर्य देव हैं। इस दिन आदित्यह्रदय स्रोत्र का पाठ अवश्य करें।
सप्तमी को काले, नीले वस्त्रो को धारण नहीं करना चाहिए। सप्तमी का विशेष नाम ‘मित्रपदा’ है।
सप्तमी तिथि को शुभ प्रदायक माना गया है, इस तिथि में जातक को सूर्य का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है ।
सप्तमी तिथि में जन्मा जातक भाग्यशाली, गुणवान, तेजयुक्त होता है उसकी काबिलियत से उसे सभी क्षेत्रो में सम्मान प्राप्त होता है।
सप्तमी तिथि के दिन उत्साह से भरे, शुभ मंगल कार्य करना शुभ माना जाता है। किसी नए स्थान की यात्रा करना, नए कार्यो को करने के लिए भी यह तिथि शुभ मानी जाती है।
नए वस्त्र एवं गहनों को धारण करना, विवाह, नृत्य- संगीत जैसे काम करना भी इस दिन उत्तम होता है। चूड़ा कर्म, अन्नप्राशन, उपनयन जैसे शुभ संस्कार इस तिथि समय पर किए जाते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का भी दिन माना जाता है, जो समस्त संकटों का नाश करने वाली हैं। अत: इस दिन माँ काली की आराधना, स्मरण अवश्य करें
🙏🏻 शुक्रवार के दिन जो लोग अपने जीवन में सुख सौभाग्य और ऐश्वर्य को बढ़ाना चाहे वे शुक्रवार का व्रत करें | व्रत मतलब नमक -मिर्च बिना का भोजन ..खीर आदि खा सकते हैं और जप ज्यादा करें |