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आज है चतुर्थी व्रत, सर्वार्थसिद्धि योग व भद्रा जाने आज का पंचाग भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ

🌞आज का पंचाग🌞
आज है चतुर्थी व्रत, सर्वार्थसिद्धि योग व भद्रा जाने आज का पंचाग भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ –
दिनांक :- 31 जनवरी 2021
वार :- रविवार
तिथि :- तृतीया 20:24 बजे तक
पक्ष :- कृष्ण पक्ष
माह :- माघ
नक्षत्र :- पूर्व फाल्गुनी
योग :- शोभन
करण :- वणिज 09:20 बजे तक तत्पश्चात विष्टि भद्र
चन्द्र राशि :- सिंह
सूर्य राशि :- मकर
ऋतु :- हेमंत
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 07:23 बजे
सूर्यास्त :- 18:12 बजे
दिन काल :- 10 घण्टे 49 मिनट
रात्री काल :- 13 घण्टे 10 मिनट
चंद्रास्त :- 09:17 बजे
चंद्रोदय :- 20:54 बजे
राहू काल :- 16:51 – 18:12 अशुभ
अभिजित :- 12:26 -13:09 शुभ
भद्रा :- 09:20 बजे से शाम 08:30 बजे तक
पंचक :- नहीं
दिशाशूल :- पश्चिम दिशा
समय मानक :- मोमासर (बीकानेर)
चोघडिया, दिन
उद्वेग :- 07:23 – 08:44 अशुभ
चर :- 08:44 – 10:05 शुभ
लाभ :- 10:05 – 11:26 शुभ
अमृत :- 11:26 – 12:48 शुभ
काल :- 12:48 – 14:09 अशुभ
शुभ :- 14:09 – 15:30 शुभ
रोग :- 15:30 – 16:51 अशुभ
उद्वेग :- 16:51 – 18:12 अशुभ
चोघडिया, रात
शुभ :- 18:12 – 19:51 शुभ
अमृत :- 19:51 – 21:30 शुभ
चर :- 21:30 – 23:09 शुभ
रोग :- 23:09 – 24:47* अशुभ
काल :- 24:47* – 26:26* अशुभ
लाभ :- 26:26* – 28:05* शुभ
उद्वेग :- 28:05* – 29:44* अशुभ
शुभ :- 29:44* – 31:23* शुभ
💥 विशेष – तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।
विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए
शिव पुराण में आता हैं कि हर महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें –
ॐ गं गणपते नमः ।
ॐ सोमाय नमः ।
🙏🏻 चतुर्थी तिथि के स्वामी ‪भगवान गणेश‬जी हैं।
📆 हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।
🙏🏻 पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।
🙏🏻 शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥
“ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।
कोई कष्ट हो तो
हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |
छः मंत्र इस प्रकार हैं –
ॐ सुमुखाय नम: सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।
ॐ दुर्मुखाय नम: मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।
ॐ मोदाय नम: मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।
ॐ प्रमोदाय नम: प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।
ॐ अविघ्नाय नम:
ॐ विघ्नकरत्र्येय नम:


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