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आज हैं सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि व गुरुपुष्यामृत योग, माही स्नान शुरू, जाने आज का पंचाग भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ

🌞आज का पंचाग🌞
आज हैं सर्वार्थसिद्धि, अमृतसिद्धि व गुरुपुष्यामृत योग, माही स्नान शुरू, जाने आज का पंचाग भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ –
दिनांक :- 28 जनवरी 2021
वार :- बृहस्पतिवार
तिथि :- पूर्णिमा
पक्ष :- शुक्ल
माह :- पौष
नक्षत्र :- पुष्य
योग :- प्रीति
करण :- विष्टि भद्र 13:05 बजे तक तत्पश्चात बव
चन्द्र राशि :- कर्क
सूर्य राशि :- मकर
ऋतु :- हेमंत
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 07:24 बजे
सूर्यास्त :- 18:09 बजे
दिन काल :- 10 घण्टे 45 मिनट
रात्री काल :- 13 घण्टे 14 मिनट
चंद्रोदय :- 17:45 बजे
चंद्रास्त 31:54 बजे
राहू काल :- 14:08 – 15:28 अशुभ
अभिजित :- 12:26 -13:09 शुभ
पंचक :- नहीं
दिशाशूल :- दक्षिण दिशा में
समय मानक :- मोमासर (बीकानेर) राज.
चोघडिया, दिन
शुभ :- 07:25 – 08:45 शुभ
रोग :- 08:45 – 10:06 अशुभ
उद्वेग :- 10:06 – 11:26 अशुभ
चर :- 11:26 – 12:47 शुभ
लाभ :- 12:47 – 14:08 शुभ
अमृत :- 14:08 – 15:28 शुभ
काल :- 15:28 – 16:49 अशुभ
शुभ :- 16:49 – 18:10 शुभ
चोघडिया, रात
अमृत :- 18:10 – 19:49 शुभ
चर :- 19:49 – 21:28 शुभ
रोग :- 21:28 – 23:08 अशुभ
काल :- 23:08 – 24:47* अशुभ
लाभ :- 24:47* – 26:26* शुभ
उद्वेग :- 26:26* – 28:05* अशुभ
शुभ :- 28:05* – 29:45* शुभ
अमृत :- 29:45* – 31:24* शुभ
🌌 दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति) गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए । गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं । इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
गुरुवार को चने की दाल भिगोकर उसके एक हिस्से को आटे की लोई में हल्दी के साथ रखकर गाय को खिलाएं, दूसरे हिस्से में शहद डालकर उसका सेवन करें।
इस उपाय को करने से कार्यो में अड़चने दूर होती है, भाग्य चमकने लगता है, बृहस्पति देव की कृपा मिलती है।
गुरुवार को विष्णु जी की उपासना अवश्य करनी चाहिए, गुरुवार को विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ परम फलदाई है।
✏️ तिथि का स्वामी – पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी है ।
🪙 नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- पुष्य नक्षत्र के देवता देव गुरु बृहस्पति और स्वामी शनि देव जी है ।
⚜️ दिशाशूल – बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
🚕 यात्रा शकुन- बेसन से बनी मिठाई खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र- ‘ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स. गुरुवै नम:’।
🤷🏻‍♀️ आज का उपाय- मंदिर में स्वर्ण चढ़ाएं।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय- पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
पर्व व त्यौहार- पौष पूर्णिमा व्रत, शाकंभरी व्रत समाप्त, गुरु-पुष्य योग, लाला लाजपतराय जयंती, माध स्नानारंभ, पुर्णिमा समाप्ति उ. 00. 45
✍🏼 विशेष – पूर्णिमा एक बहुत ही पवित्र तिथि है, पूर्णिमा के दिन मांस मदिरा का सेवन, स्त्री प्रसंग करना मना किया जाता है।
पूर्णिमा को घी एवं प्रतिपदा को कुष्मांड खाना एवं दान करना दोनों वर्जित बताया गया है। पूर्णिमा तिथि एक सौम्य और पुष्टिदा तिथि मानी जाती है। इसके देवता चन्द्रमा हैं तथा यह पूर्णा नाम से विख्यात है। यह शुक्ल पक्ष में ही होती है और पूर्ण शुभ फलदायी मानी गयी है।
हमारे वैदिक सनातन धर्म में हर मास की पूर्णिमा को कोई-न-कोई व्रत-त्यौहार होता ही है। जिनकी कुण्डली में चन्द्रमा की दशा चल रही हो उसे पूर्णिमा के दिन उपवास रखना अर्थात व्रत करना चाहिये। जिनके बच्चे कफ रोगी हों अर्थात सर्दी, जुकाम, खाँसी और निमोनियाँ समय-समय पर होती रहती हो उनकी माँ को वर्षपर्यन्त पूर्णिमा का व्रत करना और चन्द्रोदय के बाद चंद्रार्घ्य देकर व्रत तोड़ना चाहिये।
पूर्णिमा माता लक्ष्मी को विशेष प्रिय होती है। इसलिये आज के दिन महालक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से मनोवान्छित कामनाओं की सिद्धि होती है। पूर्णिमा को शिवलिंग पर शहद, कच्चा दूध, बिल्वपत्र, शमीपत्र, फुल तथा फलादि चढ़ाकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। पूर्णिमा को शिव पूजन में सफ़ेद चन्दन में केशर घिसकर शिवलिंग पर चढ़ाने से घर के पारिवारिक एवं आन्तरिक कलह और अशान्ति दूर होती है।
मित्रों, जिस व्यक्ति का जन्म पूर्णिमा तिथि को होता है, वह व्यक्ति पूर्ण चन्द्र की तरह आकर्षक और मोहक व्यक्तित्व का स्वामी होता है। इनकी बुद्धि उच्च स्तर की होती है। ऐसे जातक अच्छे खान पान के शौकीन होते हैं तथा ये सदा ही अपने कर्म में जुटे रहते हैं। ऐसे लोग अत्यधिक परिश्रमी होते हैं और इसी वजह से धनवान भी होते हैं। परन्तु इनमें एक बहुत बड़ी कमी ये होती है, कि ये सदैव परायी स्त्रियों पर मोहित रहते हैं।
⚜️ आज अति शुभ गुरु पुष्य नक्षत्र है। पुष्य नक्षत्र को नक्षत्रो का राजा भी कहते है, उसमें भी रवि पुष्य नक्षत्र एवं गुरु पुष्य नक्षत्र बहुत ही शुभ माने जाते है। इस अवसर पर किया गया शुभ कार्य अति लाभ दायक और चिरस्थाई होगा।
पुष्य नक्षत्र काआराध्य वृक्ष: पीपलं तथा नक्षत्र का स्वाभाव शुभ माना जाता है।
शास्त्रों में लिखा है कि पुष्य नक्षत्र में शुरू किये गए सभी कार्य पुष्टिदायक, सर्वथा सिद्ध होते ही हैं, निश्चय ही फलीभूत होते हैं ।
पुष्य नक्षत्र के दिन माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए श्री सूक्त, श्री महा लक्ष्मी अष्टकम का पाठ करना अत्यंत पुण्य दायक माना जाता है।
पुष्य नक्षत्र के लिए भाग्यशाली संख्या 8 और 2, भाग्यशाली रंग लाल, नीला, भाग्यशाली दिन शनिवार, सोमवार और बुधवार होता है ।
पुष्य नक्षत्र में जन्मे जातको को तथा जिस दिन यह नक्षत्र हो उस दिन सभी को “ॐ बृहस्पतये नम: “। मन्त्र का जाप अवश्य करना चाहिए ।


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