आज बुधवार लागू नहीं होगा अभिजीत मुहूर्त, कल हैं गुरु पुष्य अमृत योग, जाने आज का पंचाग भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ
🌞 ~आज का हिन्दू पंचांग ~ 🌞
आज बुधवार लागू नहीं होगा अभिजीत मुहूर्त, कल हैं गुरु पुष्य अमृत योग, जाने आज का पंचाग भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ –
⛅ दिनांक 27 जनवरी 2021
⛅ दिन – बुधवार
⛅ विक्रम संवत – 2077
⛅ शक संवत – 1942
⛅ अयन – उत्तरायण
⛅ ऋतु – शिशिर
⛅ मास – पौष
⛅ पक्ष – शुक्ल
⛅ तिथि – चतुर्दशी 28 जनवरी रात्रि 01:17 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
⛅ नक्षत्र – पुनर्वसु 28 जनवरी प्रातः 03:49 तक तत्पश्चात पुष्य
⛅ योग – विष्कम्भ रात्रि 08:55 तक तत्पश्चात प्रीति
⛅ राहुकाल – दोपहर 12:47 से दोपहर 02:07 तक
⛅ सूर्योदय – 07: 25 बजे
⛅ सूर्यास्त – 18:09 बजे
⛅ दिशाशूल – उत्तर दिशा में
👉 पंचक :- नहीं
🕗समय मानक :- मोमासर (बीकानेर)
चोघडिया, दिन
लाभ :- 07:25 – 08:45 शुभ
अमृत :- 08:45 – 10:06 शुभ
काल :- 10:06 – 11:26 अशुभ
शुभ :- 11:26 – 12:47 शुभ
रोग :- 12:47 – 14:07 अशुभ
उद्वेग :- 14:07 – 15:28 अशुभ
चर :- 15:28 – 16:48 शुभ
लाभ :- 16:48 – 18:09 शुभ
चोघडिया, रात
उद्वेग :- 18:09 – 19:48 अशुभ
शुभ :- 19:48 – 21:28 शुभ
अमृत :- 21:28 – 23:07 शुभ
चर :- 23:07 – 24:47* शुभ
रोग :- 24:47* – 26:26* अशुभ
काल :- 26:26* – 28:06* अशुभ
लाभ :- 28:06* – 29:45* शुभ
उद्वेग :- 29:45* – 31:25* अशुभ
💥 विशेष – चतुर्दशी और पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।
🌌 दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है। बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। इस दिन गणेशजी की पूजा अर्चना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।
बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।
✏️ तिथि के स्वामी – चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शंकर जी है।
🪙 नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- पुनर्वसु नक्षत्र के देवता अदिति (पृथ्वी देवी), बृहस्पति, एवं नक्षत्र के स्वामी गुरु बृहस्पति जी है।
⚜️ दिशाशूल – बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है । इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा/हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
🚕 यात्रा शकुन- हरे फल खाकर अथवा दूध पीकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र- ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:’।
💁🏻♀️ आज का उपाय- मंदिर में कांस्य पात्र में मूंग भरकर दान करें।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय- अपामार्ग के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
✍🏼 विशेष – चतुर्दशी को शहद और अमावस्या को मैथुन त्याज्य होता है। चतुर्दशी तिथि क्रूरा एवं उग्रा तिथि मानी जाती है, इस तिथि के देवता भगवान शिवजी हैं। इसीलिये चतुर्दशी तिथि को भगवान शिव का ज्यादा-से-ज्यादा पूजन, अर्चन एवं अभिषेक करना चाहिये। सामर्थ्य हो तो विशेषकर कृष्ण पक्ष कि चतुर्दशी तिथि को विद्वान् वैदिक ब्राह्मणों से विधिवत भगवान शिव का रुद्राभिषेक करवाना चाहिये।
⚜️ चतुर्दशी को चौदस भी कहते हैं। चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं।
अतः प्रत्येक मास की चतुर्दशी विशेषकर कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन शिव जी की पूजा, अर्चना एवं रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव समस्त मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं, भक्तो के सभी संकट दूर होते है ।
चतुर्दशी तिथि में रात्रि में शिव मंत्र या जागरण करना बहुत उत्तम रहता है।
किसी भी पक्ष की चतुर्दशी में शुभ कार्य करना वर्जित हैं क्योंकि इसे क्रूरा कहा जाता है, चतुर्दशी तिथि रिक्ता तिथियों की श्रेणी में आती है।
चतुर्दशी तिथि में जन्मा जातक समान्यता धर्मात्मा, धनवान, यशस्वी, साहसी, परिश्रमी तथा बड़ो का आदर सत्कार करने वाला होता है।
चतुर्दशी तिथि में जन्मे लोगों को क्रोध बहुत आता है। इस तिथि में जन्मे जातक साहसी और परिश्रमी होते हैं। इन लोगों को जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है तभी इन्हे सफलता हाथ लगती है।
चतुर्दशी तिथि में जन्मे जातकों को नित्य भगवान शंकर की पूजा अवश्य करनी चाहिए।
🌷 पुष्य नक्षत्र योग 🌷
➡ 28 जनवरी 2021 गुरुवार को सूर्योदय से 29 जनवरी प्रातः 03:51 तक गुरुपुष्यामृत योग है ।
🙏🏻 १०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति | पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है | उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये | ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले –
ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |…… ॐ ऐं क्लीं ब्रहस्पतये नम : |
🌳 बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें |
🙏🏻 ‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |
🙏🏻 इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं |