कल हैं पुत्रदा एकादशी व्रत, जाने आज का पंचाग भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ
🌞आज का पंचाग🌞
कल हैं पुत्रदा एकादशी व्रत, जाने आज का पंचाग भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ –
दिनांक :- 23 जनवरी 2021
वार :- शनिवार
तिथि :- दशमी 20:55 बजे तक
पक्ष :- शुक्ल पक्ष
माह :- पौष
नक्षत्र :- कृत्तिका 21:31 बजे तक तत्पश्चात रोहिणी नक्षत्र शुरू
योग :- शुक्ल
करण :- तैतुल 07:44 बजे तक तत्पश्चात गर
चन्द्र राशि :- वृषभ
सूर्य राशि :- मकर
ऋतु :- हेमंत
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 07:26 बजे
सूर्यास्त :- 18:05 बजे
दिन काल :- 10 घण्टे 39 मिनट
रात्री काल :- 13 घण्टे 20 मिनट
चंद्रोदय :- 13:35 बजे
चंद्रास्त :- 27:27:58*
राहू काल :- 10:06 – 11:26 अशुभ
अभिजित :- 12:25 -13:07 शुभ
पंचक :- नहीं
दिशाशूल :- पूर्व दिशा में
समय मानक :- मोमासर (बीकानेर) राज.
चोघडिया, दिन
काल :- 07:26 – 08:46 अशुभ
शुभ :- 08:46 – 10:06 शुभ
रोग :- 10:06 – 11:26 अशुभ
उद्वेग :- 11:26 – 12:46 अशुभ
चर :- 12:46 – 14:06 शुभ
लाभ :- 14:06 – 15:26 शुभ
अमृत :- 15:26 – 16:46 शुभ
काल :- 16:46 – 18:06 अशुभ
चोघडिया, रात
लाभ :- 18:06 – 19:46 शुभ
उद्वेग :- 19:46 – 21:26 अशुभ
शुभ :- 21:26 – 23:06 शुभ
अमृत :- 23:06 – 24:46* शुभ
चर :- 24:46* – 26:26* शुभ
रोग :- 26:26* – 28:06* अशुभ
काल :- 28:06* – 29:46* अशुभ
लाभ :- 29:46* – 31:26* शुभ
💥 विशेष – ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’
💥 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय।’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है।
💥 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।
💥 नौकरी – व्यवसाय में सफलता, आर्थिक समृद्धि एवं कर्ज मुक्ति हेतु कारगर प्रयोग शनिवार के दिन पीपल में दूध, गुड, पानी मिलाकर चढायें एवं प्रार्थना करें – ‘हे प्रभु ! आपने गीता में कहा है कि वृक्षों में पीपल मैं हूँ । हे भगवान ! मेरे जीवन में यह परेशानी है । आप कृपा करके मेरी यह परेशानी (परेशानी, दुःख का नाम लेकर ) दूर करने की कृपा करें । पीपल का स्पर्श करें व प्रदक्षिणा करें ।
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
☄️ दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात शनिवार को पीपल वृक्ष में मिश्री मिश्रित दूध से अर्घ्य देने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। पीपल के नीचे सायंकालीन समय में एक चतुर्मुख दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी ग्रह दोषों की निवृति हो जाती है।
पुराणों में वर्णित है कि पिप्पलाद ऋषि ने अपने बचपन में माता पिता के वियोग का कारण शनि देव को जानकर उनपर ब्रह्म दंड से प्रहार कर दिया, जिससे शनि देव घायल हो गए। देवताओं की प्रार्थना पर पिप्पलाद ऋषि ने शनि देव को इस बात पर क्षमा किया कि शनि जन्म से लेकर 16 साल तक की आयु तक एवं उनके भक्तो को किसी को भी कष्ट नहीं देंगे। तभी से पिप्पलाद का स्मरण करने से ही शनि देव के प्रकोप से मुक्ति मिल जाती है।
शिवपुराण के अनुसार शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि की पीड़ा शान्त हो जाती है ।
📝 तिथि का स्वामी – दशमी तिथि के स्वामी यमराज जी और एकादशी तिथि के स्वामी विश्वदेव जी है।
🪙 नक्षत्र के स्वामी – कृतिका नक्षत्र के देवता अग्नि देव और स्वामी सूर्य देव जी है ।
⚜️ दिशाशूल – शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।
🚕 यात्रा शकुन- शर्करा मिश्रित दही खाकर घर से निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र- ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं स. शनयै नम:’।
💁🏻♀️ आज का उपाय- जरूरतमंदों में इमरती बांटें।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय- शमी के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
✍🏼 विशेष – दशमी तिथि को कलम्बी एवं परवल का सेवन वर्जित है। एकादशी को चावल और दाल नहीं खाना चाहिए। दशमी तिथि धर्मिणी और धनदायक तिथि मानी जाती है। पूर्णा नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल व कृष्ण दोनों पक्षों में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है। दशमी को धन और धर्म प्रदान करने वाली तिथि माना जाता है। इस तिथि में वाहन खरीदना एवं सरकारी कार्यालयों से सम्बन्धित कार्यों को आरम्भ करने के लिये अत्यंत शुभ माना जाता है।