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जाने आज का पंचाग, शुभ मुहूर्त व चौघड़िया एवं पंचक के बारे में सम्पूर्ण जानकारी भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ

🌞आज का पंचाग🌞
दिनांक :- 18 जनवरी 2021
वार :- सोमवार
तिथि :- पंचमी सुबह 09:13 बजे तक तत्पश्चात षष्ठी शुरु
पक्ष :- शुक्ल
माह :- पौष
नक्षत्र :- पूर्वभाद्रपदा सुबह 07:42 बजे तक तत्पश्चात उत्तराभाद्रपद नक्षत्र शुरू
योग :- परिघ
करण :- बालव 09:13 बजे तक तत्पश्चात कौलव
चन्द्र राशि :- मीन
सूर्य राशि :- मकर
ऋतु :- हेमंत
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 07:27 बजे
सूर्यास्त :- 18:01 बजे
दिन काल :- 10 घण्टे34 मिनट
रात्री काल :- 13 घण्टे 26 मिनट
चंद्रोदय :- 10:58 बजे
चंद्रास्त :- 23:03 बजे
राहू काल :- 08:47 – 10:06 अशुभ
अभिजित :- 12:23 -13:06 शुभ
पंचक :- लागू
समय मानक :- मोमासर बीकानेर राज.
दिशाशूल :- पूर्व दिशा में
चोघडिया, दिन
अमृत :- 07:28 – 08:47 शुभ
काल :- 08:47 – 10:06 अशुभ
शुभ :- 10:06 – 11:25 शुभ
रोग :- 11:25 – 12:45 अशुभ
उद्वेग :- 12:45 – 14:04 अशुभ
चर :- 14:04 – 15:23 शुभ
लाभ :- 15:23 – 16:42 शुभ
अमृत :- 16:42 – 18:01 शुभ
चोघडिया, रात
चर :- 18:01 – 19:42 शुभ
रोग :- 19:42 – 21:23 अशुभ
काल :- 21:23 – 23:04 अशुभ
लाभ :- 23:04 – 24:44* शुभ
उद्वेग :- 24:44* – 26:25* अशुभ
शुभ :- 26:25* – 28:06* शुभ
अमृत :- 28:06* – 29:47* शुभ
चर :- 29:47* – 31:27* शुभ
सोमवार विशेष :- इसकी प्रकृति सम है। सोमवार का दिन शिवजी का दिन है। सोमवार के दिन उन लोगों को उपवास रखना चाहिए जिनका स्वभाव ज्यादा उग्र है। इससे उनकी उग्रता में कमी होगी।
ये कार्य करें :-
सिर पर भस्म का तिलक लगाएं।
सोमवार को निवेश करना अच्छा माना गया है।
यदि आप सोना, चांदी या शेयर में निवेश करने की सोच रहे हैं तो सोमवार को चुनें
ये कार्य न करें :-
इस दिन उत्तर, पूर्व और आग्नेय में यात्रा नहीं कर सकते।
किसी को सफेद वस्त्र या दूध दान में न दें।
दिशाशूल :- आज दर्पण देखकर या दूध पीकर यात्रा कर सकते हैं दक्षिण, पश्‍चिम और वायव्य दिशा में यात्रा कर सकते हैं।
नक्षत्र :- पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता हैं, अज एकपाद। एक पैर वाला अजन्मा। भगवान शिव जब तांडव करते हैं तो बहुधा एक टांग पर ही अपनी देह को संतुलित करते हैं। इस प्रकार शिव ही यह अज एकपाद देवता हैं।
आज का उपाय :- मन्दिर में पताशे चढाए।
वनस्पति तंत्र :- पलाश के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
पंचक विशेष :- पंचक के दौरान जिस समय घनिष्ठा नक्षत्र हो उस समय घास, लकड़ी आदि ईंधन एकत्रित नही करना चाहिए, इससे अग्नि का भय रहता है।
– पंचक में दक्षिण दिशा में यात्रा नहीं करें।क्योंकि यह दिशा यम की मानी जाती है। इससे हानि ही उठानी पड़ती है।
– पंचक के बीच आने वाला रेवती नक्षत्र हो तो उस समय घर की छत नहीं बनाए, इससे इससे धन की हानि और घर में क्लेश हो जाता है।
– पंचक में घर की चारपाई भी नहीं बनाना चाहिए। विद्वानों का मत है कि ऐसा करने से कोई बड़ा संकट आता है।
– पंचक के दौरान अंतिम संस्कार नहीं करने की बात भी कही गई है। इससे उस कुटुंब में पांच मृत्यु और होना बताया गया है। लेकिन, अब कुछ विद्वानों ने इसके भी तोड़ निकाल लिए हैं।
पंचक में अंतिम संस्कार के यह है नियम
यदि किसी की मृत्यु हो जाती है तो शव के साथ पांच पुतले आटे या कुश (घास) से बनाएं और अर्थी पर रखें और इन पांचों का भी शव की तरह अंतिम संस्कार करें। इससे दोष खत्म हो जाता है। गरुड़ पुराण में भी ऐसा बताया गया है।
क्या पंचक में नहीं हो सकते शुभ कार्य
कुछ ज्योतिषियों का मानना है कि पंचक में भी शुभ कार्य हो सकते हैं। पंचक में आने वाला उत्तराभाद्रपद नक्षत्र वार के साथ मिलता है और सर्वार्थसिद्धि योग बनाता है। इसके अलावा धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद और रेवती नक्षत्र यात्रा, व्यापार, मुंडन आदि शुभ कार्यों के लिए श्रेष्ठ माने गए हैं।
पंचक में भी होते हैं शुभ कार्य
ज्योतिषियों का यह भी मानना है कि पंचक को भले ही अशुभ माना जाता है, लेकिन इस दौरान सगाई, विवाह आदि शुभ कार्य भी हो सकते हैं। पंचक के दौरान तीन नक्षत्र पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद व रेवती रविवार को होने से आनंद आदि 28 योगों में से 3 शुभ योग बनते हैं, जो चर, स्थिर और प्रवर्ध। इन योगों से सफलता और धन प्राप्ति का विचार होता है।


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