जाने आज का शुभ पंचाग जाने शुभ समय व चौघड़िया भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ –
🌞आज का पंचाग🌞
जाने आज का शुभ पंचाग जाने शुभ समय व चौघड़िया भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ –
दिनांक :- 17 जनवरी 2021
वार :- रविवार
तिथि :- चतुर्थी सुबह 08:08 बजे तक तत्पश्चात पंचमी शुरू
पक्ष :- शुक्ल पक्ष
माह :- पौष
नक्षत्र :- पूर्वभाद्रपदा
योग :- वरियान
करण :- विष्टि भद्र 08:08 बजे तक तत्पश्चात बव 20:35 बजे तक
माह :- पौष
चन्द्र राशि :- कुम्भ
सूर्य राशि :- मकर
ऋतु :- हेमंत
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 07:28 बजे
सूर्यास्त :- 18:01 बजे
दिन काल :- 10 घण्टे 33 मिनट
रात्री काल :- 13 घण्टे 27 मिनट
चंद्रोदय :- 10:26 बजे
चंद्रास्त :- 22:08 बजे
राहू काल :- 16:42 – 18:01 अशुभ
अभिजित :- 12:23 -13:05 शुभ
पंचक :- लागू
दिशाशूल :- पश्चिम दिशा में
समय मानक :- मोमासर (बीकानेर) राज.
चोघडिया, दिन
उद्वेग :- 07:28 – 08:47 अशुभ
चर :- 08:47 – 10:06 शुभ
लाभ :- 10:06 – 11:25 शुभ
अमृत :- 11:25 – 12:44 शुभ
काल :- 12:44 – 14:03 अशुभ
शुभ :- 14:03 – 15:22 शुभ
रोग :- 15:22 – 16:42 अशुभ
उद्वेग :- 16:42 – 18:01 अशुभ
चोघडिया, रात
शुभ :- 18:01 – 19:41 शुभ
अमृत :- 19:41 – 21:22 शुभ
चर :- 21:22 – 23:03 शुभ
रोग :- 23:03 – 24:44* अशुभ
काल :- 24:44* – 26:25* अशुभ
लाभ :- 26:25* – 28:06* शुभ
उद्वेग :- 28:06* – 29:47* अशुभ
शुभ :- 29:47* – 31:28* शुभ
⛅ व्रत पर्व विवरण
💥 विशेष – चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता हैं
💥 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
💥 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए।
💥 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए
💥 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए। इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं
भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।
🌠 रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।
इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।
रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें ।
रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।
📝 तिथि का स्वामी – चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेश जी और पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता है।
💫 नक्षत्र – पूर्व भाद्रपद
🪙 नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अजैकपाद तथा स्वामी देवगुरू बृहस्पति हैं ।
⚜️ दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ
🚕 यात्रा शकुन- इलायची खाकर यात्रा प्रारंभ करें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।
🤷🏻♀️ आज का उपाय- मंदिर में गुड़ से भरा ताम्र पात्र चढाएं।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व व त्यौहार- पंचक
✍🏼 विशेष – चतुर्थी तिथि को मूली एवं पञ्चमी तिथि को बिल्वफल त्याज्य बताया गया है। इस चतुर्थी तिथि में तिल का दान और भक्षण दोनों त्याज्य होता है। इसलिए चतुर्थी तिथि को मूली और तिल एवं पञ्चमी को बिल्वफल नहीं खाना न ही दान करना चाहिए। चतुर्थी तिथि एक खल और हानिप्रद तिथि मानी जाती है। इस चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी हैं तथा यह चतुर्थी तिथि रिक्ता नाम से विख्यात मानी जाती है। यह चतुर्थी तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभफलदायिनी मानी गयी है।
⚜️ आज चतुर्थी तिथि है। चतुर्थी तिथि के स्वामी देवताओं में प्रथमपूज्य भगवान गणेश जी माने गए हैं।
चतुर्थी को गणपित जी को रोली का तिलक लगाकर, दूर्वा अर्पित करके, लड्डुओं या गुड़ का भोग लगाकर “ॐ गण गणपतये नम:” मन्त्र की एक माला का जाप अवश्य करें ।
चतुर्थी को गणेश जी की आराधना से किसी भी कार्य में विघ्न नहीं आते है ।
यदि चतुर्थी तिथि यदि गुरुवार को पड़ती है तो मृत्युदा योग बनाती है, इस समय में शुभ कार्य करना वर्जित है। लेकिन यदि चतुर्थी तिथि शनिवार को होती है तो वह सिद्धा कहलाती है। ऐसे समय में किया गया कार्य सिद्ध होता है।
चतुर्थी तिथि को रिक्ता तिथि कहते है इस दिन शुभ कार्यो का प्रारम्भ शुभ नहीं समझा जाता है ।
किसी भी पक्ष की चतुर्थी तिथि में मूली और बैंगन का सेवन करना मना है। चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है, और चतुर्थी को बैगन खाने से रोग बढ़ते है ।
👴🏻 घर का मुखिया अगर दक्षिण-पश्चिम के कमरे में रहता हो तो घर सुखी रहता है |