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आज हैं विनायक चतुर्थी, पंचक भी शुरू, जाने आज का पंचाग, शुभ चौघड़िया व अनेक उपयोगी जानकारी भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ –

🌞आज का पंचाग🌞
आज हैं विनायक चतुर्थी, पंचक भी शुरू, जाने आज का पंचाग, शुभ चौघड़िया व अनेक उपयोगी जानकारी भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ –
दिनांक :- 16 जनवरी 2021
वार :- शनिवार
तिथि :- तृतीया सुबह 07:45 बजे तत्पश्चात चतुर्थी शुरू
पक्ष :- शुक्ल
नक्षत्र :- शतभिष
योग :- व्यतापता
करण :- गर सुबह 07:45 बजे तक तत्पश्चात वणिज
माह :- पौष
चन्द्र राशि :- कुम्भ
सूर्य राशि :- मकर
ऋतु :- हेमंत
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
शाका संवत :- 1942 शाका संवत
सूर्योदय :- 07:28 बजे
सूर्यास्त :- 18:00 बजे
दिन काल :- 10 घण्टे 32 मिनट
रात्री काल :- 13 घण्टे 28 मिनट
चंद्रोदय :- 09:52 बजे
चंद्रास्त :- 21:13 बजे
राहू काल :- 10:06 – 11:25 अशुभ
अभिजित :- 12:23 -13:05 शुभ
समय मानक :- मोमासर (बीकानेर) राज.
पंचक :- शुरू
दिशाशूल :- पूर्व दिशा
चोघडिया, दिन
काल :- 07:28 – 08:47 अशुभ
शुभ :- 08:47 – 10:06 शुभ
रोग :- 10:06 – 11:25 अशुभ
उद्वेग :- 11:25 – 12:44 अशुभ
चर :- 12:44 – 14:03 शुभ
लाभ :- 14:03 – 15:22 शुभ
अमृत :- 15:22 – 16:41 शुभ
काल :- 16:41 – 17:59 अशुभ
चोघडिया, रात
लाभ :- 17:59 – 19:41 शुभ
उद्वेग :- 19:41 – 21:22 अशुभ
शुभ :- 21:22 – 23:03 शुभ
अमृत :- 23:03 – 24:44* शुभ
चर :- 24:44* – 26:25* शुभ
रोग :- 26:25* – 28:06* अशुभ
काल :- 28:06* – 29:47* अशुभ
लाभ :- 29:47* – 31:28* शुभ
💥 विशेष – तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।
शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र – ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।
☄️ दिन (वार) – शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात शनिवार को पीपल वृक्ष में मिश्री मिश्रित दूध से अर्घ्य देने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। पीपल के नीचे सायंकालीन समय में एक चतुर्मुख दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ करने से सभी ग्रह दोषों की निवृति हो जाती है।
पुराणों में वर्णित है कि पिप्पलाद ऋषि ने अपने बचपन में माता पिता के वियोग का कारण शनि देव को जानकर उनपर ब्रह्म दंड से प्रहार कर दिया, जिससे शनि देव घायल हो गए। देवताओं की प्रार्थना पर पिप्पलाद ऋषि ने शनि देव को इस बात पर क्षमा किया कि शनि जन्म से लेकर 16 साल तक की आयु तक एवं उनके भक्तो को किसी को भी कष्ट नहीं देंगे। तभी से पिप्पलाद का स्मरण करने से ही शनि देव के प्रकोप से मुक्ति मिल जाती है।
शिवपुराण के अनुसार शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि की पीड़ा शान्त हो जाती है ।
✏️ तिथि का स्वामी – तृतीया तिथि के स्वामी माँ गौरी और कुबेर जी तथा चतुर्थी तिथि के स्वामी विघ्नहर्ता गणेश जी है।
🪙 शतभिषा नक्षत्र के देवता वरुण देव जी और शतभिषा के स्वामी राहु जी है ।
⚜️ दिशाशूल – शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएं।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनयै नम:।
🤷🏻‍♀️आज का उपाय- जरूरतमंदों को काले अथवा नीले कंबल दान करें।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय-शमी के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
✍🏼 विशेष – तृतीया तिथि में नमक एवं चतुर्थी को मूली का दान तथा भक्षण दोनों त्याज्य माना गया है। चतुर्थी को मूली एवं तिल का दान तथा भक्षण दोनों त्याज्य बताया गया है। तृतीया तिथि एक सबला और आरोग्यकारी तिथि मानी जाती है। इसकी स्वामी माता गौरी और कुबेर देवता हैं, जया नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभफलदायिनी मानी जाती है।
⚜️ तृतीया: किसी भी पक्ष की तीसरी तारीख को तृतीया तिथि या तीज कहते है। तृतीया तिथि को जया तिथि भी कहा गया है। अपने नाम के अनुसार ही यह तिथि सभी शुभ कार्यों में जय दिलाने अर्थात सफलता दिलाने वाली कही गई है।
तृतीया तिथि में माँ गौरी जी की पूजा अर्चना करने से जीवन में सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है। तृतीया के दिन माँ गौरी का ध्यान करते हुए उन्हें दूध की मिठाई, फूल और चावल अर्पित करें एवं श्रद्धानुसार घी का दीपक जलाकर ’’ऊँ गौर्ये नमः’’ की एक माला का अवश्य ही जाप करें ।
कुबेर जी भी तृतीया तिथि के स्वामी माने गये हैं। शास्त्रों के अनुसार कुबेर जी देवताओं के कोषाध्यक्ष है अतः इस दिन इनकी भी पूजा करने से जातक को विपुल धन-धान्य, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
कुबेर देव रावण के सौतेले भाई है और या भगवान शिव जी के प्रिय सेवक , परम मित्र भी माने जाती है। घर में कुबेर देवता की फोटो को उत्तर दिशा की ओर लगाना चाहिए और इस दिशा को बिलकुल साफ रखना चाहिए ।
💥ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।
💥 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय।’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का शांत हो जाता है।
💥 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है ।


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