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आज हैं सर्वार्थसिद्धि योग, लागू नहीं होगा अभिजीत मुहूर्त जाने आज का पंचाग भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ

🌞आज का पंचाग🌞
📃दिनांक :- 6 जनवरी 2021
🧾वार :- बुधवार
📄तिथि :- अष्टमी
🌓पक्ष :- कृष्ण
🌿माह :- पौष
🪐नक्षत्र :- हस्त शाम 05:08 बजे तक तत्पश्चात चित्रा नक्षत्र शुरू
🌱योग :- अतिगंड
🐾करण :- बालव     15:06 बजे तक तत्पश्चात कौलव    करण शुरू
🌕चन्द्र राशि     :- कन्या
🌝सूर्य राशि :- धनु
🌈ऋतु :- हेमंत
❇️आयन :- उत्तरायण
🌎संवत्सर    :- शार्वरी
🌍विक्रम संवत    :- 2077 विक्रम संवत
🌏शाका संवत :- 1942 शाका संवत
🌅सूर्योदय    :- 07:28
🌄सूर्यास्त    :- 17:52
🏞️दिन काल     :- 10 घण्टे 24 मिनट
🌌रात्री काल :- 13 घण्टे 36 मिनट
🌇चंद्रास्त :- 12:28
🌆चंद्रोदय    :- 25:06
❎राहू काल :- 12:40 – 13:58    अशुभ
❎अभिजित     :- 12:19 -13:01    अशुभ (बुधवार के दिन अभिजीत लागू नहीं होता)
⚜️पंचक :- नहीं
🕗समय मानक :- मोमासर बीकानेर राज.
🏞️चोघडिया, दिन🏞️
💠लाभ    :- 07:28 – 08:46    शुभ
💠अमृत    :- 08:46 – 10:04    शुभ
💠काल    :- 10:04 – 11:22    अशुभ
💠शुभ    :- 11:22 – 12:40    शुभ
💠रोग    :- 12:40 – 13:58    अशुभ
💠उद्वेग    :- 13:58 – 15:16    अशुभ
💠चर     :- 15:16 – 16:34    शुभ
💠लाभ    :- 16:34 – 17:52    शुभ
🌌चोघडिया, रात🌌
💠उद्वेग    :- 17:52 – 19:34    अशुभ
💠शुभ    :- 19:34 – 21:16    शुभ
💠अमृत    :- 21:16 – 22:58    शुभ
💠चर     :- 22:58 – 24:40*    शुभ
💠रोग    :- 24:40* – 26:22*    अशुभ
💠काल    :- 26:22* – 28:04*    अशुभ
💠लाभ    :- 28:04* – 29:46*    शुभ
💠उद्वेग    :- 29:46* – 31:28*    अशुभ
❇️दिशाशूल :- बुधवार को उत्तर दिशा में दिशा शूल होता है । इस दिन कार्यों में सफलता के लिए घर से सुखा/हरा धनिया या तिल खाकर जाएँ ।
🚕 यात्रा शकुन-हरे फल खाकर अथवा दूध पीकर यात्रा पर निकलें।
उत्तर दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण – बुधवारी अष्टमी (सूर्योदय से रात्रि 02:06 तक)
💥 विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा  शरीर का नाश होता है।
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात ।।
🌌 दिन (वार) – बुधवार के दिन तेल का मर्दन करने से अर्थात तेल लगाने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है धन लाभ मिलता है। बुधवार का दिन विघ्नहर्ता गणेश का दिन हैं। इस दिन गणेशजी की पूजा अर्चना से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
बुधवार को सभी ग्रहो के राजकुमार बुध देव की आराधना करने से ज्ञान मिलता है, वाकपटुता में प्रवीणता आती है, धन लाभ होता है ।
बुधवार को गाय को हरा चारा खिलाने तथा रात को सोते समय फिटकरी से दाँत साफ करने से आर्थिक पक्ष मजबूत होता है ।
✏️ तिथि का स्वामी – अष्टमी तिथि के स्वामी देवो के देव महादेव जी है ।
🪙 नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी-  हस्त नक्षत्र के देवता सुर्य और स्वामी चंद्र देव जी है।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम:।
💁🏻‍♀️ आज का उपाय-किसी बटुक को धर्मशास्त्र दान करें।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय- अपामार्ग के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
✍🏼 विशेष – अष्टमी को नारियल का सेवन नहीं करना चाहिए, अष्टमी को नारियल का सेवन करने से बुद्धि का नाश होता है ।
वास्तु शास्त्र में आज जानिए केवल हनुमान या माँ काली की फोटो को उत्तर की दीवाल में स्थापित कर सकते हैं । इससे देवी-देवता का मुंह तो दक्षिण मुखी रहेगा और जिसमें कोई समस्या भी नहीं है, परन्तु आपका मुंह पूजन के समय उत्तर की ओर रहेगा ।
ईशान कोण के आलावा –कदाचित यदि घर के ईशान कोण में जगह न हो तो पूजा स्थल को घर के ईशान-पूर्व या फिर पूर्व दिशा में भी रखा जा सकता है ।
घर में कुल देवता का सर्वोत्तम स्थान कौन सा?
वास्तु शास्त्र के अनुसार कुल देवता सबसे प्रभावी देवता अथवा हमारे कुल के रक्षक होते हैं। कुल देवता को अपने घर में स्थान भी सर्वोत्तम प्रदान करना चाहिये।
कुल देवता की स्थापना अथवा मन्दिर के लिए सर्वोत्तम स्थान घर के ईशान कोण [उत्तर-पूर्व] का भी ईशान कोण रखना चाहिये।
अपने कुल के रक्षक भगवान को घर के ईशान कोण के दिशा में स्थित पूर्व की दीवाल पर स्थापित करना चाहिये। जिससे उनकी प्रतिष्ठा एवं उनका प्रभाव सदैव घर में बना रहे।
और पूर्व की दीवाल पर कुल देवता को स्थापित करके वहाँ बैठकर पूजा करने वाले का मुंह पूर्व की ओर होता है जो सर्वोत्तम माना गया है।
⚜️ अष्टमी तिथि के स्वामी भगवान शिव कहे गए है।अष्टमी तिथि को भगवान शिव की विधि पूर्वक पूजा करने से समस्त सिद्धियां प्राप्त होती है , पूजा में उन्हें नारियल का भोग अर्पित करें अथवा शिवजी भगवान के लिए बनाए जाने वाले प्रसाद में नारियल का उपयोग करें लेकिन अष्टमी को नारियल का सेवन ना करें।
अष्टमी तिथि का नाम कलावती कहा गया है। मंगलवार को छोड़कर अष्टमी तिथि सभी प्रकार के कार्यो के शुभ है ।
अष्टमी तिथि जया तिथियों की श्रेणी में आती है मान्यता कि अष्टमी तिथि में किये गए कार्यो में सफलता मिलती है । लेकिन चैत्र महीने के दोनों पक्षों में पड़ने वाली अष्टमी तिथि शून्य कही गई है।
अष्टमी तिथि को दुर्गा जी की आराधना भी शुभ मानी गई है । अष्टमी तिथि में जन्मे जातकों को भगवान शिव और मां दुर्गा की पूजा अवश्य करनी चाहिए।


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