आज संकष्ट चतुर्थी व्रत, सौभाग्य सुंदरी व्रत, चन्द्रमा उदय रात्रि 08:59 बजे एवं विशेष बाते जाने पण्डित श्रवण भारद्वाज के साथ
🌞आज का पंचाग🌞
🪔 आज संकष्ट चतुर्थी व्रत, सौभाग्य सुंदरी व्रत, चन्द्रमा उदय रात्रि 08:59 बजे एवं विशेष बाते जाने पण्डित श्रवण भारद्वाज के साथ –
🧾दिनांक :- 02 जनवरी 2021
📅वार :- शनिवार
📋तिथी :- तृतीया सुबह 09:09 बजे तक तत्पश्चात चतुर्थी शुरू
🌓पक्ष :- कृष्ण
🌿माह :- पौष
🪐नक्षत्र :- आश्लेषा
🍀योग :- विश्कुम्भ
🕸️करण :- विष्टि भद्र 09:09 बजे तक तत्पश्चात बव 20:48:26
🌕चन्द्र राशि :- कर्क शाम 08:16 बजे तक तत्पश्चात सिंह
🌝सूर्य राशि :- धनु
🌈ऋतु :- हेमंत
❇️आयन :- उत्तरायण
🌎संवत्सर :- शार्वरी
🌍विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
🌏शाका संवत :- 1942 शाका संवत
🌅सूर्योदय :- 07:27
🌄सूर्यास्त :- 17:49:00
🏞️दिन काल :- 10 घण्टे 22 मिनट
🌌रात्री काल :- 13 घण्टे 38 मिनट
🌘चंद्रास्त :- 09:58:46
🌒चंद्रोदय :- 20:58:29
❎राहू काल :- 10:03 – 11:20 अशुभ
✅अभिजित :- 12:17 -12:59 शुभ
🕗समय मानक :- मोमासर बीकानेर राज.
⚜️पंचक :- नहीं
✳️दिशाशूल :- पूर्व
🏞️चोघडिया, दिन🏞️
💠काल :- 07:27 – 08:45 अशुभ
💠शुभ :- 08:45 – 10:03 शुभ
💠रोग :- 10:03 – 11:20 अशुभ
💠उद्वेग :- 11:20 – 12:38 अशुभ
💠चर :- 12:38 – 13:56 शुभ
💠लाभ :- 13:56 – 15:14 शुभ
💠अमृत :- 15:14 – 16:31 शुभ
💠काल :- 16:31 – 17:49 अशुभ
🌌चोघडिया, रात🌌
💠लाभ :- 17:49 – 19:31 शुभ
💠उद्वेग :- 19:31 – 21:14 अशुभ
💠शुभ :- 21:14 – 22:56 शुभ
💠अमृत :- 22:56 – 24:38* शुभ
💠चर :- 24:38* – 26:21* शुभ
💠रोग :- 26:21* – 28:03* अशुभ
💠काल :- 28:03* – 29:45* अशुभ
💠लाभ :- 29:45* – 31:28* शुभ
💥 विशेष – तृतीया को पर्वल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है।
ब्रह्म पुराण’ के 118 वें अध्याय में शनिदेव कहते हैं- ‘मेरे दिन अर्थात् शनिवार को जो मनुष्य नियमित रूप से पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उनके सब कार्य सिद्ध होंगे तथा मुझसे उनको कोई पीड़ा नहीं होगी। जो शनिवार को प्रातःकाल उठकर पीपल के वृक्ष का स्पर्श करेंगे, उन्हें ग्रहजन्य पीड़ा नहीं होगी।’
💥 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए ‘ॐ नमः शिवाय।’ का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है।
💥 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है।
🙏🏻 चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणेशजी हैं।
📆 हिन्दू कैलेण्डर में प्रत्येक मास में दो चतुर्थी होती हैं।
🙏🏻 पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्ट चतुर्थी कहते हैं।अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं।
🙏🏻 शिवपुराण के अनुसार “महागणपतेः पूजा चतुर्थ्यां कृष्णपक्षके। पक्षपापक्षयकरी पक्षभोगफलप्रदा ॥
➡ “ अर्थात प्रत्येक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को की हुई महागणपति की पूजा एक पक्ष के पापों का नाश करनेवाली और एक पक्षतक उत्तम भोगरूपी फल देनेवाली होती है ।
🙏🏻 हमारे जीवन में बहुत समस्याएँ आती रहती हैं, मिटती नहीं हैं ।, कभी कोई कष्ट, कभी कोई समस्या | ऐसे लोग शिवपुराण में बताया हुआ एक प्रयोग कर सकते हैं कि, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी (मतलब पुर्णिमा के बाद की चतुर्थी ) आती है | उस दिन सुबह छः मंत्र बोलते हुये गणपतिजी को प्रणाम करें कि हमारे घर में ये बार-बार कष्ट और समस्याएं आ रही हैं वो नष्ट हों |
👉🏻 छः मंत्र इस प्रकार हैं –
🌷 ॐ सुमुखाय नम: : सुंदर मुख वाले; हमारे मुख पर भी सच्ची भक्ति प्रदान सुंदरता रहे ।
🌷ॐ दुर्मुखाय नम: : मतलब भक्त को जब कोई आसुरी प्रवृत्ति वाला सताता है तो… भैरव देख दुष्ट घबराये ।
🌷 ॐ मोदाय नम: : मुदित रहने वाले, प्रसन्न रहने वाले । उनका सुमिरन करने वाले भी प्रसन्न हो जायें ।
🌷 ॐ प्रमोदाय नम: : प्रमोदाय; दूसरों को भी आनंदित करते हैं । भक्त भी प्रमोदी होता है और अभक्त प्रमादी होता है, आलसी । आलसी आदमी को लक्ष्मी छोड़ कर चली जाती है । और जो प्रमादी न हो, लक्ष्मी स्थायी होती है ।
🌷 ॐ अविघ्नाय नम:
🌷 ॐ विघ्नकरत्र्येय नम: