अंग्रेजी नव वर्ष शुरू, कल होगा चतुर्थी व्रत व अनेकों विशेष बाते भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ –
🌞आज का पंचांग🌞
🧾अंग्रेजी नव वर्ष शुरू, कल होगा चतुर्थी व्रत व अनेकों विशेष बाते भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ –
📅दिनांक :- 01 जनवरी 2021
📰वार :- शुक्रवार
📜तिथि :- द्वितीया सुबह 09:33 बजे तक तत्पश्चात तृतिया शुरू
🌓पक्ष :- कृष्ण पक्ष
🥀माह :- पौष
🪐नक्षत्र :- पुष्य शाम 08:14 बजे तक
💫योग :- वैधृति
⚡करण :- गर सुबह 09:32 तक तत्पश्चात वणिज
🌕चन्द्र राशि :- कर्क
🌝सूर्य राशि :- धनु
🌈ऋतु :- हेमंत ऋतु
🌛आयन :- उत्तरायण
🌎संवत्सर :- शार्वरी
🌍विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
🌏शाका संवत :- 1942 शाका संवत
🌅सूर्योदय :- सुबह 07:27 बजे
🌄सूर्यास्त :- शाम 05:48 बजे
🏞️दिन काल :- 10 घण्टे 21 मिनट
🌌रात्री काल :- 13 घण्टे 39 मिनट
🌘चंद्रोदय :- 19:56
🌒चंद्रास्त :- 32:00:59
❎राहू काल :- 11:20 – 12:38 अशुभ
✅अभिजित :- 12:17 -12:58 शुभ
⚜️पंचक :- नहीं
🕗समय मानक :- मोमासर बीकानेर राज.
⚪चोघडिया, दिन⚪
💠चर :- 07:27 – 08:45 शुभ
💠लाभ :- 08:45 – 10:02 शुभ
💠अमृत :- 10:02 – 11:20 शुभ
💠काल :- 11:20 – 12:38 अशुभ
💠शुभ :- 12:38 – 13:55 शुभ
💠रोग :- 13:55 – 15:13 अशुभ
💠उद्वेग :- 15:13 – 16:31 अशुभ
💠चर :- 16:31 – 17:48 शुभ
⚫चोघडिया, रात⚫
💠रोग :- 17:48 – 19:31 अशुभ
💠काल :- 19:31 – 21:13 अशुभ
💠लाभ :- 21:13 – 22:55 शुभ
💠उद्वेग :- 22:55 – 24:38* अशुभ
💠शुभ :- 24:38* – 26:20* शुभ
💠अमृत :- 26:20* – 28:03* शुभ
💠चर :- 28:03* – 29:45* शुभ
💠रोग :- 29:45* – 31:27* अशुभ
⛅ दिशाशूल – पश्चिम दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण
💥 विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥
🌌 दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें । शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।
शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।
💥द्वितीया तिथि के स्वामी सृष्टि के रचियता ब्रह्मा जी और तृतीया तिथि के स्वामी माँ गौरी और देवताओं के कोषाध्यक्ष कुबेर देव जी है।
✏️ द्वितीया तिथि के स्वामी सृष्टि के रचियता भगवान ‘ब्रह्मा’ जी हैं। इसका विशेष नाम ‘सुमंगला’ है। यह भद्रा संज्ञक तिथि है।
🪙 नक्षत्र के स्वामी – पुष्य नक्षत्र के देवता देव गुरु बृहस्पति और स्वामी शनि देव जी है ।
⚜️ दिशाशूल – शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही खाकर जाएँ ।
🚕 यात्रा शकुन- शुक्रवार को मीठा दही खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।
💁🏻♀️ आज का उपाय-मंदिर में खीर अर्पित करें।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय-गूलर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व व त्यौहार-खिस्ताब्द 2021 प्रारंभ
✍🏼 विशेष – द्वितीया को निम्बू का सेवन नहीं करना चाहिए।
⚜️ सोमवार और शुक्रवार को द्वितीया तिथि मृत्युदा होती है।लेकिन बुधवार के दिन दोनों पक्षों की द्वितीया में विशेष सामर्थ होता है और यह सिद्धिदा हो जाती है, अर्थात इसमें किये गये सभी कार्य शुभ और सफल होते हैं।
द्वितीया तिथि को चारो वेदो के रचियता ब्रह्मा जी का स्मरण करने से कार्य सिद्ध होते है।
व्यास लिखित पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के चार मुख हैं, जो चार दिशाओं में देखते हैं। शास्त्रों के अनुसार ब्रह्मा को स्वयंभू (स्वयं जन्म लेने वाला) और चार वेदों का निर्माता माना गया है। ब्रह्मा की उत्पत्ति विष्णु की नाभि से निकले कमल से मानी गयी है। मान्यता है कि ब्रह्मा जी के एक मुँह से हर वेद निकला था।
देवी सावित्री ब्रह्मा जी की पत्नी, माँ सरस्वती ब्रह्मा जी की पुत्री, सनकादि ऋषि,नारद मुनि और दक्ष प्रजापति इनके पुत्र और इनका वाहन हंस है।
ब्रह्मा जी ने अपने चारो हाथों में क्रमश: वरमुद्रा, अक्षरसूत्र, वेद तथा कमण्डलु धारण किया है।
द्वितीया तिथि को ब्रह्मचारी ब्राह्मण की पूजा करना एवं उन्हें भोजन, अन्न, वस्त्र आदि का दान देना बहुत शुभ माना गया है।
शुक्ल पक्ष की द्वितीया में भगवान शंकर जी माँ पार्वती के संग होते हैं इसलिए भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं। लेकिन कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि में भगवान शंकर की पूजा करना उत्तम नहीं माना जाता है।
🌷 विघ्नों और मुसीबते दूर करने के लिए 🌷
👉 02 जनवरी 2021 शनिवार को संकष्ट चतुर्थी (चन्द्रोदय रात्रि 09:14)
🙏🏻 शिव पुराण में आता हैं कि हर महिने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी ( पूनम के बाद की ) के दिन सुबह में गणपतिजी का पूजन करें और रात को चन्द्रमा में गणपतिजी की भावना करके अर्घ्य दें और ये मंत्र बोलें :
ॐ गं गणपते नमः
ॐ सोमाय नमः ।