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आज शाम 07 : 48 बजे से गुरुपुष्य शुरू होगा व कल सूर्योदय तक रहेगा जाने आक का पंचाग व विशेष बाते भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ –

 
🕉️दिनांक :- 31 दिसम्बर 2020
☯️वार :- गुरुवार
⚜️तिथि :- प्रथम 09:29 बजे तक ततपश्चात द्वितीया शुरू
🌓पक्ष :- कृष्ण पक्ष
🧾माह :- पौष
🪐नक्षत्र :- पुनर्वसु आज शाम 07:48 बजे तक ततपश्चात पुष्य नक्षत्र शुरू
💫योग :- ऐन्द्र
⚡करण :- कौलव 09:29 तक ततपश्चात तैतुल
🌕चन्द्र राशि :- मिथुन दोपहर 01:37 बजे तक ततपश्चात कर्क
🌝सूर्य राशि :- धनु
🌈ऋतु :- हेमंत
❇️आयन :- उत्तरायण
🌎संवत्सर :- शार्वरी
🌍विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
🌏शाका संवत :- 1942 शाका संवत
🕗समय मानक :- मोमासर बीकानेर राज.
🌝सूर्योदय :- 07:27 बजे 🌚सूर्यास्त :- 17:48 बजे
🏞️दिन काल :- 10 घण्टे 20 मिनट
🌌रात्री काल :- 13 घण्टे 39 मिनट
🌔चंद्रोदय :- 18:56
🌒चंद्रास्त :- 32:00
❎राहू काल :- 13:55 – 15:12 अशुभ
✅अभिजित :- 12:17 -12:58 शुभ
💠पंचक :- नहीं
♻️दिशाशूल :- दक्षिण दिशा
🌝चोघडिया, दिन🌝
1️⃣शुभ :- 07:27 – 08:44 शुभ
2️⃣रोग :- 08:44 – 10:02 अशुभ
3️⃣उद्वेग :- 10:02 – 11:20 अशुभ
4️⃣चर :- 11:20 – 12:37 शुभ
5️⃣लाभ :- 12:37 – 13:55 शुभ
6️⃣अमृत :- 13:55 – 15:12 शुभ
7️⃣काल :- 15:12 – 16:30 अशुभ
8️⃣शुभ :- 16:30 – 17:48 शुभ
🌕चोघडिया, रात🌕
1️⃣अमृत :- 17:48 – 19:30 शुभ
2️⃣चर :- 19:30 – 21:12 शुभ
3️⃣रोग :- 21:12 – 22:55 अशुभ
4️⃣काल :- 22:55 – 24:37* अशुभ
5️⃣लाभ :- 24:37* – 26:20* शुभ
6️⃣उद्वेग :- 26:20* – 28:02* अशुभ
7️⃣शुभ :- 28:02* – 29:45* शुभ
8️⃣अमृत :- 29:45* – 31:27* शुभ
💥 विशेष – प्रतिपदा को कूष्माण्ड(कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है।
🙏🏻१०८ मोती की माला लेकर जो गुरुमंत्र का जप करता है, श्रद्धापूर्वक तो २७ नक्षत्र के देवता उस पर खुश होते हैं और नक्षत्रों में मुख्य है पुष्य नक्षत्र, और पुष्य नक्षत्र के स्वामी हैं देवगुरु ब्रहस्पति | पुष्य नक्षत्र समृद्धि देनेवाला है, सम्पति बढ़ानेवाला है | उस दिन ब्रहस्पति का पूजन करना चाहिये | ब्रहस्पति को तो हमने देखा नहीं तो सद्गुरु को ही देखकर उनका पूजन करें और मन ही मन ये मंत्र बोले –
ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नम :
ॐ ऐं क्लीं बृहस्पतये नम:
🌳 बरगद के पत्ते पर गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में हल्दी से स्वस्तिक बनाकर घर में रखें |
🌷गुरुपुष्यामृत योग🌷
🙏🏻 ‘शिव पुराण’ में पुष्य नक्षत्र को भगवान शिव की विभूति बताया गया है | पुष्य नक्षत्र के प्रभाव से अनिष्ट-से-अनिष्टकर दोष भी समाप्त और निष्फल-से हो जाते हैं, वे हमारे लिए पुष्य नक्षत्र के पूरक बनकर अनुकूल फलदायी हो जाते हैं | ‘सर्वसिद्धिकर: पुष्य: |’ इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है | पुष्य नक्षत्र में किये गए श्राद्ध से पितरों को अक्षय तृप्ति होती है तथा कर्ता को धन, पुत्रादि की प्राप्ति होती है |
🙏🏻 इस योग में किया गया जप, ध्यान, दान, पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं ।


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