मार्गशीर्ष शुक्ला दशमी, गुरुवार जानें आज का पंचांग
. 🌞आज का पंचांग🌞
आज है धर्मराज दशमी
🧾 दिनांक :- 24 दिसम्बर 2020
⚛️ मार्गशीर्ष शुक्ला दशमी
⚛️ तिथि :- दशमी रात 11:16 बजे तक ततपश्चात एकादशी
⚛️ पक्ष :- शुक्ल पक्ष
🪙 नक्षत्र :- अश्विनी
⚛️ योग :- परिघ
⚛️ करण :- तैतुल 09:57 बजे तक ततपश्चात गर
⚛️ वार :- गुरूवार
📆 माह (अमावस्यांत) :- मार्गशीर्ष
📆 माह (पूर्णिमांत) :- मार्गशीर्ष
🌕 चन्द्र राशि :- मेष
🌝सूर्य राशि :- धनु
🌈 ऋतु :- हेमंत ऋतु
❇️ आयन :- उत्तरायण
🧾संवत्सर :- शार्वरी
🧾संवत्सर (उत्तर) :- प्रमादी
⚜️ विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
⚜️ विक्रम संवत (कर्तक) :- 2077 विक्रम संवत
⚜️ शाका संवत :- 1942 शाका संवत
🌝 सूर्योदय :- 07:24 बजे 🌝 सूर्यास्त :- शाम 05:43 बजे
⚡दिन काल :- 10 घण्टे 19 मिनट 04 सेकेण्ड
☄️ रात्री काल :- 13 घण्टे 41 मिनट 20 सेकेंड
🌘 चंद्रोदय :- 13:58 बजे 🌒 चंद्रास्त :- 26:56 बजे
🕉️ शुभाशुभ मुहूर्त 🕉️
❌राहू काल :- 13:51 – 15:09 अशुभ
❌यम घंटा :- 07:24 – 08:42 अशुभ
❇️ गुली काल :- 09:59 – 11:16
✅ अभिजित मुहूर्त :- 12:13 -12:54 शुभ
⚜️ पंचक :- समाप्त
🕗 समय मानक :- मोमासर (बीकानेर) राज.
🔼 चोघडिया, दिन 🔼
☀️शुभ :- 07:24 – 08:42 शुभ
☀️रोग :- 08:42 – 09:59 अशुभ
☀️उद्वेग :- 09:59 – 11:16 अशुभ
☀️चर :- 11:16 – 12:34 शुभ
☀️लाभ :- 12:34 – 13:51 शुभ
☀️अमृत :- 13:51 – 15:09 शुभ
☀️काल :- 15:09 – 16:26 अशुभ
☀️शुभ :- 16:26 – 17:43 शुभ
🔽 चोघडिया, रात 🔽
🔅अमृत 17:43 – 19:26 शुभ
🔅चर 19:26 – 21:09 शुभ
🔅रोग 21:09 – 22:51 अशुभ
🔅काल 22:51 – 24:34* अशुभ
🔅लाभ 24:34* – 26:17* शुभ
🔅उद्वेग 26:17* – 27:59* अशुभ
🔅शुभ 27:59* – 29:42* शुभ
🔅अमृत 29:42* – 31:25* शुभ
⛅ दिशाशूल – दक्षिण दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण –
💥 धर्मराज दशमी 🌞ब
।। आज का दिन मंगलमय हो ।।
🌌 दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति) गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए । पंडित श्रवण भारद्वाज के अनुसार गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।
गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं । इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।
✏️ तिथि का स्वामी – दशमी तिथि के स्वामी यमराज जी और एकादशी तिथि के स्वामी भगवान विश्वदेव जी है।
💫 नक्षत्र – अश्विनी
🪙 नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- अश्विनी नक्षत्र के देवता अश्विनीकुमार जी और नक्षत्र के स्वामी केतु जी है ।
🔱 दिशाशूल – बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।
🚕 यात्रा शकुन- बेसन से बनी मिठाई खाकर यात्रा पर निकलें।
👉🏼 आज का मंत्र-ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवै नम:।
💁🏻♀️ आज का उपाय-किसी विप्र को पीले वस्त्र भेंट करें।
🌴 वनस्पति तंत्र उपाय-पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
⚛️ पर्व व त्यौहार-भारतीय ग्राहक दिवस
✍🏼 विशेष – दशमी को कलम्बी और परवल का सेवन नहीं करना चाहिए ।
🕉️धर्मराज दशमी
⚜️ दशमी तिथि के देवता यमराज जी हैं। यह दक्षिण दिशा के स्वामी है। इनका निवास स्थान यमलोक है।
इस दिन इनकी पूजा करने, इनसे अपने पापो के लिए क्षमा माँगने से जीवन की समस्त बाधाएं दूर होती हैं, निश्चित ही सभी रोगों से छुटकारा मिलता है, नरक के दर्शन नहीं होते है अकाल मृत्यु के योग भी समाप्त हो जाते है।
इस तिथि को धर्मिणी भी कहा गया है। समान्यता यह तिथि धर्म और धन प्रदान करने वाली मानी गयी है । दशमी तिथि में नया वाहन खरीदना शुभ माना गया है।
इस तिथि को सरकार से संबंधी कार्यों का आरम्भ किया जा सकता है। दशमी को परवल नहीं खाना चाहिए।
यमराज जी का समस्त रोगों को बाधाओं को दूर करने वाले मन्त्र :- “ॐ क्रौं ह्रीँ आं वैवस्वताय धर्मराजाय भक्तानुग्रहकृते नम : “॥ की एक माला का जाप अथवा कम से कम 21 बार इस मन्त्र का जाप करें ।
🙏🏻 विष्णु धर्मोत्तर ग्रंथ में बताया कि
जिनके परिवार में ज्यादा बीमारी …..जल्दी-जल्दी किसी की मृत्यु हो जाती है वे लोग मार्गशीर्ष मास में शुक्ल पक्ष के दशमी तिथि के दिन (दशमी तिथि के स्वामी यमराज है मृत्यु के देवता | ) भगवान धर्मराज यमराज का मानसिक पूजन करे, और हो सके तो घी की आहुति दे |
🙏🏻 हवन की छोटी सी व्यवस्था कर , घी से आहुति डाले इससे दीर्घायु, आरोग्य और ऐश्वर्य तीनों की वृद्धि होती है विष्णु धर्मोत्तर ग्रंथ में बताया है | आहुति डालते समय ये मंत्र बोले–
💥 विशेष – [ ध्यान रखे जिसके घर में तकलीफे है वो जरुर आहुति डाले और डालते समय स्वाहा बोले और जो आहुति न डाले तो वो नम: बोले | ]
🌷 ॐ यमाय नम:
🌷 ॐ धर्मराजाय नम:
🌷 ॐ मृत्यवे नम:
🌷 ॐ अन्तकाय नम:
🌷 ॐ कालाय नम:
🙏🏻 ये पाँच मंत्र बोले ज्यादा देर तक आहुति डाले तो भी अच्छा है |
🙏🏻 अकाल मृत्यु घर में न हो, जल्दी-जल्दी किसी की मृत्यु न हो उसके लिए घर में अमावस्या के दिन गीता का सातवां अध्याय पढना चाहिये | पाठ पूरा हो जाय तो सूर्य भगवान को अर्घ्य देना चाहिये कि हमारे घर में सबकी लंबी आयु हो और जो पहले गुजर गये है हे भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और आज के गीता पाठ का पुण्य ये उनको पहुँचे | ॐ नमो भगवते वासुदेवाय करके वो जल चढ़ा दे |
🙏🏻 और हो सके तो ….भगवान ने पैसा दिया हो थोडा बहुत तो उस अमावस्या को गरीब बच्चों – बच्चीयों को चार–पाँच बच्चों को खाना देकर आये सब्जी-रोटी थोडा कुछ मीठा हलवा बना ले थोडा-सा गरीब बच्चों को दे आये | सेवा भी हो जायेगी और जो गुजर गये है वो हम पर राजी हो जायेंगे |
💥 विशेष – 24 दिसम्बर 2020 गुरुवार को मार्गशीर्ष मास शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि है।
🌷 मोक्षदा एकादशी 🌷
➡ 24 दिसम्बर 2020 गुरुवार को रात्रि 11:17 से 26 दिसम्बर, शनिवार को रात्रि 01:54 तक (यानी 25 दिसम्बर, शुक्रवार को पूरा दिन) एकादशी है ।
💥 विशेष – 25 दिसम्बर, शुक्रवार को एकादशी का व्रत (उपवास) रखें ।
🙏🏻 यह बड़े भारी पापों का नाश करनेवाला व्रत है | 8नीच योनि में पड़े पितर भी इसके पुण्यदान से मोक्ष पाते हैं |
🌷 तुलसी व तुलसी-माला की महिमा 🌷
➡ 25 दिसम्बर को तुलसी पूजन दिवस है ।
🌿 तुलसीदल एक उत्कृष्ट रसायन है। यह गर्म और त्रिदोषशामक है। रक्तविकार, ज्वर, वायु, खाँसी एवं कृमि निवारक है तथा हृदय के लिए हितकारी है।
🌿 सफेद तुलसी के सेवन से त्वचा, मांस और हड्डियों के रोग दूर होते हैं।
🌿 काली तुलसी के सेवन से सफेद दाग दूर होते हैं।
🌿 तुलसी की जड़ और पत्ते ज्वर में उपयोगी हैं।
🌿 वीर्यदोष में इसके बीज उत्तम हैं तुलसी की चाय पीने से ज्वर, आलस्य, सुस्ती तथा वातपित्त विकार दूर होते हैं, भूख बढ़ती है।
🌿 जहाँ तुलसी का समुदाय हो, वहाँ किया हुआ पिण्डदान आदि पितरों के लिए अक्षय होता है। यदि तुलसी की लकड़ी से बनी हुई मालाओं से अलंकृत होकर मनुष्य देवताओं और पितरों के पूजनादि कार्य करें तो वह कोटि गुना फल देने वाला होता है।
🌿 तुलसी सेवन से शरीर स्वस्थ और सुडौल बनता है। मंदाग्नि, कब्जियत, गैस, अम्लता आदि रोगों के लिए यह रामबाण औषधि सिद्ध हुई है।
🌿 गले में तुलसी की माला धारण करने से जीवनशक्ति बढ़ती है, आवश्यक एक्युप्रेशर बिन्दुओं पर दबाव पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव में लाभ होता है, संक्रामक रोगों से रक्षा होती है तथा शरीर स्वास्थ्य में सुधार होकर दीर्घायु की प्राप्ति होती है। शरीर निर्मल, रोगमुक्त व सात्त्विक बनता है। इसको धारण करने से शरीर में विद्युतशक्ति का प्रवाह बढ़ता है तथा जीव-कोशों द्वारा धारण करने के सामर्थ्य में वृद्धि होती है। गले में माला पहनने से बिजली की लहरें निकलकर रक्त संचार में रूकावट नहीं आने देतीं । प्रबल विद्युतशक्ति के कारण धारक के चारों ओर चुम्बकीय मंडल विद्यमान रहता है। तुलसी की माला पहनने से आवाज सुरीली होती है, गले के रोग नहीं होते, मुखड़ा गोरा, गुलाबी रहता है। हृदय पर झूलने वाली तुलसी माला फेफड़े और हृदय के रोगों से बचाती है। इसे धारण करने वाले के स्वभाव में सात्त्विकता का संचार होता है। जो मनुष्य तुलसी की लकड़ी से बनी हुई माला भगवान विष्णु को अर्पित करके पुनः प्रसाद रूप से उसे भक्तिपूर्वक धारण करता है, उसके पातक नष्ट हो जाते हैं।
🌿 कलाई में तुलसी का गजरा पहनने से नब्ज नहीं छूटती, हाथ सुन्न नहीं होता, भुजाओं का बल बढ़ता है।
🌿 तुलसी की जड़ें कमर में बाँधने से स्त्रियों को, विशेषतः गर्भवती स्त्रियों को लाभ होता है। प्रसव वेदना कम होती है और प्रसूति भी सरलता से हो जाती है।
🌿 कमर में तुलसी की करधनी पहनने से पक्षाघात नहीं होता, कमर, जिगर, तिल्ली, आमाशय और यौनांग के विकार नहीं होते हैं।
🌿 तुलसी की माला पर जप करने से उँगलियों के एक्यूप्रेशर बिन्दुओं पर दबाव पड़ता है, जिससे मानसिक तनाव दूर होता है ।
🌿 इसके नियमित सेवन से टूटी हड्डियाँ जुड़ने में मदद मिलती हैं ।
🌿 तुलसी की पत्तियों के नियमित सेवन से क्रोधावेश एवं कामोत्तेजना पर नियंत्रण रहता है ।
🌿 तुलसी के समीप पड़ने, संचिन्तन करने से, दीप जलने से और पौधे की परिक्रमा करने से पांचो इन्द्रियों के विकार दूर होते हैं ।
🌷 श्रीमद् भगवद् गीता जयंती 🌷
➡ 25 दिसम्बर 2020 शुक्रवार को श्रीमद् भगवद् गीता जयंती है।
🙏🏻 धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। इसलिए प्रतिवर्ष इस तिथि को गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है, जिसकी जयंती मनाई जाती है।
🙏🏻 गीता दुनिया के उन चंद ग्रंथों में शुमार है, जो आज भी सबसे ज्यादा पढ़े जा रहे हैं और जीवन के हर पहलू को गीता से जोड़कर व्याख्या की जा रही है। इसके 18 अध्यायों के करीब 700 श्लोकों में हर उस समस्या का समाधान है जो कभी ना कभी हर इंसान के सामने आती है। आज हम आपको इस लेख में गीता के 9 चुनिंदा प्रबंधन सूत्रों से रूबरू करवा रहे हैं, जो इस प्रकार हैं-
🌷 1 : श्लोक
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतु र्भूर्मा ते संगोस्त्वकर्मणि ।।
🙏🏻 अर्थ- भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि हे अर्जुन। कर्म करने में तेरा अधिकार है। उसके फलों के विषय में मत सोच। इसलिए तू कर्मों के फल का हेतु मत हो और कर्म न करने के विषय में भी तू आग्रह न कर।
➡ मैनेजमेंट सूत्र- भगवान श्रीकृष्ण इस श्लोक के माध्यम से अर्जुन से कहना चाहते हैं कि मनुष्य को बिना फल की इच्छा से अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा व ईमानदारी से करना चाहिए। यदि कर्म करते समय फल की इच्छा मन में होगी तो आप पूर्ण निष्ठा से साथ वह कर्म नहीं कर पाओगे। निष्काम कर्म ही सर्वश्रेष्ठ परिणाम देता है। इसलिए बिना किसी फल की इच्छा से मन लगाकर अपना काम करते रहो। फल देना, न देना व कितना देना ये सभी बातें परमात्मा पर छोड़ दो क्योंकि परमात्मा ही सभी का पालनकर्ता है।
🌷 2 : श्लोक
योगस्थ: कुरु कर्माणि संग त्यक्तवा धनंजय।
सिद्धय-सिद्धयो: समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते।।
🙏🏻 अर्थ- हे धनंजय (अर्जुन)। कर्म न करने का आग्रह त्यागकर, यश-अपयश के विषय में समबुद्धि होकर योग युक्त होकर, कर्म कर, (क्योंकि) समत्व को ही योग कहते हैं।
➡ मैनेजमेंट सूत्र- धर्म का अर्थ होता है कर्तव्य। धर्म के नाम पर हम अक्सर सिर्फ कर्मकांड, पूजा-पाठ, तीर्थ-मंदिरों तक सीमित रह जाते हैं। हमारे ग्रंथों ने कर्तव्य को ही धर्म कहा है। भगवान कहते हैं कि अपने कर्तव्य को पूरा करने में कभी यश-अपयश और हानि-लाभ का विचार नहीं करना चाहिए। बुद्धि को सिर्फ अपने कर्तव्य यानी धर्म पर टिकाकर काम करना चाहिए। इससे परिणाम बेहतर मिलेंगे और मन में शांति का वास होगा। मन में शांति होगी तो परमात्मा से आपका योग आसानी से होगा। आज का युवा अपने कर्तव्यों में फायदे और नुकसान का नापतौल पहले करता है, फिर उस कर्तव्य को पूरा करने के बारे में सोचता है। उस काम से तात्कालिक नुकसान देखने पर कई बार उसे टाल देते हैं और बाद में उससे ज्यादा हानि उठाते हैं।
🌷 3 : श्लोक
नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना।
न चाभावयत: शांतिरशांतस्य कुत: सुखम्।
🙏🏻 अर्थ- योग रहित पुरुष में निश्चय करने की बुद्धि नहीं होती और उसके मन में भावना भी नहीं होती। ऐसे भावना रहित पुरुष को शांति नहीं मिलती और जिसे शांति नहीं, उसे सुख कहां से मिलेगा।
➡ मैनेजमेंट सूत्र – हर मनुष्य की इच्छा होती है कि उसे सुख प्राप्त हो, इसके लिए वह भटकता रहता है, लेकिन सुख का मूल तो उसके अपने मन में स्थित होता है। जिस मनुष्य का मन इंद्रियों यानी धन, वासना, आलस्य आदि में लिप्त है, उसके मन में भावना (आत्मज्ञान) नहीं होती। और जिस मनुष्य के मन में भावना नहीं होती, उसे किसी भी प्रकार से शांति नहीं मिलती और जिसके मन में शांति न हो, उसे सुख कहां से प्राप्त होगा। अत: सुख प्राप्त करने के लिए मन पर नियंत्रण होना बहुत आवश्यक है।
👉🏻 शेष कल……….