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सूर्य आज से बदलेगा अपनी चाल, जानें आज का पंचांग पंडित श्रवण भारद्वाज के साथ

साल का सबसे छोटा दिन आज, सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आज जाएगा, सिद्धियोग समाप्त व्यतिपात योग शुरू, जाने आज का पंचाग, व्यतिपात योग के बारे में विस्तार से एवं बहुत सी विशेष बातें –
🧾दिनांक :- 21 दिसम्बर 2020
⚛️मार्गशीर्ष शुक्ला सप्तमी
⚛️तिथि :- सप्तमी शाम 04:14 तक ततपश्चात अष्टमी
⚛️पक्ष :- शुक्ल
🪐नक्षत्र :- पूर्वभाद्रपदा रात्री 11:02 मिनट तक ततपश्चात उत्तराभाद्रपद
⚛️योग :- सिद्वि योग 11:49 तक ततपश्चात व्यतीपात योग
⚛️करण :- वणिज शाम 04:14 बजे तक ततपश्चात विष्टि भद्र
⚛️वार :- सोमवार
📆माह (अमावस्यांत) :- मार्गशीर्ष
📆माह (पूर्णिमांत) :- मार्गशीर्ष
🌕चन्द्र :- राशि कुम्भ शाम 04:28 बजे तक ततपश्चात मीन
🌝सूर्य :- राशि धनु
🌈ऋतु :- हेमंत ऋतु
❇️ रवि अयन :- दक्षिणायण, परन्तु आज “उत्तरायण” हो जाएगा
🧾संवत्सर :- शार्वरी
🧾संवत्सर (उत्तर) :- प्रमादी
🧾विक्रम संवत :- 2077 विक्रम संवत
🧾विक्रम संवत (कर्तक) :- 2077 विक्रम संवत
🧾शाका संवत :- 1942 शाका संवत
♻️ दिशाशूल – पूर्व दिशा में
🌝सूर्योदय :- 07:22 बजे 🌝सूर्यास्त :- शाम 05:42 बजे
⚛️दिन काल :- 10घण्टे 18 मिनट 44 सेकेण्ड
☄️रात्री काल :- 13 घण्टे 41 मिनट 34 सेकेण्ड
🌙चंद्रोदय :- 12:29:18
🌒चंद्रास्त :- 24:20:24*
🕉️ शुभाशुभ मुहूर्त –
❌राहू काल :- सुबह 08:40 से 09:58बजे तक अशुभ
❌यम घंटा :- सुबह 11:15 – 12:32 बजे तक अशुभ
♻️गुली काल :- दोपहर 01: 50 बजे से शाम 03:07 बजे तक
👌अभिजित मुहूर्त :- मध्याह्नकाल 12:12 बजे से 12:53 सर्वश्रेष्ठ
⚜️ पंचक :- 3️⃣
🕖 समय मानक :- मोमासर बीकानेर राज.
👇चोघडिया, दिन👇
☀️अमृत 07:23 – 08:40 शुभ
☀️काल 08:40 – 09:58 अशुभ
☀️शुभ 09:58 – 11:15 शुभ
☀️रोग 11:15 – 12:32 अशुभ
☀️उद्वेग 12:32 – 13:50 अशुभ
☀️चर 13:50 – 15:07 शुभ
☀️लाभ 15:07 – 16:24 शुभ
☀️अमृत 16:24 – 17:42 शुभ
👇🏻चोघडिया, रात👇🏻
🔅चर 17:42 – 19:24 शुभ
🔅रोग 19:24 – 21:07 अशुभ
🔅काल 21:07 – 22:50 अशुभ
🔅लाभ 22:50 – 24:33* शुभ
🔅उद्वेग 24:33* – 26:15* अशुभ
🔅शुभ 26:15* – 27:58* शुभ
🔅अमृत 27:58* – 29:41* शुभ
🔅चर 29:41* – 31:23* शुभ
🌙 व्रत पर्व विवरण – शिशिर ऋतु प्रारंभ
💥 विशेष – सप्तमी को ताड़ का फल खाने से रोग बढ़ता है तथा शरीर का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)
🕉️ रुद्र गायत्री मंत्र : ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ॥
🌌 दिन (वार) – सोमवार के दिन क्षौरकर्म कराए जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है ।
सोमवार का व्रत रखने से मनचाहा जीवन साथी मिलता है, वैवाहिक जीवन में लम्बा और सुखमय होता है।
जीवन में शुभ फलो की प्राप्ति के लिए हर सोमवार को शिवलिंग पर पंचामृत या मीठा कच्चा दूध एवं काले तिल चढ़ाएं, इससे भगवान महादेव की कृपा बनी रहती है परिवार से रोग दूर रहते है ।
🪙 नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र के देवता अजैकपाद तथा स्वामी देवगुरू बृहस्पति हैं।
🔱 दिशाशूल – सोमवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दर्पण देखकर, दूध पीकर जाएँ ।
✍🏼 विशेष – सप्तमी को ताड़ का सेवन नहीं करना चाहिए ।
🐚 वीणा शंख :
1. विद्या की देवी सरस्वती भी शंख धारण करती है। यह शंख वीणा समान आकृति का होता है इसीलिए इसे वीणा शंख कहा जाता है।
2. माना जाता है कि इसके जल को पीने से मंदबुद्धि व्‍यक्ति भी ज्ञानी हो जाता है।
3. अगर वाणी में कोई दोष है या बोल नहीं पाते हैं तो इस शंख का जल पीने के साथ-साथ इसे बजाएं भी।
🪨 ऐरावत शंख :
1. इंद्र के हाथी का नाम ऐरावत है। यह शंख उसी के समान दिखाई देता है इसीलिए इसका नाम ऐरावत है।
2. यह शंख मूलत: सिद्ध और साधना प्राप्ति के लिए माना गया है।
3. माना जाता है कि रंग और रूप को निखारने के लिए भी इस शंख का उपयोग किया जाता है। इस शंख में 24 से 28 घंटे जल भर करके रखें और फिर उसको ग्रहण करेंगे तो चेहरा कांतिमय बन जाएगा। ऐसा प्रतिदिन कुछ दिनों तक करना चाहिए।
⚜️ सप्तमी के स्वामी भगवान सूर्य देव हैं। इस दिन आदित्यह्रदय स्रोत्र का पाठ अवश्य करें। सप्तमी को काले, नीले वस्त्रो को धारण नहीं करना चाहिए। सप्तमी का विशेष नाम ‘मित्रपदा’ है। सप्तमी तिथि को शुभ प्रदायक माना गया है, इस तिथि में जातक को सूर्य का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है ।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का भी दिन माना जाता है, जो समस्त संकटों का नाश करने वाली हैं। अत: इस दिन माँ काली की आराधना, स्मरण अवश्य करें ।
सप्तमी तिथि में जन्मा जातक भाग्यशाली, गुणवान, तेजयुक्त होता है उसकी काबिलियत से उसे सभी क्षेत्रो में सम्मान प्राप्त होता है।सप्तमी की दिशा वायव्य मानी गयी है।
🌷व्यतिपात योग🌷
🙏🏻 व्यतिपात योग की ऐसी महिमा है कि उस समय जप पाठ प्राणायम, माला से जप या मानसिक जप करने से भगवान की और विशेष कर भगवान सूर्यनारायण की प्रसन्नता प्राप्त होती है जप करने वालों को, व्यतिपात योग में जो कुछ भी किया जाता है उसका १ लाख गुना फल मिलता है।
🙏🏻 वाराह पुराण में ये बात आती है व्यतिपात योग की।
🙏🏻 व्यतिपात योग माने क्या देवताओं के गुरु बृहस्पति की धर्मपत्नी तारा पर चन्द्र देव की गलत नजर थी जिसके कारण सूर्य देव अप्रसन्न हुए नाराज हुए, उन्होनें चन्द्रदेव को समझाया पर चन्द्रदेव ने उनकी बात को अनसुना कर दिया तो सूर्य देव को दुःख हुआ कि मैने इनको सही बात बताई फिर भी ध्यान नहीं दिया और सूर्यदेव को अपने गुरुदेव की याद आई कि कैसा गुरुदेव के लिये आदर प्रेम श्रद्धा होना चाहिये पर इसको इतना नहीं थोडा भूल रहा है ये, सूर्यदेव को गुरुदेव की याद आई और आँखों से आँसू बहे वो समय व्यतिपात योग कहलाता है। और उस समय किया हुआ जप, सुमिरन, पाठ, प्रायाणाम, गुरुदर्शन की खूब महिमा बताई है वाराह पुराण में।
💥 विशेष ~ 21 दिसम्बर 2020 सोमवार को दोपहर 11:53 से 22 दिसम्बर, मंगलवार को दोपहर 12:11 तक व्यतिपात योग है।


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