मसाला किंग मशहूर उद्योगपति धर्मपाल गुलाटी का निधन
आइए आज हम आपको इनकी सक्सेस स्टोरी के बारे में बताते हैं कि कैसे इन्होंने पाकिस्तान से भारत तक करोड़ों का बिजनेस एंपायर खड़ा किया है-
महाशय धर्मपाल गुलाटी की कंपनी महाशियन दि हट्टी (MDH) ग्रुप की वैल्यूएशन इस समय करीब 2000 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है, लेकिन उनकी इस सेक्सफुल कहानी के बारे में कम ही लोग जानते हैं.
रोजगार की तलाश में दिल्ली आकर उन्होंने तांगा चलाना शुरू किया, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था. इसीलिए उन्होंने वो तांगा अपने भाई को देकर मसाले बेचना शुरू किया. उनका मसाला लोगों की जुबान पर ऐसा चढ़ा कि देशभर में धूम मच गई.
दिल्ली आकर तांगा चलाना शुरू किया: धर्मपाल गुलाटी के सामने दिल्ली आकर पैसा कमाना सबसे बड़ी चुनौती थी. उन दिनों धर्मपाल की जेब में 1500 रुपये ही बचे थे. पिता से मिले इन 1500 रुपये में से 650 रुपये का धर्मपाल ने घोड़ा और तांगा खरीद लिया और रेलवे स्टेशन पर तांगा चलाने लगे. कुछ दिनों बाद उन्होंने तांगा भाई को दे दिया और करोलबाग की अजमल खां रोड पर ही एक छोटा सा खोखा लगाकर मसाले बेचना शुरू किया. (Photo-MDH website)
मसाले का कारोबार चल निकला: धर्मपाल ने मिर्च मसालों का जो साम्राज्य खड़ा किया, उसकी नींव इसी छोटे से खोखे पर रखी गई थी. जैसे-जैसे लोगों को पता चला कि सियालकोट की देगी मिर्च वाले अब दिल्ली में हैं धर्मपाल का कारोबार तेजी से फैलता चला गया. 60 का दशक आते-आते महाशियां दी हट्टी करोलबाग में मसालों की एक मशहूर दुकान बन चुकी थी. (Photo-MDH website)
ऐसा बना एमडीएच: महाशय धर्मपाल के परिवार ने छोटी सी पूंजी से कारोबार शुरू किया था, लेकिन कारोबार में बरकत के चलते वो दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में दुकान दर दुकान खरीदते चले गए. गुलाटी परिवार ने पाई-पाई जोड़कर अपने धंधे को आगे बढ़ाया.
उन दिनों जब बैंक से कर्ज लेने का रिवाज नहीं था, लेकिन महाशय धर्मपाल ने यह जोखिम उठाया. गुलाटी परिवार ने 1959 में दिल्ली के कीर्ति नगर में मसाले तैयार करने की अपनी पहली फैक्ट्री लगाई थी. 93 साल के लंबे सफर के बाद सियालकोट की महाशियां दी हट्टी अब दुनिया भर में एमडीएच के रुप में मसालों का ब्रैंड बन चुकी है.
2000 करोड़ रुपये का बिजनेस एंपायर: धर्मपाल गुलाटी जी का बिजनेस एंपायर अब 2000 करोड़ रुपये का हो चुका है. उनकी कंपनी सालाना अरबों रुपयों का कारोबार करती है. लेकिन एक तांगे वाले से अरबपति बनने की उनकी ये अदभुत कामयाबी 60 सालों की कड़ी मेहनत और लगन का नतीजा है. दौलत के ढेर पर बैठ कर आज भी महाशय धर्मपाल ईमानदारी, मेहनत और अनुशासन का पुराना पाठ भूले नहीं है. यही वजह है कि आज उनके मसाले दुनिया के सौ से ज्यादा देशों में इस्तेमाल किए जाते हैं और इसके लिए उन्होंने देश और विदेश में मसाला फैक्ट्रियों का एक बड़ा साम्राज्य खड़ा कर दिया है.