राजस्थान के इन जिलों में 16 अक्टूबर से बन्द रहेगी इंटरनेट सेवाएं
राजस्थान के कुछ जिलों में 16 अक्टूबर यानी शुक्रवार की आधी रात से इंटरनेट सेवाएं निरस्त कर दी जाएंगी। प्राप्त जानकारी के अनुसार 16 अक्टूबर की मध्यरात्रि से 17 अक्टूबर की आधी रात तक बयाना, वीर, भुसावर और रूपवास जिले के भरतपुर जिले में इंटरनेट बंद रहेगा। इस दौरान 2 जी / 3 जी / 4 जी डेटा इंटरनेट सेवाएं, व्हाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया (वॉयस कॉल को छोड़कर) बंद रहेंगी। यहां गुर्जर आंदोलन की आहट के चलते यह निर्णय लिया गया है। शनिवार को यहां गुर्जर महापंचायत का आयोजन होने वाला है। इसके चलते सुरक्षा कारणों से सरकार ने यह फैसला किया है। राजस्थान में एक बार फिर से गुर्जर आंदोलन शुरू हो सकता है।
Rajasthan: 2G/3G/4G data internet services, WhatsApp, Facebook, Twitter & other social media (except voice calls) suspended from midnight of 16th Oct to midnight of 17th Oct in Bayana, Weir, Bhusawar & Rupwas of Bharatpur district in wake of Gujjar Mahapanchayat called tomorrow.
— ANI (@ANI) October 16, 2020
इसे लेकर समाज के लोग तैयारी कर रहे हैं। यदि इस बार यह आंदोलन होता है तो इसका मुद्दा गुर्जर सहित 5 जातियों को लेकर रहेगा। समाज के लोगों ने इसे देखते हुए आगामी 17 अक्टूबर को महापंचायत भी बुलाई है। इसके बाद ही आंदोलन की रूपरेखा पर बात बन सकती है।गुर्जर सहित पांच जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में दिए गए पांच फीसद आरक्षण को संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल करने और राज्य सरकार की नौकरियों में आरक्षण का लाभ देने की मांग को लेकर आंदोलन की तैयारी की जा रही है। इसी कड़ी में गुर्जर नेताओं ने करौली से दिल्ली तक कूच की घोषणा की है। कूच की तारीख तय करने को लेकर 17 अक्टूबर को मलारना डूंगर में गुर्जर समाज की महापंचायत बुलाई गई है। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिह बैंसला ने राज्य सरकार पर समाज के साथ हुए समझौते की पालना नहीं करने का आरोप लगाया है।
इन पांच जातियों का है मामला
राज्य सरकार ने गुर्जर, रैबारी, रायका, गाड़िया लुहार और बंजारा जातियों को विशेष पिछड़ा वर्ग में पांच फीसद आरक्षण का एलान किया था। करीब डेढ़ साल पहले सत्ता में आई अशोक गहलोत सरकार ने विधानसभा में एक संकल्प पारित करा कर केंद्र सरकार को भेजा, जिसमें कहा गया कि विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल की गई उक्त जातियों का मामला संविधान की नौवीं अनुसूची में शामिल किया जाए।