सादुलपुर – गर्भवती महिला की मौत के बाद चल रहा आंदोलन जिला प्रशासन से हुए समझौते के बाद हुआ समाप्त
श्याम जैन, 12 अक्टुबर 2020
राजगढ़ सादुलपुर के तहसील के गांव रामपुरा में गर्भवती महिला के मौत के बाद चल रहा आंदोलन 12 अक्टूबर को जिला प्रशासन से हुए समझौते के बाद समाप्त कर दिया गया है। हालांकि आज भी गांव में तनाव का माहौल था तथा पुलिस प्रशासन के प्रति उन्होंने ग्रामीणों में रोष नज़र आ रहा था, बाद में प्रशासन और संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल के मध्य हुई वार्ता के बाद मामला निपट गया।
जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक के साथ राजस्थान विधानसभा में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेंद्र सिंह राठौड़, भाजपा के वरिष्ठ नेता पूर्व सांसद रामसिंह कस्वां, बसपा नेता एवं सादुलपुर के पूर्व विधायक मनोज न्यांगली, जिला प्रमुख हरलाल सहारण आदि की मौजूदगी में वार्ता हुई करीब घंटे भर चली।
वार्ता के बाद मांगों पर जब सहमति बन गई तो उसके बाद राठौड़ आदि ने धरना स्थल पर पहुंचकर ग्रामीणों को आवश्यक जानकारी दी। हालांकि इस दौरान एक बार माहौल बिगड़ते बिगड़ते बच गया, क्योंकि जिला प्रशासन के प्रतिनिधि के रूप में वहां उपस्थित राजगढ़ के उपखंड अधिकारी पंकज गढ़वाल ने पांच लाख रुपए की पीड़ित प्रतिकर राशि के संबंध में यह कह दिया कि हम भरकस प्रयास करेंगे। इस बात को लेकर ग्रामीण भी विरोध पर उतर आए और राठौड़ भी वापस जाकर मंच पर बैठ गए। यह देख कर चूरू के एएसपी योगेंद्र फौजदार ने बात को संभाला। उन्होंने कहा कि राठौड़ ने जो कहा है, वही समझौता जिला प्रशासन के साथ हुआ है। उसके बाद मामला शांत हो पाया।
समझौते के अनुसार मृतका के परिवार को मुख्यमंत्री सहायता कोष से अगले सप्ताह में दो लाख रुपए की मुआवजा राशि का भुगतान जिला प्रशासन कर देगा, जबकि 5 लाख रुपए की पीड़िता प्रतिकर राशि के रूप में अगले महीने में मिल जाएंगे। शेष बची तीन लाख रुपए की राशि में एक एक लाख रुपएराजगढ़ के समाजसेवी राधेश्याम डोकवे वाला तथा पूर्व चेयरमैन जगदीश बैरासरिया द्वारा पीड़ित परिवार को दिया जाएगा और एक लाख रुपए की राशि की व्यवस्था राठौड़ एवं पूर्व सांसद कस्वां द्वारा की जाएगी।
इसके अलावा पथराव आदि को लेकर पुलिस द्वारा जो भी मुकदमे दर्ज किए गए हैं उनकी न्यायिक जांच चूरू के एडीएम द्वारा की जाएगी व दर्ज मुकदमों की जांच राजगढ़ वृत्त से बाहर के पुलिस अधिकारी द्वारा की जाएगी।
जिस चिकित्सक को द्वारा लापरवाही बरती गई उसे तत्काल एपीओ किए जाने के बाद आवश्यक जांच बीकानेर या जयपुर के विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा की जाएगी। उनकी रिपोर्ट के आधार पर चिकित्सक के खिलाफ कार्यवाही होगी। रामपुरा गांव में 108 एंबुलेंस अब स्थाई रूप से रहेगी। इसके अलावा पीड़ित परिवार के दोनों सदस्यों को सरकारी योजना के अंतर्गत मकान बनवा कर दिए जाएंगे और मृतका के पति राजकुमार मीणा को उसकी योग्यता के अनुसार मनरेगा अथवा अन्य किसी योजना में संविदाकर्मी के रूप में काम प्रदान किया जाएगा।
राठौड़ द्वारा की गई इस प्रकार की घोषणा के बाद मृतका के परिजनों तथा ग्रामीणों ने संतोष जताया तथा मृतका के परिजनों ने आंदोलन समाप्त करने की स्वीकृति देते हुए मृतका के अंतिम संस्कार करने की भी बात कही। इस प्रकार 3 दिन से चल रहे घटनाक्रम का पटाक्षेप हो गया है।