हाथरस केस- पीड़िता के परिवार से मिलने के लिए राहुल, प्रियंका सहित पांच को मिली इजाजत
हाथरस मामले को लेकर पीड़िता के परिवार से मिलने जा रहे राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को प्रशासन ने इजाजत दे दी है.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ उनके साथ पांच लोगों को हाथरस जाने की इजाजत दी गई है.
कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि दुनिया की कोई ताक़त उन्हें पीड़िता के परिवार से मिलने से नहीं रोक सकती. वे पार्टी मुख्यालय से अपनी बहन और पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ हाथरस के लिए निकल चुके हैं.
जो वीडियो सामने आये हैं, उनमें प्रियंका गांधी को कार चलाते देखा जा सकता है. जबकि राहुल गांधी अपनी बहन के बगल में बैठे हुए दिख रहे हैं.
#WATCH Delhi: Congress leader Priyanka Gandhi Vadra on her way to meet the family of the alleged gangrape victim in #Hathras (UP), with Congress leader Rahul Gandhi (Source-Congress) pic.twitter.com/TSy7gLaxPL
— ANI (@ANI) October 3, 2020
उधर, यूपी पुलिस ने दिल्ली-नोएडा सीमा पर पुलिस की भारी तैनाती की है.
उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर ज़िले में धारा-144 लगा दी गई है. सीमा पर गंभीरता से चेकिंग की जा रही है. यूपी पुलिस के रुख को देखकर लगता है कि वो कांग्रेस नेताओं को उत्तर प्रदेश में दाख़िल होने देने के मूड में नहीं है.
नोएडा पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी रणविजय सिंह ने कहा है कि ‘कोविड महामारी के दौर में कांग्रेस नेताओं को धारा-144 का उल्लंघन करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. दिल्ली-नोएडा सीमा पर ग़ैर-क़ानूनी जनसभा को नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल तैनात है. हम लगातार शांति की अपील कर रहे हैं. हमारी पूरी कोशिश है कि ये समझ जायें और वापस लौट जायें.’
कांग्रेस पार्टी का आरोप है कि ‘यूपी की बीजेपी सरकार ने पीड़िता के परिवार का हक़ छीना है और उनकी बेटी को जो सम्मानित विदाई मिलनी चाहिए थी, वो भी नहीं दी गई.’ जबकि उत्तर प्रदेश प्रशासन यह दलील दे रहा है कि ‘जो कुछ हुआ, वो परिवार की मर्ज़ी से हुआ.’
पीड़िता के भाई ने बीबीसी से बात की
पीड़िता के परिवार ने पूछा, यूपी पुलिस की एसआईटी पर कैसे भरोसा करें
हाथरस मामले में पीड़िता के परिवार का कहना है कि “जब तक उन्हें उनके सवालों के जवाब नहीं मिल जाते, तब तक वो यूपी पुलिस द्वारा गठित एसआईटी पर कैसे भरोसा करें.”
पीड़िता के परिवार का एक ही सवाल है कि ‘पुलिस ने आख़िर उनकी बेटी के शव को बिनी उनकी मर्ज़ी के कैसे जला दिया?’
पीड़िता के भाई ने बीबीसी संवाददाता अनंत प्रकाश से बातचीत में यह शिक़ायत की कि “एसआईटी (विशेष जाँच दल) के गाँव से जाने के बाद डीएम (हाथरस) हमारे घर आये. उन्होंने उल्टी-सीधी बातें की. उन्होंने कहा कि तुम्हारी बेटी अगर कोरोना से मर जाती तो क्या तुम्हें मुआवज़ा मिलता? हम उन्हीं से जानना चाहते हैं कि उनकी इस बात का क्या मतलब है.”
पीड़िता के भाई ने बताया, “डीएम ने हमें दलील दी कि तुम्हारी बेटी का शव देखने लायक हालत में नहीं बचा था. हमने उनसे कहा कि हम उन्हें हर हालत में देखने के लिए तैयार थे. पोस्टमॉर्टम के बाद भी हम उन्हें देखने को तैयार थे. हमने उनसे सुबह तक का वक़्त माँगा था. पर पुलिस ने रात में ही पेट्रोल डालकर घर से कुछ दूरी पर शव को आग लगा दी. हमें नहीं मालूम कि किसकी बॉडी को उन्होंने जलाया. हम अगर अपनी बहन के शव को देख लेते तो हमें तसल्ली हो जाती.”
उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि “बीते दो दिनों में स्थानीय प्रशासन के लोगों ने उनके पिता से ना जाने कितने काग़ज़ात पर हस्ताक्षर करवाये हैं जिनके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं दी गई.”
हाथरस ज़िले की सीमा पर तैनात उत्तर प्रदेश पुलिस के जवान
पीड़िता के परिवार को इस बात की तकलीफ़ है कि उनकी बेटी के शव को कथित तौर पर पेट्रोल डालकर जलाया गया, जबकि उनके रीति-रिवाज़ों के अनुसार, बिन-ब्याही लड़की की मौत पर उसे हाथों में मेहंदी लगाकर विदा करने का चलन है.
हाथरस में 19 वर्षीय दलित युवती की मौत और उसके कथित तौर पर जबरन अंतिम संस्कार की घटना से पीड़िता के परिवार में नाराज़गी है. साथ ही इस घटना पर अब जमकर राजनीति भी हो रही है.
शुक्रवार को तृणमूल कांग्रेस के कुछ सांसदों ने इस पीड़ित परिवार से मिलने की कोशिश की थी, लेकिन पुलिस वालों ने उन्हें गाँव की ओर नहीं बढ़ने दिया था. इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी गुरुवार को हाथरस पहुँचे थे और उन्होंने भी परिवार से मिलने की कोशिश की थी, लेकिन यूपी पुलिस के सिपाहियों ने उनके साथ धक्का-मुक्की की और उन्हें गाँव तक नहीं पहुँचने दिया.
शुक्रवार को बीजेपी नेता उमा भारती ने यूपी सरकार से अपील की थी कि वो विपक्ष के नेताओं और मीडिया वालों को पीड़िता के परिवार से मिलने दे जिसके बाद, शनिवार सुबह मीडियाकर्मियों को पीड़िता के गाँव में एंट्री मिली.
स्मृति ईरानी ने कहा, ‘कांग्रेस को न्याय नहीं, राजनीति चाहिए’
हाथरस मामले पर टिप्पणी करते हुए केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कांग्रेस पार्टी की मंशा पर सवाल उठाया है.
शनिवार को प्रेस से बात करते हुए ईरानी ने कहा कि “जनता यह समझती है कि उनकी (राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी) हाथरस की तरफ कूच राजनीति के लिए हैं, पीड़िता के परिवार को इंसाफ़ दिलाने के लिए नहीं.”
स्मृति ईरानी की ओर से हाथरस मामले पर यह पहली टिप्पणी है. शुक्रवार को यह सवाल उठा था कि महिला केंद्रीय मंत्री और महिलाओं के मुद्दों पर मुखर रहीं स्मृति ईरानी ने हाथरस मामले पर कोई टिप्पणी क्यों नहीं की.
इससे पहले कांग्रेस पार्टी द्वारा यह सूचना दी गई थी कि ‘राहुल गांधी, अपनी बहन और पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ शनिवार को एक बार फिर हाथरस जाने की कोशिश करेंगे क्योंकि वे पीड़िता के परिवार से मुलाक़ात करना चाहते हैं और उनका पक्ष जानना चाहते हैं.’
मीडिया को पीड़ित परिवार से मिलने की इजाज़त
हाथरस मामले में पुलिस ने मीडिया को पीड़ित परिवार से मिलने की इजाज़त दे दी है. पिछले दो-तीन दिन से हाथरस प्रशासन मीडिया और विपक्ष को पीड़ित परिवार से मिलने नहीं दे रहा था.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने शनिवार को ट्वीट किया है कि दुनिया की कोई ताकत उन्हें परिवार से मिलने से नहीं रोक सकती.
वहीं, प्रियंका गांधी लगातार मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के इस्तीफ़े की मांग कर रही हैं. इस मामले में अब तक पांच पुलिसवालों को सस्पेंड किया जा चुका है जिसमें एक पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर भी शामिल हैं.
इस मामले में गठित विशेष जांच समिति ने अपनी शुरूआती रिपोर्ट के आधार पर इनके निलंबन की सिफ़ारिश की थी. जाँचकर्ताओं ने इस मामले से जुड़े लोगों का यानी अभियुक्तों के साथ-साथ पीड़ित परिवार का भी नार्को टैस्ट करवाने की बात कही है.
14 सितंबर को एक 20 साल की अनुसूचित जाति की लड़की पर हमला हुआ और 29 सितंबर को दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल में उसने दम तोड़ दिया.
पुलिस ने कहा, रेप की पुष्टि नहीं
उसके बाद पुलिस ने आधी रात को ही आनन-फानन में उसका अंतिम-संस्कार किया.
परिवार का कहना है कि उनकी इजाज़त के बिना मृतक लड़की का प्रशासन और पुलिस ने अंतिम संस्कार कर दिया. उन्हें मृतक की मेडिकल रिपोर्ट भी नहीं दी गई है.
परिवार का आरोप है कि लड़की के साथ गैंगरेप किया गया, जबकि उत्तर प्रदेश के एडीजी ने बताया कि पीड़िता के शरीर से सीमन (वीर्य) के सबूत नहीं मिले.
पहले ये बात सामने आ रही थी कि लड़की की जीभ भी काटी गई लेकिन पुलिस ने इस पर कहा कि हमलावरों ने उसका गला घोंटने की कोशिश की और इसी वजह से उसकी जीभ कट गई.
इसके बाद मीडिया में भी इस मामले ने तूल पकड़ा. देश भर में जगह-जगह प्रदर्शन हुए. शुक्रवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर भी प्रदर्शन किया गया जिसमें दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और भीम आर्मी के चंद्रशेखर आज़ाद भी शामिल थे.
गुरूवार को भी कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने भी पीड़ित परिवार से मिलने की कोशिश की लेकिन पुलिस और प्रशासन ने उन्हें रोक कर हिरासत में ले लिया. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इस मामले का स्वतः संज्ञान लिया है और उत्तर प्रदेश के आला अधिकारियों से जवाब मांगा है.
जनसत्ता अख़बार के मुताबिक़ शुक्रवार को मृतक लड़की के गांव से पांच किलोमीटर दूर भागना गांव में सवर्ण समाज के लोगों ने अभियुक्तों के पक्ष में धरना भी किया और निष्पक्ष जांच की मांग की.