हाथरस में पीड़िता के गांव में सभी का प्रवेश वर्जित, मीडिया से भी चल रही है धक्का मुक्की
हाथरस- एक गांव की गरीब की बेटी के गैंग रेप के बाद हाथरस में जो हो रहा है, ऐसे कभी नहीं देखा नहीं गया, हाथरस के बेशर्म अफसरों ने तीन दिन से जो कर रखा है, उसने पूरे देश को चिंता में डाल रखा है, आज सुबह से भी जो इस गांव में हो रहा है, उसने सरकारी अमले की तानाशाही को देश के सामने खोलकर रख दिया।
पीड़िता के गांव को पुलिस ने चारो तरफ से सील कर दिया है, गांव में लोगों को घरों में कैद कर दिया है,पीड़िता के घर पर 150 -200 पुलिसकर्मी तैनात कर दिए गए, पीड़िता के परिवार के मोबाइल बंद कर दिए गए, गाँव में मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया है,सांसद को गांव में घुसने की कोशिश पर गिराकर पीटा गया।
मंगलावर को दिल्ली में गुड़िया की मौत के बाद हाथरस में पीड़िता के गांव में जो हो रहा है , उसने लोकतत्र की धज्जियाँ उड़ाकर रख दी है, रात में तेल डालकर पीड़िता के दाह संस्कार के बाद कल राहुल प्रियंका से लेकर सीमा कुशवाहा तक और आज सुबह से गांव में जाने का प्रयास कर रहे सांसद और मीडिया को गांव में घुसने से रोक दिया गया।
पुलिस के सख्त पहरे से परेशान उत्तर प्रदेश में हाथरस के बूलगढ़ी गांव के लोगों ने जिला प्रशासन पर दबंगई का आरोप लगाया है वहीं तृणमूल कांग्रेस के प्रतिनिधिमंडल के साथ पुलिस प्रशासन ने धक्का मुक्की की जिसके विरोध में धरना शुरू हो गया। ग्रामीणों का कहना है कि जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारियों ने उन्हे घरों में कैद कर दिया है और उनके मोबाइल फोन जब्त कर लिये हैं। पीड़िता के परिजनो को बाहर निकलने से मनाही है। पुलिस और प्रशासन के खौफ से ग्रामीण सहमे हुये हैं। पुलिस की नजरों से बचकर गांव से बाहर निकले एक ग्रामीण ने पत्रकारों को बताया कि पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों ने ग्रामीणों के मोबाइल फोन अपने कब्जे में ले लिये है। अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीण पीड़ित के परिवार और प्रशासन के बीच की बातचीत सोशल मीडिया में वायरल कर रहे हैं।
पीड़ित ग्रामीण ने बताया कि पीड़िता के परिजन मीडिया से बात करना चाहते है जिसकी इजाजत जिला प्रशासन उन्हे नहीं दे रहा है। पीड़िता के एक परिजन को एक प्रशासनिक अधिकारी ने लात मार दी जिससे वह चंद सेकेंड के लिये मूर्छित हो गये। उसने बताया कि जिलाधिकारी प्रवीण कुमार लक्षकार ने पीड़िता के परिजनो को पत्रकारों से कुछ भी बताने से मना किया है और कहा है कि यह सब पत्रकार कुछ समय बाद वापस चले जायेंगे और फिर जिला प्रशासन ही उनकी खैर खबर रखेगा। इसलिये अच्छा है कि प्रशासन के साथ मिलकर चलें।
उधर, तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने गांव में जाने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उन्हे रोक दिया। इसको लेकर उनकी पुलिस अधिकारियों से नोकझोंक हुयी। इस बीच एक अधिकारी ने उन्हे धक्का दे दिया और वह जमीन पर गिर पड़े।घटना के बाद सभी नेता वहीं धरने पर बैठ गये। तृणमूल की नेता ममता ठाकुर ने पुलिस पर बदसलूकी का आरोप लगाया। इस बीच मीडिया कर्मियों ने भी जिला प्रशासन के तानाशाही रवैये के खिलाफ धरना दे दिया है।
पीड़िता के परिजनों से मिलने के लिए जा रहे तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को भी पुलिस ने रोक दिया। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन के साथ पुलिस ने धक्का-मुक्की की। घटना के बाद टीएमसी सांसद धरने पर बैठ गए । पीड़िता के गांव को सील कर दिया गया है। यहां किसी को भी आने-जाने की इजाजत नहीं है। गांव में पुलिस का सख्त पहरा है।इस दौरान धक्का-मुक्की में डेरेक ओ’ब्रायन नीचे गिर पड़े, पुलिस द्वारा महिला सासंदों के खिलाफ बल प्रयोग करने का मामला भी सामने आया है.एक 32 सेकेंड का वीडियो सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि सफेद शर्ट पहने और हेलमेट लगाए एक शख्स टीएमसी की सांसद प्रतिमा मंडल को कंधों से पकड़े हुए हैं और उन्हें गांव में घुसने नहीं दे रहा है, डेरेक ओ’ब्रायन उन्हें बचाने के लिए आगे बढ़ते हैं, तो वो व्यक्ति उन्हें धक्का दे देता है, वहां कुछ पुलिसकर्मी भी टीएमसी के सांसदों के खिलाफ बल प्रयोग करते दिखाई दे रहे हैं. जिस अफसर ने इन सांसदों को रोका वे इलाके के एसडीएम प्रेम प्रकाश मीणा बताये जा रहे है।
तृणमूल ने एक बयान जारी कर बताया है कि उसके कुछ सांसदों को यूपी पुलिस ने पीड़िता के गांव से डेढ़ किलोमीटर पहले ही रोक लिया. पार्टी ने बताया है कि ये सांसद अलग-अलग यात्रा कर रहे थे. तृणमूल सांसदों का यह समूह 200 किमी दूर दिल्ली से आया था. इनमें डेरेक ओ’ब्रायन, काकोली घोष दस्तीदार, प्रतिमा मंडल और (पूर्व सांसद) ममता ठाकुर हैं. ये नेता दिल्ली से हाथरस के पीड़ित परिवार से मिलने जा रहे थे.
रोके गए सांसदों में से एक सांसद ने कहा, ‘हम शांति से हाथरस की ओर बढ़ रहे थे, पीड़ित परिवार से मिलकर अपनी सांत्वना देने जा रहे थे. हम अलग-अलग यात्रा कर रहे थे और सभी प्रोटोकॉल का पालन कर रहे थे, हमने कोई हथियार नहीं लिए हैं. हमें रोका क्यों गया है? कैसा जंगलराज है कि यहां निर्वाचित सांसदों को एक पीड़ित परिवार से मिलने नहीं दिया जा रहा है. अभी हम पीड़िता के घर से बस 1.5 किलोमीटर की दूरी पर हैं। टीएमसी की सांसद प्रतिभा मंडल ने कहा कि ममता बनर्जी ने परिवार के साथ अपनी संवेदना व्यक्त करने के लिए हमें यहां भेजा, मैं एक दलित हूं, मैं समझती हूं कि इस देश में दलित पर क्या बीत रही है और हमने देखा कि कैसे बेटी का शरीर जला दिया गया था, अब कल्पना करें कि परिवार के साथ ये लोग क्या कर रहे होंगे.
टीएमसी सांसद प्रतिभा मंडल ने कहा कि योगी की पुलिस ने हमें धक्का दिया, हमारे साथ हाथापाई की और बिना किसी आदेश के हमें रोक दिया. हम सांसद हैं, हमारा काम जरूरत के समय इंसानों के साथ खड़ा होना है. मैं गांधी जयंती पर कहना चाहती हूं कि यह वह देश नहीं है, जिसे आप चाहते थे.
इसी बीच पीड़िता के भाई ने बताया कि उन सभी को घर में कैद कर दिया गया है, हमारे मोबाइल भी पुलिस ने ले लिए है, घर पर 150-200 पुलिसकर्मी तैनात है।