कोरोना- ICMR ने टेस्टिंग नीति में किये बदलाव, जानें नए नियम
देश में कोरोना वायरस (Corona Virus) के मरीजों का आंकड़ा 40 लाख के पार पहंच गया है. इस बीच भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने टेस्टिंग रणनीति में बड़ा बदलाव किया है. आईसीएमआर की ओर से कोरोना टेस्टिंग को लेकर नई गाइडलाइंस जारी की गई है. नए दिशा-निर्देशों के तहत अब विदेश या देश के किसी दूसरे राज्यों में यात्रा करने के लिए अब कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट दिखानी होगी. दूसरे राज्यों में यात्रा करने वालों के पास कोरोना टेस्ट का निगेटिव सर्टिफिकेट होना चाहिए. अब तक डॉक्टर्स जिला प्रशासन की सलाह पर ही लोगों की कोरोना जांच हो रही थी.
मगर आईसीएमआर (ICMR) की नई गाइडलाइन के मुताबिक, कोई भी अपना कोरोना टेस्ट करवा सकता है.
आईसीएमआर ने कहा है कि अगर कोई राज्य चाहता हैं तो वह अपने यहां आने वाले दूसरे राज्य से आने वाले लोगों से कोरोना निगेटिव की रिपोर्ट मांग सकते हैं. आईसीएमआर की गाइडलाइंस के अनुसार, सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों को अब यह नोटिफाई करना होगा है कि वह लेबोरेट्री ट्रैकिंग कॉन्ट्रैक्ट ट्रेसिंग मैकेनिज्म को सुनिश्चित करें. इसके लिए राज्य सरकार आसान तौर-तरीका अपना सकती है. कोविड-19 पर गठित नेशनल टास्क फोर्स ने भी कोरोना टेस्ट को लेकर इन बदलावों की सिफारिश की.
आईसीएमआर ने कोरोना टेस्टिंग को चार वर्गों में बांटा है. जिनमें मसलन कंटेनमेंट जोन, गैर कंटेनमेंट एरिया में नियमित निगरानी, अस्पताल ऑन डिमांड टेस्टिंग शामिल हैं. आईसीएमआर की ओर से जारी की गई सलाह में यह भी कहा गया है कि कंटेनमेंट जोन्स में काम कर रहे हेल्थवर्कर्स मोर्चे पर तैनात स्वास्थ्यकर्मियों की जांच होना चाहिए. कंटेनमेंट जोन में एंट्री प्वॉइंट्स पर लगातार निगरानी स्क्रीनिंग हो. एंटीजन टेस्ट भी होना चाहिए. आरटी-पीसीआर टेस्ट वही कराएं, जिन्हें एंटीजन टेस्ट में निगेटिव पाए जाने के बाद भी सांस लेने में तकलीफ या कोरोना के कोई अन्य लक्षण दिखाई दें.
इसके अलावा आईसीएमआर ने कहा है कि गैर कंटेनमेंट जोन में नियमित निगरानी किए जाने की जरूरत है. जिन भी लोगों ने बीते 14 दिनों में कोई अंतरराष्ट्रीय यात्रा की है, उनका टेस्ट किया जाना चाहिए. नई गाइडलाइंस के अनुसार, शहर लौटने वाले श्रमिकों सभी स्वास्थ्यकर्मियों के टेस्ट किए जाने चाहिए.
आईसीएमआर ने नई गाइडलाइंस में कहा है कि कोरोना टेस्ट की कमी के चलते किसी भी आपातकालीन प्रक्रिया, जिसमें प्रसव यानी डिलिवरी भी शामिल है, उसमें देरी न हो. इसके लिए सरकारें सभी व्यवस्था तय करें. वहीं सर्जिकल या गैर-सर्जिकल प्रक्रिया के तहत आने वाले मरीजों का भी टेस्ट किया जा सकता है. लेकिन यह हफ्ते में एक बार से अधिक न हो.