राजस्थान के झुंझुनूं जिले के नायब सूबेदार शमशेर अली खान ने भारत-चीन की सीमा पर आंतकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए
झुंझुनूं. राजस्थान के एक और सपूत ने देश की रक्षा में सीमा पर अपने प्राण न्योछावर कर दिये. वीरों की धरा झुंझुनूं जिले का लाल नायब सूबेदार शमशेर अली खान भारत-चीन की सीमा पर पेट्रोलिंग के दौरान आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हो गए. शहीद का पार्थिव शरीर शुक्रवार शाम तक उनके पैतृक गांव पहुंचेगी. शमशेर अली खान का परिवार चार पीढ़ियों से देश की सेवा में लगा हुआ है. पांचवी पीढ़ी भी सेना में जाने का तैयार है. उनके दादा ने पाकिस्तान से वर्ष 1965 की जंग लड़ी थी. सीएम अशोक गहलोत ने शमशेर की शहादत को सलाम करते हुए उन्हें श्रद्धाजंलि दी है.
24 ग्रेनेडियर यूनिट में थे तैनात
जिला सैनिक कल्याण अधिकारी कमांडर परवेज हुसैन ने बताया कि शहीद नायब सूबेदार शमशेर अली खान उदयपुरवाटी उपखंड के गुढ़ागौड़जी के समीप बामलास पंचायत के हुकुमपुरा गांव के रहने वाले थे. शमशेर अली खान अरुणाचल प्रदेश के टेंगा में 24 ग्रेनेडियर यूनिट में तैनात थे. वह वहीं पास में चीन की सीमा पर पेट्रोलिंग कर रहे थे. उसी दौरान वहां आतंकियों की हरकत देखने को मिली और शमशेर उनसे लोहा लेने लगे. इस दौरान शमशेर पाइनिज पोस्ट पर शहीद हो गए. इस पोस्ट की ऊंचाई करीब 18 हजार फीट है. वहां पर शमशेर अली खान ने गुरुवार सुबह साढ़े चार बजे अंतिम सांस ली. उनकी पार्थिव देह शुक्रवार देर शाम तक गांव पहुंचने की संभावना है.
परिवार के लोग चार पीढ़ियों से सेना में हैं
शमशेर अली खान की शहादत की सूचना मिलते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई. शहीद की पत्नी सलमा बानो बेसुध हो गईं. शहीद के भाई अली शेर ने बताया कि शमशेर अली 1997 में सेना में भर्ती हुए थे. शमशेर अली के परिवार के लोग चार पीढ़ियों से सेना में हैं. उनके पड़दादा बागी खां, दादा फैज मोहम्मद और पिता सलीम अली भी सेना से रिटायर्ड हैं. उनके दादा फैज मोहम्मद ने सेना में 1965 की लड़ाई भी लड़ी थी. इस परिवार में देशभक्ति का जज्बा इसी से आंका जा सकता है कि परिवार की पांचवीं पीढ़ी यानि कि शहीद शमशेर अली के 16 साल और 12 साल के बेटे ने भी सेना में जाने की बात कही है.