♦इस खबर को आगे शेयर जरूर करें ♦

मुख्यमंत्री – जिला अस्पतालों में जल्द उपलब्ध हो जीवन रक्षक इंजेक्शन और दवा

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज प्रदेश के मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, सीएमएचओ, पीएमओ के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में प्रदेश में कोरोना के हर गंभीर मरीज को आवश्यकतानुसार जीवन रक्षक इंजेक्शन टोसिलीजूमेब और प्लाज्मा थैरेपी उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। लगभग 40 हजार रूपये कीमत का यह इंजेक्शन गरीब व्यक्ति की पहुंच से बाहर है। ऐसे में, स्वास्थ्य विभाग किसी भी जरूरतमंद मरीज के लिए इस इंजेक्शन की उपलब्धता में कमी नहीं आने देगा और राज्य सरकार इसके लिए तुरन्त पर्याप्त धनराशि स्वीकृत करेगी।
निवास पर प्रदेश में कोरोना के संक्रमण की स्थिति की समीक्षा बैठक के दौरान इसकी घोषणा की।

प्लाज्मा थैरेपी तथा टोसिलीजूमेब इंजेक्शन से कोरोना के गंभीर मरीज की जान बच सकती है, जिसका सफल प्रयोग एसएमएस अस्पताल में किया जा चुका है। अधिकारियों को निर्देश दिए कि एसएमएस अस्पताल के साथ-साथ प्रदेश के सभी मेडीकल कॉलेजों और जिलों चिकित्सालयों में भी जरूरत के अनुसार प्लाज्मा थैरेपी और जीवन रक्षक इंजेक्शन की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
अधिकारियों से कहा कि राज्य सरकार के लिए प्रदेश के सभी नागरिकों का जीवन कीमती है और कोरोना से जनहानि को बचाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। जिन क्षेत्रों में संक्रमित व्यक्तियों की संख्या बढ़ी है, वहां स्थानीय चिकित्सकों की मदद के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों को भेजा जाए, ताकि मरीजों को बेहतर उपचार उपलब्ध कराया जा सके। साथ ही, निजी अस्पतालों में जांच अथवा इलाज के भर्ती होने वाले कोरोना के मरीजों की जिला चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों के द्वारा भी नियमित एवं सघन निगरानी की जाए।
कोरोना के उपचार में प्लाज्मा थैरेपी को बढ़ावा देने और उसके लिए प्रदेशभर में प्लाज्मा डोनेशन शिविर आयोजित करने के निर्देश दिए। कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्तियों को हैल्थ प्रोटोकॉल के अनुसार प्लाज्मा डोनेट करने के लिए रक्तदान की तर्ज पर अभियान चलाकर प्रोत्साहित किया जाए। स्वास्थ्य अधिकारियों से ऐसा प्रबधंन करने को कहा कि थैरेपी के लिए जितने प्लाज्मा की आवश्यकता है, वह हमारे बैंक में मौजूद रहे। इसके लिए जागरूकता अभियान एवं डोनेशन शिविर लगाए जाएं। बैठक में बताया गया कि जयपुर के साथ-साथ जोधपुर और कोटा में प्लाज्मा थैरेपी शुरू हो गई है।
कोरोना महामारी पर जीत हासिल करने के लिए वायरस के संक्रमण पर चारों ओर से हमला करना होगा। अधिकारियों को निर्देश दिए कि संभावित मरीजों की जांच, संक्रमित लोगों के इलाज और संक्रमण को रोकने के लिए आम लोगों को जागरूक करने के प्रयासों में कोई भी कोताही नहीं बरती जाए। प्रदेश सरकार की असली उपलब्धि यह होगी कि राजस्थान में कोरोना की मृत्युदर न्यूनतम हो। सामुदायिक संक्रमण की स्थिति का पता लगाने के लिए रेण्डम सैम्पलिंग कर टेस्टिंग की जाए।
पिछले कुछ सप्ताह के दौरान आम जन के हैल्थ प्रोटोकॉल की पालना के प्रति लापरवाही गंभीर है। इसके लिए शहरी क्षेत्रों में छोटी-छोटी गलियों और मोहल्लों में जिला प्रशासन और स्थानीय निकाय की सहायता से सार्वजनिक माइक सिस्टम के माध्यम से उद्घोषणा कर आमजन को कोरोना के लिए जागरूकता संदेश एवं चेतावनी दी जाए। साथ ही, चाय-पान की थड़ी जैसी जगहों पर मास्क पहनने, सामाजिक दूरी रखने जैसे नियमों की पालना सुनिश्चित कराने के लिए सख्ती करने के निर्देश दिए।
राज्य सरकार ने कोरोना के लिए काफी अधिक टेस्टिंग क्षमता विकसित कर ली है। ऐसे में, अब टेस्ट के परिणाम आने में देरी नहीं होनी चाहिए। संदिग्ध मरीज का सैम्पल लेने के समय उसे संक्रमण ना फैले, इसके प्रति जागरूक कर उसके स्वयं के एवं अन्य परिजनों के हित में टेस्ट का परिणाम आने तक घर पर ही रहने की हिदायत दी जाए। संभावित कोरोना संक्रमित व्यक्ति के द्वारा संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए यह बहुत जरूरी है।
अधिक संक्रमण वाले जिलों में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए वायरस के फैलाव के कारणों का बारीकी से अध्ययन करने के निर्देश दिए। विभिन्न जिलों में संक्रमण रोकने के लिए विशेषज्ञों की सलाह के अनुरूप जिलावार रणनीति बनाए जाए तथा उस पर की गई कार्रवाई की वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा समुचित निगरानी की जाए। जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए कि आवश्यकतानुसार कर्फ्यू एवं कन्टेमेन्ट के लिए चिन्हित सीमित क्षेत्र में सम्पूर्ण लॉकडाउन की पालना करवाएं। आम लोगों में यह विश्वास होना चाहिए कि राज्य सरकार कोरोना संक्रमण को रोकने के प्रति बहुत गंभीर है, लेकिन इसमें हर व्यक्ति की सक्रिय भूमिका भी उतनी ही आवश्यक है।
वीडियो कॉन्फ्रेेंस के माध्यम से बैठक में शाामिल विशेषज्ञ डॉक्टरों ने बताया कि प्रदेश में कोरोना की मृत्युदर 1.72 है। जो कि राष्ट्रीय औसत के मुकाबले काफी कम है। पूर्व में चलाए गए जागरूकता अभियान के परिणाम स्वरूप बीते दिनों में मृत प्रायः स्थिति में अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों की संख्या अब कम हो गई है। उन्होंने घनी आबादी वाले क्षेत्रों में बुजुर्गों तथा संभावित मरीजों के साथ-साथ संक्रमण फैलाने वाले संदिग्ध लोगों पर विशेष फोकस करने तथा उनकी नियमित जांच करने का सुझाव दिया। बैठक में बताया गया कि वर्तमान में प्रदेश में करीब 17,000 लोग संस्थागत क्वारेंटाइन में हैं, जिनकी मॉनिटरिंग की जा रही है।
बैठक में चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा, मुख्य सचिव श्री राजीव स्वरूप, पुलिस महानिदेशक श्री भूपेन्द्र सिंह, अति. मुख्य सचिव वित्त श्री निरंजन आर्य, अति. मुख्य सचिव गृह श्री रोहित कुमार सिंह, अति. मुख्य सचिव खान श्री सुबोध अग्रवाल, अति. मुख्य सचिव सार्वजनिक निर्माण श्रीमती वीनू गुप्ता, प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा श्री अखिल अरोरा, शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा श्री वैभव गालरिया, शासन सचिव राहत एवं बचाव श्री सिद्धार्थ महाजन, सचिव खाद्य आपूर्ति श्री हेमन्त गेरा, सूचना एवं जनसम्पर्क आयुक्त श्री महेन्द्र सोनी, राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजाबाबू पंवार, एसएमएस मेडीकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुधीर भण्डारी सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।


विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)



Get Your Own News Portal Website 
Call or WhatsApp - +91 8809 666 000

Related Articles

Close
Close
Website Design By Mytesta.com +91 8809 666 000