13 जून को इजराइल के हमलों और 22 जून को अमेरिका की जवाबी कार्रवाई के बीच ईरान में एक बड़ी तैयारी चल रही थी. ये होरमुज जलडमरूमध्य को बंद करने की तैयारी थी.
अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का दावा है कि ईरान ने पिछले महीने अपने नौसैनिक जहाजों में पानी के नीचे बिछाई जाने वाली नैवल माइंस (बारूदी सुरंगें) लोड की थीं. ये वही रास्ता है जिससे होकर दुनिया की पांचवां हिस्सा तेल और गैस का कारोबार होता है.
होरमुज: बारूद के साए में दुनिया की ऊर्जा लाइफलाइन
होरमुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को अरब सागर से जोड़ता है और यह महज 34 किलोमीटर चौड़ा है. लेकिन इसका सामरिक और आर्थिक महत्व कहीं ज्यादा बड़ा है. सऊदी अरब, इराक, कतर, यूएई और कुवैत जैसे देशों का कच्चा तेल और गैस इसी रास्ते से निकलता है.
यहां तक कि ईरान खुद भी इस रूट पर निर्भर है. यही वजह है कि अगर यह रास्ता बंद होता, तो वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति चरमरा सकती थी और तेल की कीमतें आसमान छू सकती थीं. हालांकि, अमेरिकी हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कूटनीतिक दबाव और सैन्य सतर्कता के चलते यह संकट टल गया, कम से कम फिलहाल.
इरादा या साइकोलॉजिकल वार?
अमेरिकी अधिकारियों का मानना है कि ईरान ने माइंस लोड करके दो बातें साधीं. या तो वो वाकई बंद करने की तैयारी कर रहा था, या फिर अमेरिका और उसके सहयोगियों को मनोवैज्ञानिक दबाव में लाने की कोशिश कर रहा था. इस आशंका को और हवा तब मिली जब ईरानी संसद ने 22 जून को होरमुज को बंद करने का प्रस्ताव पारित किया.
हालांकि, ये निर्णय अंतिम नहीं था क्योंकि इसकी मंजूरी देश की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को देनी थी. ईरान पहले भी कई बार होरमुज को बंद करने की धमकी दे चुका है, लेकिन अब तक वह सिर्फ शब्दों तक ही सीमित रहा है.
तेल का रास्ता अभी खुला है, लेकिन तनाव बरकरार
अभी तक होरमुज जलडमरूमध्य खुला है और वैश्विक तेल बाजार में कीमतें स्थिर बनी हुई हैं. लेकिन अमेरिकी नौसेना और खुफिया एजेंसियां इसे लेकर पूरी तरह सतर्क हैं. अमेरिका की पांचवीं बेड़ा (Fifth Fleet), जो बहरीन में तैनात है, इस क्षेत्र में सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है. हाल ही में जब ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला हुआ, तो अमेरिका ने अपने एंटी-माइन जहाजों को अस्थायी तौर पर वहां से हटा लिया था, ताकि ईरानी जवाबी हमले में उन्हें नुकसान न पहुंचे.