चूरू:- गुरु शिष्य की अनेकों प्रेरणादायी कहानियां हमें अक्सर सुनने को मिलती हैं. लेकिन चूरू में गुरु और शिष्य के बीच एक ऐसा रिश्ता स्थापित हुआ, जिसकी मिशाल आज लोग देते हैं. हरियाणा के महेंद्रगढ़ के ढाणा गांव के रहने वाले प्रो. महावीर यादव जो पढ़-लिखकर सरिस्का में अपने गुरु के पास चले गए, लेकिन गुरुजी ने उन्हें फिर से गृहस्थाश्रम में भेज दिया. उनका चयन आरजेएस में भी हो गया, लेकिन उन्होंने इंटरव्यू नहीं दिया और शिक्षण को अपनाया.
यादव को नजदीक से जानने वाले बताते हैं. वे अपने शिष्यों को सिर्फ पढ़ाते ही नहीं थे, सही मार्ग पर चलना भी सिखाते थे और सही दिशा भी देते थे. सारा घमंड-गुरूर निकाल देते थे. उनके शिष्यों को यह दृढ़ विश्वास था कि गुरुजी के पास आध्यात्मिक शक्तियां हैं.
गुरूजी से जुड़े कई किस्से
एक बार नौकरी नहीं मिलने से हताश-निराश हो चुके चार वकील उनके पास आए और उनके पैरों में गिर गए. उन्होंने कहा कि आप हमें रास्ता दिखाओ. प्रो. यादव ने चारों को आदेश दिया कि रोज ड्रेस में लोहिया कॉलेज के सामने बैठने वाले मोची के पैर छूकर आओ. उनमें से तीन ने यह क्रम अपनाया और अच्छी नौकरियों में चले गए.
एक और शिष्य उनके पास आया. उसे उन्होंने आदेश दिया कि वह गांव के पीपलगट्टे पर बैठकर अपनी पत्नी के कपड़े धोये. उसने ऐसा ही किया, लेकिन परिवार और गांव वालों ने उसे उठा दिया. वह लौटकर आया और गुरुजी को पूरी बात बताई. गुरुजी संतुष्ट हो गए और तैयारी शुरू करवा दी.
मंगेतर का पैर छूने का दिया आदेश
ऐसे ही एक शिष्य, जो निराश था और उसकी सगाई भी हो चुकी थी. गुरुजी ने उसे आदेश दिया कि वह ससुराल जाए और अपनी मंगेतर के पैर छूकर आए, उसे भी परीक्षा में सफलता मिली. एक और लड़के को आदेश दिया कि वह उनके ही एक अन्य शिष्य को रोज खाना बनाकर खिलाए. उसने तैयारी के साथ-साथ डेढ़ वर्ष तक खाना बनाकर खिलाया और वह आज विधिक का बड़ा अधिकारी है. ऐसे न जाने कितने किस्से यहां भरे पड़े हैं.