श्रीडूंगरगढ़ निवासी कटक उड़ीसा प्रवासी भामाशाह मोहनलाल सिंघी ने अनेक़ो सौगात देने बाद आज फिर दी उप खंड के ग्राम लिखमादेसर में बहुत बड़ी सौगात।
श्रीडूंगरगढ़ बीकानेर। तोलाराम मारू
आचार्य श्री महाश्रमण जी के अनुयाई
श्रीडूंगरगढ़ के प्रमुख भामाशाह मोहनलाल सिंघी द्वारा लिखमादेसर गांव में नवनिर्मित हंसों जी महाराज मंदिर में आयोजित कार्यक्रम में शुभ मुहूर्त में मन्त्रों के बाद विशाल प्रवेश द्वार के नवनिर्माण की अपने हाथों से नींव लगाई गई। सामाजिक कार्यकर्ता बजरंगलाल सोमाणी ने बताया कि शुक्रवार सुबह मोहनलाल सिंघी और पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा द्वारा प्रवेश द्वार की नींव पाया लगाया ।सोमाणी ने बताया कि इस द्वार के निर्माण में 31लाख रुपये अनुमानित रूप से खर्च किये जायेंगे। गौरतलब है कि भामाशाह मोहनलाल सिंघी सुदूर प्रदेश उड़ीसा में अपना व्यवसाय कर रहे हैं परन्तु इनका अपनी जन्मभूमि से लगाव इस रूप में देखने को मिल रहा है कि अपने पैतृक गांव समन्दर में 1करोड़ की लागत से 2021 में भव्य भवन का निर्माण करवाकर ग्रामीणों के उपयोग के लिए सुपुर्द किया। उसके बाद 2023 में तहसील परिसर में आने वाले हजारों लोगों को तपती धूप से राहत देने के लिए 40लाख की राशि खर्च करके हॉल और वाटर कूलर का निर्माण करवाकर जनहित में सुपुर्द किया। इसके साथ ही अनबोल पक्षियों के लिए गांव ऊपनी में 15मंजिला पक्षीघर का निर्माण करवाया जा रहा है। सोमाणी ने बताया कि तोलाराम सिंघी के सुपुत्र मोहनलाल सिंघी द्वारा इसके साथ ही समय-समय पर जरूरतमंदों को आर्थिक सहायता दवाइयां दी जाती रही है ।जो अभी भी अनवरत जारी है।
क्षेत्र के गांव लिखमादेसर में शुक्रवार को मोहनलाल सिंघी द्वारा अपनी बहन मनोहरी चंपालाल धाड़ेवा के ससुराल पक्षीय गांव में लाखों की लागत से बनने वाले इस द्वार की नींव लगाई तो ग्रामीणों ने सिंघी का हार्दिक आभार व्यक्त किया और इसे और लोगों के लिए प्रेरणास्पद बताया।इस अवसर अनेकों संत महंत भंवरनाथ जनप्रतिनिधि राजस्थान के विभिन्न क्षेत्रों से गणमान्य जन मातृशक्ति युवा बच्चे भी उपस्थित रहे। मंच पर भामाशाह मोहनलाल सिघी का सम्मान किया गया। मोहनलाल सिंघी ने बताया कि जन हितार्थ बेजुबान पशुओं पक्षियों की हमे रक्षा करनी चाहिए। श्रीडूंगरगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार तोलाराम मारू को कटक उड़ीसा में बहुत बड़ी संख्या में उपस्थित जनों की उपस्थिति में सम्मान किया।निकेश दूगड़ ने बताया कि मोहनलाल जी चाहे जन्म स्थली उप खंड श्रीडूंगरगढ़ के साथ साथ कर्मभूमि कटक में भी सदा निस्वार्थ भाव से सहयोग की भावना से कार्य करने रहते हैं।