आज के दिन हुई थी सतयुग की शुरुवात, जाने आज का पंचांग
आज का पंचांग
आज के दिन हुई थी सतयुग की शुरुआत, पूर्णिमा व्रत व श्री दत्तात्रेय जयंती पर्व एवं विशेष बातें भारद्वाज श्रवण सारस्वत के साथ –
दिनांक :- 29 दिसम्बर 2020
वार – मंगलवार
तिथि :- चतुर्दशी 07:54 तक ततपश्चात पूर्णिमा शुरू
पक्ष :- शुक्ल पक्ष
माह :- मार्गशीर्ष
नक्षत्र :- मृगशीर्षा शाम 05:31 तक ततपश्चात आर्द्रा नक्षत्र शुरू
योग :- शुक्ल 16:10:42
करण :- वणिज 07:53 तक ततपश्चात विष्टि भद्र 20:29 तक
चन्द्र राशि :- मिथुन
सूर्य राशि :- धनु
ऋतु :- हेमंत
आयन :- उत्तरायण
संवत्सर :- शार्वरी
विक्रम संवत :- 2077
शक संवत :- 1942
सूर्योदय :- 07:26 बजे
सूर्यास्त :- 17:46 बजे
दिन काल 10 घण्टे 20 मिनट
रात्री काल :- 13 घण्टे 40 मिनट
चंद्रोदय :- 17:06
चंद्रास्त :- 31:31
समय मानक :- मोमासर बीकानेर राज.
राहू काल :- 15:11 – 16:29 अशुभ
अभिजित :- 12:16 -12:57 शुभ
दिशाशूल – उत्तर दिशा में
पंचक :- नहीं
चोघडिया, दिन
रोग :- 07:26 – 08:44 अशुभ
उद्वेग :- 08:44 – 10:01 अशुभ
चर :- 10:01 – 11:19 शुभ
लाभ :- 11:19 – 12:36 शुभ
अमृत :- 12:36 – 13:54 शुभ
काल :- 13:54 – 15:11 अशुभ
शुभ :- 15:11 – 16:29 शुभ
रोग :- 16:29 – 17:46 अशुभ
चोघडिया, रात
काल :- 17:46 – 19:29 अशुभ
लाभ :- 19:29 – 21:11 शुभ
उद्वेग :- 21:11 – 22:54 अशुभ
शुभ :- 22:54 – 24:36* शुभ
अमृत :- 24:36* – 26:19* शुभ
चर :- 26:19* – 28:01* शुभ
रोग :- 28:01* – 29:44* अशुभ
काल :- 29:44* – 31:26* अशुभ
व्रत पर्व विवरण :- पूर्णिमा व्रत , श्री दत्तात्रेय जयंती,
विशेष – चतुर्दशी और पूर्णिमा के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है।
हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।
दिन (वार) – मंगलवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए । मंगलवार को बजरंगबली की पूजा का विशेष महत्व है।
मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।
मंगलवार के व्रत से सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है, बल, साहस और सम्मान में भी वृद्धि होती है।
मंगलवार को धरती पुत्र मंगलदेव की आराधना करने से जातक को मुक़दमे, राजद्वार में सफलता मिलती है, उत्तम भूमि, भवन का सुख मिलता है, मांगलिक दोष दूर होता है।
तिथि का स्वामी – चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शंकर जी और पूर्णिमा तिथि के स्वामी चंद्र देव जी है।
नक्षत्र के देवता, ग्रह स्वामी- मृगशिरा नक्षत्र के देवता ‘चंद्र देव’ एवं नक्षत्र स्वामी: ‘मंगळ देव’ जी है ।
दिशाशूल – मंगलवार को उत्तर दिशा का दिकशूल होता है। यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से गुड़ खाकर जाएँ ।
यात्रा शकुन- दलिया का सेवन कर यात्रा पर निकलें।
आज का मंत्र-ॐ अं अंगारकाय नम:।
आज का उपाय- हनुमान मंदिर में बूंदी के लड्डू चढ़ाएं।
वनस्पति तंत्र उपाय- खैर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।
विशेष – पूर्णिमा को घी एवं प्रतिपदा को कुष्मांड खाना एवं दान करना दोनों वर्जित बताया गया है। पूर्णिमा तिथि एक सौम्य और पुष्टिदा तिथि मानी जाती है। इसके देवता चन्द्रमा हैं तथा यह पूर्णा नाम से विख्यात है। यह शुक्ल पक्ष में ही होती है और पूर्ण शुभ फलदायी मानी गयी है।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 29 दिसंबर को प्रात: 7.54 मिनट से शुरू होगी जो 30 दिसंबर को 8.58 बजे तक रहेगी। माना जाता है कि इसी दिन से सतयुग की शुरुआत हुई थी। मान्यता है कि इस दिन गीता का पाठ करने से पितरों को स्वर्ग में स्थान मिलता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन किये गए दान का फल अन्य पूर्णिमा की अपेक्षा 32 गुना अधिक मिलता है। इसलिए इसे बत्तीसी पूर्णिमा कहा जाता है।
पूर्णिमा शुक्ल पक्ष के अंतिम दिवस को कहते है | पूर्णिमा को सामान्यता कोई न कोई पर्व अथवा व्रत अवश्य ही मनाया जाता हैं। पूर्णिमा के दिन हिन्दु धर्म में सूर्य और चन्द्र की गति और कला की गणना करके वर्ष का निर्धारण किया गया है ।
जानिए पूर्णिमा का महत्व उपाय, पूर्णिमा का महत्व, पूर्णिमा का उपाय –
1 वर्ष में सूर्य पर आधारित उत्तरायण और दक्षिणायन 2 अयन होते हैं ।
इनमें से वर्ष के मान से उत्तरायण में और माह के मान से शुक्ल पक्ष में देव आत्माएं सक्रिय रहती हैं।
वहीं दक्षिणायन और कृष्ण पक्ष में दैत्य और पितर आत्माएं ज्यादा सक्रिय रहती हैं।
अच्छे लोग किसी भी प्रकार का धार्मिक और मांगलिक कार्य रात में नहीं करते जबकि दूसरे लोग अपने सभी धार्मिक और मांगलिक कार्य सहित सभी सांसारिक कार्य रात में ही करते हैं।
प्रत्येक पूर्णिमा को चन्द्रमा के उदय होने के बाद साबूदाने की खीर मिश्री डालकर ,बनाकर माँ लक्ष्मी को उसका भोग लगाएं फिर उसे प्रशाद के रूप में वितरित करे, धन आगमन का मार्ग बनेगा।
पूर्णिमा के दिन भगवान श्री विष्णु को पंचामृत से स्नान कराकर, चूरमे का भोग लगाकर, पीले पुष्प अर्पित करके घर पर सत्यनारायण की कथा करने से पापों का नाश होता है, समस्त भौतिक एवं सांसारिक सुखो की प्राप्ति होती है ।
पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा सम्पूर्ण होता है। पूर्णिमा तिथि माँ लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है, इस दिन सुख समृद्धि के लिए माँ लक्ष्मी की विधि पूर्वक उपासना अवश्य करें। पूर्णिमा के दिन श्री सूक्त, श्री महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ अति फलदाई है ।_
पूर्णिमा तिथि को संध्या के समय में सत्यनारायण भगवान की पूजा तथा कथा की जाती है एवं चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है।
पूर्णिमा तिथि के स्वामी चन्द्र देव है, पूर्णिमा के दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति को चन्द्र देव की पूजा नियमित रुप से अवश्य ही करनी चाहिए।इस दिन सफ़ेद वस्त्र पहने और चन्द्रमा की चांदनी में अवश्य बैठें ।
कर्ज से मुक्ति
कर्ज से शीघ्र मुक्ति पाने के लिए हर बुधवार के दिन वट वृक्ष के मूल में घी का दीप जला कर रख दें| इससे कर्जे से शीघ्र मुक्ति मिलेगी| और बुधवार के दिन खाने में मूँग या मूँग की दाल लें|
कारोबार में बरकत पाने के लिए
जिनकी अपनी दुकान है, फैक्ट्री या कारोबार है वे लोग रोज नही तो हर बुधवार को गौ माता को हरा चारा खिलायें तो उन्हें लाभ होगा ओर गौ सेवा भी होगी ।