चेक अनादरण के 5 मामलों में अर्थदंड के साथ छह छह माह कारावास की सजा, राजगढ़ के एसीजेएम ने सुनाया फैसला
सादुलपुर – चैक अनादरण के पांच मामलों में यहां के अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय ने छह छह माह के कारावास के साथ 35-35 हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह पांचों मामले एक ही व्यक्ति के खिलाफ है, जिसमें अभियुक्त को प्रत्येक पत्रावली में छह छह माह की कारावास की सुनाई गई है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार राजगढ़ तहसील के बैजवा गांव के सूरजभान कुमावत ने यह वाद परक्राम्य अधिनियम 1881 के अंतर्गत न्यायालय के समक्ष पेश किया था।
झुंझुनूं जिले के गांव छांवश्री (उदयपुर वाटी) निवासी सुरेश कुमार प्रजापत ने परिवादी सूरजभान से 20 अगस्त 2015 को तीन लाख रुपए उधार लिए थे। उक्त राशि की अदायगी के लिए सुरेश कुमार ने 50-50 हजार रुपए के 6 चेक किए थे। परिवादी ने जब वह चेक बैंक में जमा करवाएं तो सभी चेक डिसऑनर हो गए। इस पर परिवादी ने युवा अधिवक्ता अजीत पचार तथा प्रेमसिंह बीका के जरिए न्यायालय में वाद पेश किया था। उसी मामले में एसीजेएम लीलूराम सिहाग ने मंगलवार को फैसला सुनाया है। परिवादी द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत पांच वादों के लिए जो साक्ष्य प्रस्तुत किए गए, उनका अवलोकन करने के बाद न्यायालय अभियुक्त सुरेश कुमार को परक्राम्य लिखित अधिनियम 1981 की धारा 138 में दोषी माना है। उक्त दोषसिद्धि पर न्यायालय ने प्रत्येक वाद में 6-6 माह के कारावास के अर्थ दंड लगाया है। परिवादी को 50-50 हजार रुपए की मूल राशि के साथ साथ 35-35 हजार रुपए जुर्माना अदा करना होगा, जो कुल राशि 4 लाख 25 हजार रुपए होगी। उक्त अभियुक्त किसी अन्य अपराधिक प्रकरण में झुंझुनू की जेल में न्यायिक हिरासत में है। उसे पुलिस द्वारा ही लाकर फैसले के लिए न्यायालय में पेश किया गया। इस मामले में परिवादी की और से पैरवी युवा अधिवक्ता अजीत पचार और प्रेम सिंह बीका ने की।
ज्ञातव्य रहे कि कुल 6 चेक में से 50 हजार रुपए के एक चेक का मामला दूसरे न्यायालय में भी विचाराधीन है।