बड़ी खबर : मोमासर में होंगे सहजन के पौधे विकसित, जिला कलेक्टर ने दी मंजूरी, जानें क्या है सहजन के फायदे
आज जिला कलेक्टर बीकानेर के तत्वाधान में ओजोन डे डूंगर कॉलेज बीकानेर में मनाया गया। मुख्य अतिथि के रूप में जिला कलेक्टर श्रीमान भगवती प्रसाद कलाल डूंगर कॉलेज प्राचार्य फॉरेस्ट डिपार्टमेंट मुख्य अधिकारी प्रख्यात पर्यावरण विद प्रोफेसर श्याम सुंदर के तत्वाधान में यह समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर बीकानेर जिले में मोमासर ग्राम पंचायत को जिला कलेक्टर द्वारा सहजन पौधे विकसित करने के लिए चुना गया आज जिला कलेक्टर बीकानेर प्रख्यात पर्यावरण विद प्रोफेसर श्याम सुंदर और डूंगर कॉलेज प्राचार्य वन विभाग के अधिकारी ने 1000 सहजन पौधों की गाड़ी को हरी झंडी दिखाकर ग्राम पंचायत मोमासर रवाना किया। मोमासर को कुल 5000 से अधिक पौधे मिलेंगे। उपसरपंच जुगराज संचेती ने बताता की इन पौधों को घर घर लगाने के अलावा गांव मै एक प्लांट भी लगाया जायेगा जहाँ इन पौधों को विकसित किया जायेगा। आज इस अवसर पर ग्राम पंचायत मोमासर की ओर से उपसरपंच श्रीमान जुगराज संचेती, जगदीश बेरा, निर्मल पटावरी, सीताराम सुथार, संजय नाई मौजूद रहे
क्या है सहजन
सेंजन, मुनगा या सहजन आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं। इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं। चारे के रूप में इसकी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि की रिपोर्ट है। यही नहीं इसकी पत्तियों के रस को पानी के घोल में मिलाकर फसल पर छिड़कने से उपज में सवाया से अधिक की वृद्धि होती है। इतने गुणों के नाते सहजन चमत्कार से कम नहीं है
सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है । इसकी फली के अचार और चटनी कई बीमारियों से मुक्ति दिलाने में सहायक हैं। यह जिस जमीन पर यह लगाया जाता है, उसके लिए भी लाभप्रद है। दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है। उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है। सर्दियां जाने के बाद फूलों की सब्जी बना कर खाई जाती है फिर फलियों की सब्जी बनाई जाती है। इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है।सहजन वृक्ष किसी भी भूमि पर पनप सकता है और कम देख-रेख की मांग करता है। इसके फूल, फली और टहनियों को अनेक उपयोग में लिया जा सकता है। भोजन के रूप में अत्यंत पौष्टिक है और इसमें औषधीय गुण हैं। इसमें पानी को शुद्ध करने के गुण भी मौजूद हैं। सहजन के बीज से तेल निकाला जाता है और छाल पत्ती, गोंद, जड़ आदि से दवाएं तैयार की जाती हैं। सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में है। सहजन में दूध की तुलना में ४ गुना कैल्शियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है।