21 जून को होने वाले सूर्य ग्रहण से जुड़ी खास बातें
21 जून 2020 का सूर्य ग्रहण आषाढी अमावस रविवार के दिन समस्त भारत में दिखाई देगा । कुछ जगहों उत्तर भारत के घड़साना, सूरतगढ़, सिरसा, कुरुक्षेत्र, देहरादून आदि में 24 सेकंड अधिकतम कंकणाकृति बनेगी ।
भारत के अलावा संपूर्ण एशिया अफ्रीका दक्षिण यूरोप हिंद सागर आदि में भी दिखाई देगा । राजगढ़ के युवा पंडित शिवकुमार शास्त्री के अनुसार अपने क्षेत्र में गणना के अनुसार इस सूर्य ग्रहण का सूतक 20 जून 2020 शनिवार रात्रि 10-16 से लग जाएगा।
ग्रहण का प्रारंभ 21 जून 2020 रविवार प्रातः 10-16 से प्रारंभ होगा तथा ग्रहण का मोक्ष यानि ग्रहण दोपहर 1-44 पर सम्पन्न होगा ।
रविवार के दिन ग्रहण होने से इसे चूड़ामणि ग्रहण कहा जाता है, इसमें तीर्थों में स्नान, तीर्थ जल से स्नान, दान, जप आदि का विशेष महत्व शास्त्रों में बताया गया है।
यह ग्रहण मेष, सिंह, कन्या व मकर राशियों के लिए सुखदायी रहेगा । अन्य राशियों– मिथुन, कर्क, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ और मीन के लिए विपरीत है । मिथुन पर घटित होने के कारण, मिथुन राशि पर विशेष भारी है
ग्रहण सूतक से पूर्व ही घर में सब जगह पर कुशा (डाब) रखनी चाहिए । गर्भवती स्त्रियों को खुले आकाश में नहीं जाना चाहिए, बल्कि घर के अंदर ही प्रभु नाम का संकीर्तन, जप, अपने की स्तुति, ध्यान करना चाहिए। ग्रहण समय में सूखा अन्न, द्रव्य आदि का दान करना चाहिए ।
ग्रहण सूतक से और ग्रहण के समय में बाल, वृद्ध, अशक्त, गर्भवती स्त्री को छोड़कर के भोजन आदि निषेध माना गया है।
इस समय में वस्त्र आदि भी नहीं धोने चाहिए, किसी से विवाद नहीं करना चाहिए। ग्रहण समय में अपने इष्ट देव आदि के किसी भी नाम मंत्र का जप, संकीर्तन आदि करना चाहिए। ग्रहण के समय में विशिष्ट मंत्रों की साधनाएं भी की जाती है ।
ग्रहण के कारण शेयर मार्केट में मंदी, जलीय दुर्घटनाएँ, प्रतिष्ठित सैन्य अधिकारियों के लिए खराब, पाक, चीन कश्मीर आदि पर संकट संभावित होते हैं
नोट :– कंकण सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से नहीं देेखें, नेत्र ज्योति जाने का या आंखों पर गंभीर दुष्प्रभाव का खतरा रहता है। इस कारण आंखों में आई खराबी का उपचार भी नहीं होता है।