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मृग मरिचिका : क्या और क्यों होती है मृग मरिचिका, देखें लाइव वीडियो

मृग मरीचिका राजस्थान के सन्दर्भ में प्रयुक्त होता है।जब मृग प्यासा होता है राजस्थान में बालू ही बालू है जो धूप में चमकने के कारण पानी सा दिखता है ,हिरन जब वहां पहुचता है तो वो बालू दिखने लगता है और फिर दूर का बालू पानी।इसे ही मृग मरीचिका या मृगतृष्णा भी कहते है।

रेगिस्तान में गर्मी के दिनों में लोगो को कुछ दूरी पर पानी (जलाशय) होने का भ्रम हो जाता है लेकिन वास्तविकता में वहाँ कोई पानी (जलाशय) नहीं होता है , यह भ्रम प्रकाशीय घटना के कारण होता है इस भ्रम को मरीचिका कहते है।

रेगिस्तान में कुछ दूरी पर जलाशय या पानी होने का भ्रम (मरीचिका) प्रकाश के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के कारण होता है।

गर्मी के दिनों में रेत बहुत अधिक गर्म हो जाती है जिसके कारण रेत के पास वाली वायु भी गर्म हो जाती है इससे रेत के पास वायु (परत) का घनत्व बहुत कम हो जाता है और यह वायु (परत) विरल माध्यम की भाँती व्यवहार करती है।

ऊपरी परत अपेक्षकृत ठंडी होती है जिससे इसका घनत्व अधिक होता है और यह वायु (परत) सघन माध्यम की तरह व्यवहार करती है।

जब किसी पेड़ या पक्षी के ऊपरी भाग से कोई प्रकाश किरण चलती है तो वह अधिक घनत्व वाली वायु से अर्थात सघन माध्यम से विरल माध्यम में गमन करती है जिसके कारण पूर्ण आन्तरिक परावर्तन की घटना घटित होती है जिससे जमीन पर पेड़ या पक्षी का उल्टा प्रतिबिम्ब बना हुआ प्रतीत होता है।

और जब कोई इसे दूर से देखता है तो ऐसा लगता है की वहाँ पानी या जलाशय है जिसके कारण उसमे पेड़ या पक्षी का प्रतिबिम्ब बन रहा है और उन्हें परिचिका का भ्रम हो जाता है।


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