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रक्तचाप (ब्लड प्रेशर), रक्तचाप का क्या अर्थ है ?, जाने इसके लक्षण और समाधान

ह्रदय की रक्त वाहिनियों में रक्त भेजने की क्षमता को रक्तचाप कहा जाता है|

रक्तचाप अच्छे स्वास्थ्य का परिचय देने वाले महत्वपूर्ण संकेतों में से एक है| उच्च या निम्न रक्तचाप स्वास्थ्य समस्याओं की निशानी है|

इसे कुछ इस तरह से समझा जा सकता है, रक्त संचारित करने के लिए हृदय जब संकुचित होता है तो रक्त-वाहिनियों की दीवारों पर पड़ने वाले दबाव को सिस्टोलिक रक्तचाप कहते हैं और वापस ह्रदय के प्रसरण पर अर्थात एक संकुचन से दूसरे संकुचन के बीच रक्त-वाहिनियों की दीवारों पर पड़ने वाले दबाव को डायस्टोलिक रक्तचाप कहते हैं|

रक्तचाप को अच्छे से समझने के लिए यह उदाहरण देखें: यदि रक्तचाप 117/80 है तो, सिस्टोलिक रक्तचाप 117 होगा, जबकि डायास्टोलिक रक्तचाप 80 होगा| रक्तचाप को mm Hg में मापते हैं|

उच्च सिस्टोलिक या डायस्टोलिक रक्तचाप इस बात का संकेत है कि ह्रदय रक्त संचारित करने के लिए अधिक मेहनत कर रहा है, जिसका कोई अंदरूनी या बाहरी कारण हो सकता है|

सामान्य रक्तचाप

रक्त ऑक्सीजन और पोषक तत्वों को रक्त वाहिनियों द्वारा शरीर के विभिन्न सेलों और टिश्यू तक पहुँचाता है| हृदय द्वारा रक्तवाहिनियों में रक्त पंप करने और संचारित करने के दौरान रक्त का जो दबाव रक्त वाहिनियों की दीवारों पर पड़ता है उसे रक्तचाप कहा जाता है|

मनुष्य के शरीर में दिन और रात के समय रक्तचाप अलग-अलग हो सकता है| शारीरिक मेहनत के समय प्राकृतिक रूप से उपापचय(मेटाबोलिज्म) को पूरा करने के लिए शरीर को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है| इसलिए शारीरिक परिश्रम के दौरान रक्तचाप अधिक होता है और आराम के दौरान कम|

उम्र के अनुसार सामान्य रक्तचाप

उम्र बढ़ने के साथ रक्तचाप में धीरे-धीरे वृद्धि होती है| रक्तचाप बढ़ने के अन्य कारण भी हैं: मोटापा, खाने-पीने की बुरी आदतें, तनाव और उम्र के साथ सक्रियता कम होना|

*उच्च रक्तचाप(हाइपरटेंशन) के लक्षण*

उच्च रक्तचाप के कारकों या उनकी जटिलताओं के इकठ्ठा होने पर उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) के लक्षण दिख सकते हैं|

दूसरे तरीके से कहा जाए तो, हाइपरटेंशन अचानक और बिना किसी स्पष्ट लक्षण के भी हो सकता है| इसलिए ऐसी चीजों से बचना चाहिए जिनसे हाइपरटेंशन हो सकता हो और इसके शुरुआती लक्षणों को पहचानना चाहिए|

*हाइपरटेंशन के लक्षण:–*

• बार-बार सरदर्द होना हाइपरटेंशन का सबसे मुख्य लक्षण है|

• वर्टिगो और सर चकराना • अनियमित धड़कन

• जी मिचलाना और उलटी

• सर के पिछले हिस्से में तीव्र दर्द

• तीव्र थकान, समान्य कमजोरी, दुर्बलता, नींद न आना और आलस

• लगातार तनाव बना रहना

• शरीर के नियंत्रण में परेशानी और हाथों के अक्सर कंपन होना

• कानों में आवाज़ आना (टिनिटस)

• साँस फूलना और साँस लेने में कठिनाई

• नाक से खून बहना

• धुंधला दिखाई पड़ना

• यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन, पेशाब में जलन|

*निम्न रक्तचाप(हाइपोटेंशन) के लक्षण:–*

कुछ लोगों में निम्न रक्तचाप(हाइपोटेंशन) होना और असिम्पटोमैटिक (कोई लक्षण न दिखना) होना आम बात है|

कुछ रोगियों में, यह किसी विशेष समस्या का संकेत हो सकता है, खासतौर पर जब हाइपोटेंशन अचानक हुआ हो या कुछ लक्षण दिख रहे हों| यह लक्षण शरीर के अंगों में रक्त प्रवाह कम होने के कारण दिखते हैं, प्रभावित अंगों के अनुसार लक्षण बदल सकते हैं|

*हाइपोटेंशन के लक्षण:–*

1 सर चकराना या वर्टिगो|

2 थकान|

3 थकान और सामान्य दुर्बलता|

4 साँस लेने में तकलीफ के साथ सीने में दर्द

5 जी मिचलाना|

6 ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई|

~लक्ष्मण शर्मा:

*डायग्नोसिस/ निदान*

सही डायग्नोसिस ही सही इलाज की कुंजी है| क्योंकि गलत डायग्नोसिस से चिकित्सा में गलती हो सकती है|

*हाइपरटेंशन*

चार घंटों के अंतराल पर दो बार रक्तचाप माप कर उच्च रक्तचाप का डायग्नोसिस किया जाता है| यह मरकरी या इलेक्ट्रॉनिक स्फिमोमेनॉमीटर (रक्तदाबमापी) का प्रयोग करके मापा जाता है| इसके अलावा पेशाब में एल्ब्यूमिन(प्रोटीन), रक्त की उपस्थिति, किडनी(गुर्दों) पर हाइपरटेंशन का प्रभाव देखने के लिए यूरिया/क्रिएटिनिन के अनुपात, इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ECG), कॉलेस्ट्रोल, ब्लड शुगर आदि टेस्ट किए जाते है|

यदि रोगी की उम्र कम है और उसे सेकंड्री हाइपरटेंशन है तो, पेशाब में 17 हाइड्रॉक्सीप्रोजेस्ट्रोन और पेट के सीटी स्कैन जैसे अन्य टेस्ट भी किए जाते हैं|

*हाइपोटेंशन*

यदि आपका रक्तचाप 120/80 mm से कम है तो आपको निम्न रक्तचाप है| रक्त चाप की सामान्य रीडिंग 120/80 mm होती है|

*हाइपरटेंशन का उपचार*

उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन) के उपचार को दो भागों में बाँटा जाता है:—/

पहला: जीवनशैली में बदलाव और ऐसी बुरी आदतों से बचना जिनसे हाइपरटेंशन का जोखिम बढ़ता है|

दूसरा: एंटीहाइपरटेंसिव दवाइयों का उपयोग, जिससे किसी नयी जटिलता से भी बचा जा सकता है|

*जीवनशैली में बदलाव:–*

*रोगी को अपनी जीवनशैली में बदलाव करने चाहिए और कुछ महत्वपूर्ण बदलाव नीचे दिए गए हैं:–*

• नमक उपभोग 6 ग्राम (चम्मच) से कम रखें, यदि रोगी मधुमेह(डायबिटीज) जैसी दूसरी बीमारियों से ग्रस्त हो तो 3 ग्राम से कम नमक लेना चाहिए|

• बुरी आदतों से दूर रहें: धूम्रपान, शराब और उत्तेजक पदार्थों का सेवन बंद कर दें|

• खेलकूद: हाइपरटेंशन के रोगी को रोज आधा घंटे टहलना चाहिए| हलके व्यायाम करने से न केवल उच्च रक्तचाप ठीक होता है बल्कि दूसरी बीमारियों से भी सुरक्षा मिलती है|

• फल, सब्जी जैसी स्वास्थ्यवर्धक चीजें खाएँ और उच्च वसा(फैट) वाले भोजन से बचें|

• वजन कम करें|

*दवाओं से उपचार:-*

डायग्नोसिस के बाद डॉक्टर हाइपरटेंशन के उपचार के लिए दवाइयाँ देते हैं जो कई प्रकार की होती हैं:

• डाइयुरेटिक्स(मूत्रवर्धक): शरीर से अतिरिक्त नमक और तरल निकालने का काम करता है|

• अल्फा ब्लॉकर: रक्त वाहिनियों को आराम पहुँचाता है और उन पर दबाव कम करता है|

• बीटा ब्लॉकर: हृदय के संकुचित होने की शक्ति कम करता है, इसकी गति कम करता है और रक्त वाहिनियों पर दबाव कम करता है|

• एंजियोटेंसिन-कन्वर्टिंग एंजाइम इन्हिबिटर (ACEI): रक्त वाहिनियों को आराम पहुँचाता है| इसे रक्तचाप कम करने की सबसे अच्छी दवा माना जाता है, खासतौर से किडनी और दिल की बीमारी वाले लोगों में|

• कैल्शियम चैनल ब्लॉकर: रक्त वाहिनियों की दीवारों को फैलाता है और हृदय पर दबाव कम करता है|

• रेनिन इन्हिबिटर: किडनी से रेनिन का स्राव रोकता है या कम कर देता है क्योंकि इस एंजाइम से रसायनिक प्रतिक्रियाएँ होती जो उच्च रक्तचाप का कारण बन सकती हैं| लकवे (स्ट्रोक) से बचने के लिए डॉक्टर रोज कम डोज की एस्प्रिन लेने की सलाह देते हैं|

*जड़ी-बूटी (हर्ब) :-*

• केसर: यह रक्तचाप कम करता है| इसे भोजन में मिलाकर या सीधे खाया जा सकता है|

• सेलरी: उच्च रक्तचाप को ठीक करने के लिए ताजी सेलरी को बिना पकाए खाएँ|

• गाजर: रक्तचाप कम करने के लिए गाजर खाएँ या इसका जूस पिएँ|

• ब्रोकली: ताजी ब्रोकोली खाएँ, इसमें ऐसे तत्व होते हैं जो एंटीहाइपरटेंसिव के रूप में काम करते हैं और पकाने से ख़त्म हो सकते हैं इसलिए इसे कच्चा ही खाना चाहिए|

*हाइपोटेंशन का उपचार*

• विटामिन बी युक्त खाद्य पदार्थो का सेवन अधिक करें| ऐसा माना जाता है कि यह रक्तचाप और रक्त प्रवाह को सुधारता है|

• शक्कर और उच्च वसा वाली चीजें कम खाएँ| सब्जियों और फलों की मात्रा पर ध्यान दें|

•रोज सही मात्रा में पानी पिएँ, पानी की कमी निम्न रक्तचाप का कारण बन सकती है|

•डॉक्टर की सलाह लेकर अधिक नमक और सोडियम वाली डाइट लें जिससे खून बढ़ता है और रक्तचाप भी बढ़ता है|

•स्वास्थ्यवर्धक पेय पिएँ और गर्म पेय पदार्थों से बचें|

•आरामदायक मोज़े पहनें, इससे रक्त प्रवाह संतुलित रहता है और रक्तचाप सही रहता है|

*जड़ी-बूटी (हर्ब) :-*

•जौ (बार्ले): 3 चम्मच जौ को पीसकर 3 चम्मच मिनरल वाटर में मिलाएँ और 7 घंटे के लिए ढक कर छोड़ दें| इस मिश्रण को सुबह-शाम पिएँ| रक्तचाप कम करने के इस नुस्खे में आप स्वाद बढ़ाने के लिए फल भी मिला सकते हैं|

• चुकंदर (बीटरूट): चुकंदर को सलाद या जूस के रूप में नींबू के रस के साथ पिया जा सकता है| यह रक्तचाप कम करने में बहुत प्रभावी है|

• मुनक्का (रेजिन): प्राकृतिक रूप से रक्तचाप कम करने का यह बहुत अच्छा उपाय है| 30-40 मुनक्कों को रात भर पानी में भिगोएँ और सुबह खाली पेट खाएँ|

*हाइपरटेंशन*

उच्च रक्तचाप होने पर स्थिति की सही जाँच और आवश्यक उपचार के लिए तुरंत अस्पताल के इमरजेंसी विभाग में जाएँ|रक्तचाप को सामान्य बनाए रखने के लिए आवश्यक सावधानियाँ बरतें|

नीचे कुछ टिप्स दिए गए हैं जो अस्पताल से सही उपचार मिलने तक रक्तचाप को कम करने में सहयोग करेंगे|

•साँस लेना: रक्तचाप कम करने का एक प्रभावी तरीका माना जाता है|

• टहलें: तेज गति से टहलना रक्तचाप घटाने का अच्छा तरीका है| इसलिए प्रतिदिन आधा घंटा व्यायाम करने की सलाह दी जाती है|

• लहसुन खाएँ: लहसुन में शरीर के लिए आवश्यक कई पोषक तत्व होते हैं जो रक्तचाप कम करने में सहायक होते हैं|

• बादाम: बादाम खाने से रक्तचाप कम होता है| •लाल मिर्च खाएँ: लाल मिर्च रक्तचाप कम करने में सहायक है|

•कोकोआ: कोको में तनाव हार्मोन के स्राव को नियंत्रित करने और इस प्रकार रक्तचाप को कम करने की क्षमता होती है|

*हाइपोटेंशन*

•पीठ के बल लेट जाएँ और पैर ऊपर उठाएँ।

• एक गिलास पानी में एक चम्मच शहद और चुटकी भर नमक मिलाकर कर तुरंत पिएँ|

•इस स्थिति में कॉफ़ी पीने से तुरंत लाभ मिलता है।

• ढेर सारा पानी पिएँ।

साभार : सोनल जैन, भक्ताम्बर हीलर, केकड़ी, अजमेर

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की खबर ही खबर पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.


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