पेट से जुड़ी समस्याओं से अगर है परेशान, तो ये आसन देगा फायदा
जानिए अर्ध हलासन के लाभ और सावधानी योग गुरु ओम कालवा के साथ
*लाभ*
हर आसन हर शख्स नहीं कर सकता। उम्र, अभ्यास और अन्य कई चीजें होती हैं, जिनके चलते हम हर वो आसन नहीं कर पाते जो योगी लोग कर लेते हैं। मगर योग को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसमें कर किसी के लिए कुछ न कुछ है। अगर आपको कमर व पेट की दिक्कते हैं और आप नए अभ्यासी हैं तो अर्ध हलासन से लाभ उठा सकते हैं।
अर्ध हलासन मोटे तौर पर उत्तानपादासन के जैसा ही है। उत्तानपादासन में पैर जमीन से करीब एक से डेढ़ फुट ऊपर होते हैं मगर इसमें पैर नब्बे डिग्री तक सीधे हो जाते हैं।
यह आसन औरों के मुकाबले आसान है और यह आपको अन्य कठिन आसन करने की दिशा की ओर ले जाता है। इसका अभ्यास करने से आपको हलासन और उत्तानपादासन करने में मदद मिलेगी।
*कैसे करें*
पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं। हथेलियां जमीन की ओर रहेंगी और जांधों के बगल में रहेंगी। ध्यान रखें उन्हें पैरों के नीचे न दबाएं।
पैरों को आपस में मिला लें और धीरे धीरे उठाते हुए नब्बे डिग्री तक ले आएं।
जिन लोगों का पेट बाहर है उन्हें 80 डिग्री के बाद मशक्कत करनी पड़ती है। बेशक यह देखने में आसान लगता है मगर शुरुआत में नब्बे डिग्री तक पैर को टिकाए रखना भी चैलेंज बन जाता है।
सांस की गति सामान्य रखें और इसी तरह से तीन मिनट तक ठहरने का अभ्यास करें।
हाथों से ताकत न लें कमर और पेट की ताकत का इस्तेमाल करें। ध्यान रहे सांस की गति सामान्य रहेगी क्योंकि
अगर आप बीच बीच में सांस रोकते रहेंगे तो आपके पैर डगमगाने लगेंगे।
अगर तीन मिनट तक टिक गए तो अच्छी बात है नहीं तो जब तक टिक पाएं ठीक है उसके बाद धीरे से वापस आ जाएं। थोड़ा रुक कर फिर करें। तीन बार ऐसा करें।
अगर हो ही नहीं पा रहा तो इसे दीवार का सहारा लेकर करें और धीरे धीरे दीवार से मदद लेने की आदत छोड़ दें।
*लाभ*
आंतों को ताकतवर बनाता है। कब्ज के रोगियों को इसे करने से लाभ मिलता है।
यह खाना पचाने की ताकत को बढ़ाता है और मोटापे से लड़ने में मदद करता है।
जिन लोगों को गैस की दिक्कत है वो इस आसन का नियमित अभ्यास करें, आराम मिलता है।
अगर नाभि टल गई तो दो से तीन मिनट तक इस आसन को करना चाहिए, नाभि अपनी जगह बैठ जाती है।
कमर में दर्द रहता है तो इस आसन को बारी बारी एक एक पैर से करना चाहिए। कमर को ताकत मिलती है।
इस आसन के नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी और भीतर की मसल्स ताकतवर बनती हैं।
पैरों का सो जाना और उनका झनझनाना कम हो जाता है।