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निर्धन परिवार की बालिका का मायरा भर कर मानवता की मिसाल पेश की, देखें वीडियो

5 पौधे लगाकर पर्यावरण बचाने का का संदेश देते हुए सोशल मीडिया के सार्थक प्रयास से भरा मायरा

चूरु जिले के रतनगढ़ तहसील से गांव पाबूसर के एक निर्धन परिवार की बालिका की शादी में भाती बनकर आए आपणी पाठशाला चूरू से जुड़े कॉन्स्टेबल धर्मवीर जाखड़, ओम प्रकाश डायनामाइट, सुमित गुर्जर , ओमप्रकाश फर्डोलिया , मुकेश मील, ओमप्रकाश मेघवाल, मनोज पचार, रामकिशन भाकर, रामचंद्र लुहार, कालू जी, ने बहन के घर पहुंच 5 पौधे लगाकर भात भरा । इन पौधों की देखभाल बच्ची का परिवार करेगा।
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इस बेटी के पिता की करीब 9 साल मृत्यु हो गयी थी। जिसके कारण घर की आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय थी लड़की की शादी मैं होने वाले खर्च से घर वाले पेशोपेश में थे, जब इसकी जानकारी आपणी पाठशाला के धर्मवीर जाखड़ को मिली तो उन्होंने सोशल मीडिया के माध्यम से इसकी जानकारी संस्था से जुड़े सदस्यों को दी। जिस पर सामाजिक कार्य में हमेशा अग्रणी रहने वाले बहुत से साथियों ने अपनी और से कन्यादान और सामान भेजकर नैतिकता की जिम्मेदारी पूरी की। हालांकि पिता की कमी को कोई पूरा नही कर सकता, लेकिन आपणी पाठशाला के सदस्यों ने भाई बनकर बहन को काफी हद तक पिता की कमियों को दूर करने का प्रयास किया। बहन की शादी 10 जुलाई को संम्पन हुई।
इस अवसर पर जायल के सुशील जी पारीक ने अपने जन्मदिन पर बरात और शादी में उपस्थित सभी मेहमानों के लिए जूस का प्रबंध किया।
एक सिलाई मसीन संदीप ज्याणी, मलसीसर, तारानगर से एक बैड रामप्रसाद जांगिड़, एक अलमारी अभय सिंघानिया, मनीराम स्वामी और सुभाष गोदारा द्वारा मिठाई, राजेंद्र चौधरी, पाजेब दुर्गा राम कड़वासरा जायल, राजाराम कस्वा, कूलर प्रमोद ढाणी गुसाईं और किशन लाल मीणा, शादी में काम आने वाले बड़े बर्तन श्रवण रेवाड़, सरोज अध्यापिका, बीरबल पाबूसर, कपड़े भेंट कर भात भरा गया। अपनी पाठशाला से जुड़े तमाम साथी लगातार मिल जुलकर झुग्गी झोपड़ियों के बच्चों की शिक्षा के साथ-साथ ऐसी निर्धन तबके की बहन बेटियों के घर पहुंच भात भरा जाता रहा इसमें दूर-दूर से बहुत सारे साथी कन्यादान स्वरूप अपना योगदान भेजते हैं ।
इस अवसर पर राजाराम कस्वां, टेकचंद सिहाग, अशोक सुलखानिया, राजकुमार थोरी, सत्येंद्र राजवंशी मोमासर, विनीत शर्मा मोमासर, रोहित शर्मा दुधवाखारा, सुरेश शर्मा, ओम प्रकाश राणा सर, राजेंद्र जी हीरावत,रतननगर , ज्ञानीराम, महेंद्र स्वामी, राजेंद्र कुमार ने अपने अपने हिसाब से मायरे में सहयोग किया।
गौरतलब है कि आपणी पाठशाला चूरू में पिछले 5 वर्षों से झुग्गी झोपड़ियों में रहने वालों बच्चों की पढ़ाई, खानेपीने का प्रबंध कर रही है। इसके अलावा समय समय पर सामाजिक कार्यों एंव जरूरतमंद के सहयोग में भी अग्रणी संस्था बनी हुई है।


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