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"बच्चों थोड़े सहनशील बनो" – 7वीं की छात्रा को मोबाइल के लिए थोड़ी देर रुकने को कहा तो लगा ली फांसी

जोधपुर शहर में ऑनलाइन क्लास के लिए अपनी बेटी को मोबाइल देने से मना करना एक मां को ऐसा सदमा दे गया, जिसे वह जीवनभर नहीं भुला पाएगी। सातवीं कक्षा में पढ़ने वाली महज 12 वर्ष की छात्रा ने मोबाइल के लिए थोड़ी देर रुकना उचित नहीं समझा और फांसी पर झूल गई।

नाना के घर रहती थी

महामंदिर थाना क्षेत्र के दाधिच नगर में अपने नाना के घर रहने वाली भूमिका सोनी ने अपनी ऑनलाइन क्लास के लिए मां से मोबाइल मांगा। उसे थोड़ी देर ठहरने का बोल मां काम में लग गई। इस बीच, भूमिका एक कमरे में चली गई। थोड़ी देर बाद परिजन कमरे में गए तो भूमिका फंदे से लटकी मिली। उसे नीचे उतार कर घरवाले अस्पताल लेकर गए, लेकिन तब तक उसकी सांसें थम चुकी थीं।

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मां, स्वयं को ठहरा रही दोषी

भूमिका के इस आत्मघाती कदम से पूरा परिवार सदमे में है। वे कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं हैं। इस हादसे से मां अवाक रह गई है और लगातार रोते हुए बेटी की मौत के लिए स्वयं को दोषी ठहरा रही है। दाधीच नगर निवासी संपत लाल सोनी ने थाने में मर्ग दर्ज करवाया है। इसके बाद पुलिस ने पोस्टमार्टम कराकर बालिका का शव परिजनों को सौंप दिया।

एम्स की डॉक्टर ने भी दे दी थी जान

जोधपुर में दो दिन पूर्व अपनी तेरह वर्षीय बेटी का जन्मदिन मनाने या नहीं मनाने को लेकर एम्स की एक फिजियोथेरेपिस्ट ने आत्महत्या कर ली थी। अपने बच्चों को कोरोना से बचाने के लिए वह नहीं चाहती थी कि जन्मदिन की पार्टी आयोजित की जाए, लेकिन परिजन इस आयोजन के पक्ष में दलील दे रहे थे। इससे खफा हो उसने भी फंदा लगाकर अपनी जान दे दी थी।

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बंदिशों ने बढ़ाया चिड़चिड़ापन

शहर के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. जीडी कूलवाल का कहना है कि कोरोना ने लोगों की जीवनचर्या को बदल कर रख दिया है। लोगों से मिलना-जुलना बंद हो गया। स्कूल-कॉलेज लगातार बंद हैं। सोशल लाइफ नहीं के बराबर रह गई। ऐसे में लगातार घर में बंद रहने से न केवल बच्चे बल्कि उनके अभिभावकों में भी चिड़चिड़ापन बढ़ रहा है। उनकी बर्दाश्त करने की क्षमता भी घटती जा रही है। बच्चे या बड़े सभी बहुत जल्दी रिएक्ट करने लग गए। साथ ही, बच्चे जिद्दी होने लगे हैं। उनकी भावनाएं कुंठित हो रही हैं। कुंठित भावनाओं के कारण बच्चों का व्यवहार पूरी तरह से बदल रहा है। बच्चों की पूरी दुनिया मोबाइल में कैद होकर रह गई है। ऐसे में एक मिनट के लिए भी यदि मोबाइल न मिले तो उन्हें लगता है कि दुनिया लुट गई है। इसी कारण से ऐसे हादसे देखने को मिल रहे हैं।


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