मोमासर – मोमासर में बढ़ते कोरोना संक्रमण को रोकने का सख्ती ही एकमात्र उपाय है
मोमासर में कोरोना का संक्रमण पिछले कई दिनों से बढ़ता जा रहा है। गाँव का एक परिवार अपने तीन सदस्यों को कोरोना के कारण खो चुका है। इसके अलावा गाँव में कोरोना से और मौतें हुई है, लेकिन इसके बात भी ग्रामीण नही सम्भले है। बहुत से लोग ये कहते सुने जाते है कि “कोरोना म्हारो के बिगाड़ लेसी” । गांव में ऐसे लोग भी है जो समझाने वाले को ही उल्टा दोष देते है।
ये एक महामारी है, ये गाँव वाला, शहर वाला, अमीर गरीब नही देखती। इस महामारी ने ऐसे लोगों को भी अपनी चपेट में लिया है जिनके पास पैसों की कोई कमी नही । हर तरह की चिकित्सा सुविधा वो पल में उपलब्ध करवा सकते थे, लेकिन कोरोना से वो हार गए।
गाँव मे बढ़ते कोरोना प्रकोप और लोगों की लापवाही के चलते अब ये जरूरी हो गया है कि ग्राम पंचायत और प्रशासन सख्त उठाये और इस हेतु उच्च प्रशासनिक अधिकारियों से बात करे।
हमने सोशल मीडिया पर ग्रामीणों की राय जानने का प्रयास किया कि गया गांव के सख्ती के साथ निषेधाज्ञा लगाई जानी चाहिए तो इसके जवाब में अधिकतर लोगों ने ये ही कहा कि गांव में बढ़ते कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए अब सख्ती जरूरी है।
इसी के अंतगर्त हम कुछ लोगों के विचार यहां प्रकाशित कर रहे है
सुरेंद्र सेठिया का कहना है कि बिलकुल मोमासर वासी नहीं सम्भले तो लास्ट हतियार प्रशासन को निषेधआज्ञालागु करनी ही पड़ेगी गाँव वालों का जीवन बचाना है तो! जिम्मेदार लोग तो नेता की तरह बाते करते है।
पूर्व जिला परिषद सदस्य सुभाष कमिलिया का कहना है कि मोमासर में सख्ती बहुत जरूरी है। हालात बहुत खराब है।
समय रहते शख्त निर्णय करे प्रशासन
विनीत शर्मा का कहना है कि हम खुद घर मे नही बैठना चाहते प्रशासन की क्या औकात की हमे घर मे बिठा दे, थोड़ा वोट का भी सोचना पड़ता है ना, मैं अभी हॉस्पिटल जा के आया हूँ, आज शानिवार होने के बाद भी बाजार का नजारा वो ही है , धन्यवाद प्रशासन हमे आप से यही उम्मीद है 🙏🏻
रणजीत पटवारी का कहना है की इसका खामियाजा गाँव को भुगतना पड़ेगा।
पवन सैनी का कहना है कि लोग समझते ही नही है, मजाक में ले रखा है।
सभी ग्रामीणों के साथ ग्राम पंचायत एंव प्रशासन से आग्रह है अब सम्भल जाइए। स्थिति को काबू में लेने का प्रयास कीजिये, वरना बाद में कही देर ना हो जाए।